सोमवार, 28 सितंबर 2020

गूजर और अहीर सजातीय भी ...

चैतन्य परम्परा के श्री रूप गोस्वामी ने अपने मित्र श्री सनातन गोस्वामी के आग्रह पर कृष्ण और श्री राधा जी के भाव मयी आख्यानकों का संग्रह किया 

श्रीश्री राधा कृष्ण गणोद्देश्य दीपिका के नाम से  ...
यह ग्रन्थ उस समय का है विवरण है जब भागवत पुराण भी नहीं लिखा गया था ...

इसी ग्रन्थ में  लेखक ने एक स्थान पर लिखा 
_______________________________________

पशुपालस्त्रिधा वैश्या आभीरा गुर्जरास्तथा ।
गोप वल्लभ पर्याया यदुवंश समुद्भवा : ।।७।।

भषानुवाद – पशुपाल भी वणिक , अहीर और गुर्जर भेद से तीन प्रकार के हैं ।
इन तीनों का उत्पत्ति यदुवंश से हुई है ।
 तथा ये सभी गोप और वल्लभ जैसे समानार्थक नामों से जाने जाते हैं ।७।।

प्रायो गोवृत्तयो मुख्या वैश्या इति समारिता: ।
अन्ये८नुलोमजा: केचिद् आभीरा इति विश्रुता:।।८।

भषानुवाद– वैश्य प्राय: गोपालन के द्वारा अपना जीवन निर्वाह करते है ।और आभीर तथा गुर्जरों से श्रेष्ठ माने जाते हैं ।
अनुलोम जात ( उच्च वर्ण के पिता और निम्न वर्ण की माता द्वारा उत्पन्न ) वैश्यों को आभीर नाम से जाना जाता है ।८।।

आचाराधेन तत्साम्यादाभीराश्च स्मृता इमे ।।
आभीरा: शूद्रजातीया गोमहिषादि वृत्तय: ।।
घोषादि शब्द पर्याया: पूर्वतो न्यूनतां गता: ।।९।।

भाषानुवाद–आचरण में आभीर भी वैश्यों के समान जाने जाते हैं । ये शूद्रजातीया हैं ।
तथा गाय भैस के पालन द्वारा अपना जीवन निर्वाह करते हैं ।
 इन्हें घोष भी कहा जाता है ये पूर्व कथित वैश्यों से कुछ हीन माने जाते हैं ।९।।

किञ्चिदाभीरतो न्यूनाश्च छागादि पशुवृत्तय:।
गोष्ठप्रान्त कृतावासा: पुष्टांगा गुर्जरा: स्मृता :।।१०।

भाषानुवाद – अहीरों से कुछ हीन बकरी आदि पशुओं को पालन करने वाले   तथा गोष्ठ की सीमा पर वास करने वाले गोप ही गुर्जर कहलाते हैं  ये प्राय हृष्ट-पुष्टांग वाले होते हैं ।१०।

वास्तव में उपर्युक्त रूप में वर्णित तथ्य की अहीर और गुर्जर यदुवंश से उत्पन्न होकर भी बात के पुरोहितों ने द्वेष वश वैश्य और शूद्र मानने की बड़ी भूल की  हैं ।

और वैश्य शूद्र मानना शास्त्र सम्मत व युक्ति- युक्त नहीं हैं क्यों कि पद्मपुराण सृष्टि खण्ड अग्निपुराण और नान्दी -उपपुराण आदि में  वेदों की अधिष्ठात्री देवी गायत्री नरेन्द्र सेन आभीर की कन्या हैं जिसे गूजर और अहीर दौनों समान रूप से अपनी कुल देवी मानते हैं ।

जिस गायत्री मन्त्र के वाचन से ब्राह्मण स्वयं को तथा भी  दूसरों को पवित्र और ज्ञानवान बनाने का अनुष्ठान करता है वह गायत्री एक अहीर नरेन्द्र सेन की कन्या है ।

जब शास्त्रों में ये बात है ते फिर 
अहीर तो ब्राह्मणों के भी पूज्य हैं 
फिर षड्यन्त्र के तहत किस प्रकार अहीर शूद्र और वैश्य हुए ।

वास्तव में जिन तथ्यों का अस्तित्व नहीं उनको उद्धृत करना भी महा मूढ़ता ही है ।

इस लिए अहीर यादव या गोप आदि विशेषणों से नामित यादव कभी शूद्र नहीं हो सकते हैं और यदि इन्हें किसी पुरोहित या ब्राह्मण का संरक्षक या सेवक माना जाए तो भी युक्ति- युक्त बात नहीं 
क्यों ज्वाला प्रसाद मिश्र अपने ग्रन्थ जाते भाष्कर में आभीरों को ब्राह्मण लिखते हैं ।

परन्तु नारायणी सेना आभीर या गोप यौद्धा जो अर्जुन जैसे महारथी यौद्धा को क्षण-भर में परास्त कर देते हैं ।
क्या ने शूद्र या वैश्य माने जाऐंगे 

सम्पूर्ण विश्व की माता गो को पालन करने वाले वाले वैश्य या शूद्र माने जाऐंगे 

किस मूर्ख ने ये विधान बनाया ?
हम इस आधार हीन बातों और विधानों को सिरे से खारिज करते हैं ।

इसी लिए यादवों ने वर्ण व्यवस्था को खण्डित किया और षड्यन्त्र कारी पुरोहितों को दण्डित भी किया ।
यादव भागवत धर्म का स्थापन करने वाले थे ।

जहाँ सारे कर्म काण्ड और वर्ण व्यवस्था आदि का कोई महत्व व मान्यता नहीं थी ।

प्रस्तुति करण - यादव योगेश कुमार "रोहि" 8077160219

"ते कृष्णस्य परीवारा ये जना: व्रजवासिन: ।
पशुपालस्तथा विप्रा बहिष्ठाश्चेति ते त्रिथा। ६।।

अलबरूनी नेन तहकीक ए हिन्द के पाँचवें चेप्टर में 
नन्द को कभी अही तो कहीं गूजर 
और जाट भी बताया है यह बात दशवीं सदी के समकक्ष है ....

परन्तु आज भले ही गूर्जर संघ के रूमें अनेक कबीलों का रूप है जाट भी सघ है जिसमें घोसी अहीर हीर जैसे गोत्र उनकी पूर्व कालिक एकरूपता के चिन्ह है ...


यदुवंशी और यादव का अर्थ ही अब विपरीत हो गया है ...

कुछ आधुनिक दौर के फर्जी यदुवंशी जो ज्यादातर अहीर या यादव टाइटल न लगाकर यदुवंशी 
लिखने लगे हैं ! 

वे अक्सर मेरी पोष्टों पर नकारात्मक  प्रतिक्रिया ही देते हैं 
ये बात है पते की ...

यदु से यादव  सन्तान वाचक अण् प्रत्यय करे से बना
( यदु+अण् ) तद्धित रूप में  यदु के वंशज  उसे लगायो गोप लगाओ, अहीर लगायो  क्यों कि यही तीन विशेषण प्राचीनत्तम  हैं 

 यदु के वंशी बने वाे तो बहुत से  फर्जी भी हैं जैसे जडैजा भाटी चुडासमा आदि आदि ...

 असली और नकली का सिद्धान्त यही है कि यदुवंशी वो उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध से लगाने लगे हैं जो  बाकई यादव नहीं थे चारण या भाट ही थे 

क्यों  व्यक्ति जो नहीं होता है उसे ही फर्जी तरीके से दिखाने के लिए उसी जगह से दूसरी सैंध मारता है 
जैसे आज के दलाल व्यापारी अपना ट्रेडमार्क ( व्यापार चिन्ह) कुछ अन्तर से ही दूसरी कम्पनी की बरावरी या नकल करने के लिए  जैसे चीनी एप टिकटाॅक की प्रसिद्धी भुनाने के लिए अब "टकाटक " नाम से एप प्ले स्टोर पर है !
उसी प्रकार 
असली को यानि अहीरों को नकली दिखाने वाले ज्यादातर यदुवंशी लगाते हैं ..
जैसे अहीर या यादव यदुवंशी ही न हों ...

 जबकि असली तो अहीर ही यदुवंशी हैं या जो अहीरों निकले हैं वे  जैसे मध्यप्रदेश के घोसी या करौली जादौन ( दशवें अहीर शासक ब्रह्म पाल अहीर से उत्पन्न) भारवाड , धेनुगरों के कुछ पुराने कबीले ) कुछगुर्जर संघ के  गूजर और जाट भी 
जो वास्तव में आज अलग थलग पड़ गये हैं धूर्तों साजिस के तहत परन्तु जो धूर्त थे वे फर्जी यदुवंशी बनते हैं 

वे लोग ही यदुवंशी क्षत्रिय या राजपूत हने का भी दाा करते रहते हैं 

जैनेटिक कोड है कि यदुवंशी का मतलब खुद तय कर लो लिखने का मतलब ही ये है यदुवंशी तो हो तुम यादव नही क्यो की यादव होने के लिये माता पिता दोनौं का यादव होना जरूरी होता है यदुवंशी होने के लिये नही 
नहीं ...

यदुवंशी क्षत्रिय  लिखने का अर्थ ही है उनको अहीर समाज से हटा दिया गया है जबरन चिपके है वो परन्यतु ये यादवो का  आन्तिरिक कानून है जो क्षत्रिय राजा बना वो यदुवंश से  खारिज हो गया ये रहस्य है ।

क्यों अहीरों ने वर्ण व्यवस्था को नकार दिया 
ब्राह्मणों की पाखण्ड पूर्ण कुव्यवस्थाओं के प्रति बगावत का रूख अख्तियार कर लिया ...

वंश की मान्यताओं का आधार यही होता है की माता पिता दोनों का  सजातीय होना किन्यातु विभिन्न गोत्र का होना आवश्यक है   जैसे दौनों अहीर हो तो ही यादव अहीर संतान हो सकता है  वंश धर्म की आधार शिला है

 साइंस भी यही कहता है सन्तान में माता पिता दोनों का क्रोमोसोम  गुण सूत्र बराबर ही रहता है  
आनु पातिक होते है 
माता का गुणसूत्र( xx )  तो पिता का (xy) केवल लैंगिक आधार पर 
 परन्तु वंश का आधार दौनों का एक वंश का होना 
अन्यथा वर्ण संकर जैसी स्थति से वंशसंकर जैसी स्थिति बन जाती है !
 यादव यादव के सन्तान तो यादव होगा परन्तु आधुनिक  हिन्दु मान्यताओं के अनुसार पिता से वंश चलता है यानी सिरे से गलत है अब राजपूतों  , ब्राह्मणो में मिश्रा से  मिश्रा में विवाह नही करता हमेशा क्रॉस करते है 
राजपूतो में भी ऐसा ही होता है अब भाटी खुद को यदुवंशी कहता है उसका विवाह सूर्यवंशी में हुआ तो संतान में तो सूर्यवंशी का और यदुवंश का दोनो का अंश हुवा ना यानी 50-50 अब वो सन्तान किसी अग्निवंशी से विवाह कर लिया तो पहले ही 50-50 था !
 अब 1/4 हो जायेगा अब वो खुद को यदुवंशी कहेगा क्यों की पिता से जोड़ा जाता है उनको परन्तुत हकीकत में उसमे यदुवंशी से ज्यादा अन्य वंशो का अंश ही होता है ऐसे ही लोग वंशी होते है 

जैसे जाडेजा ,भाटी आदि
शुद्ध दुनिया में आज भी असली जैनेटिक भारत  यादव (अहीर)और  इजराएल के यहूदी ही होते है क्यों की इनमें ही  वंश के ये नियम हैं ..
माता पिता दोनों ही  यादव या यहूदी होंगे तभी सन्तान यहूदी या यादव होगा बर्ना  खुद को यदुवंशी कहकर सन्तोष करो वैसे तो आदिमजाति नश्ल तो अहीर ही है सभी यदुवंशीयों का मूल ...

यादव अवर्ण हैं बिल्कुल  वर्ण-व्यवस्था से परे 

जैसे कृष्ण और बलराम  कर्षण करने के लिए हल और दुश्मनों परास्त करने के लिए हथियार भी और गाय का पालन किया और गीता का ज्ञान भी दिया। 
और शूद्र के रूप में सूत या सारथी भी बने 


वैसे ही हमारी कौम किसी वर्ण व्यवस्था के अनुरूप नहीं है यही हमें इस ब्राह्मण धर्म से अलग करता है ।।



रविवार, 27 सितंबर 2020

व्रजवाड से भरुचवाड और भरवाड तक का सफर ...

"The word Bharwad is not related to  shepherd .

 this word has been derived From  Vrajwad - it has been changed from Bharajwad to Bharwad.  

 These people were basically the gop-Abhir people of Vraj. 

 Who first settled in Gujarat's (Bhrigukach 

यद्यपि पहले स्थानीय लोगों ने इन्हें व्रजवाल भी कहा जो बिगड़ कर बजवाड भी हुआ ।और फिर बरवाड से भरवाड हो गया परन्तु  आज से लगभग एक हजार वर्ष पहले शौरसेनी प्राकृत भाषा को लेकर ये लोग गुजरात के भरुचवर्ती क्षेत्रों में आये।

इसी भाव-साम्य मूलक शब्दों के द्वारा भरवाड शब्द प्रचलन में आया !
ये ब्रज के ही ग्वाले थे ;और ग्वाली नाथ  के उपासक थे । 

ये मूलत: ब्रज के आभीर ग्वाले थे जो गाय भैंस और बकरीयों का भी पालन भी करते रहे हैं !

व्रज के मूल आहीरों से ये अलग थलग पड़ जाने से आज तक अपने मूल अस्तित्व के लिए लालायित हैं।

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   ..
यद्यपि गोपालन ही इनका पहला व्यवसाय था 
यह गोपों की एक स्वाभिमानी कबीलाई शाखा है 
संयोग से इन्हें कुछ विरोधीयों द्वारा भेड़वार कहना बड़ा मूर्खता पूर्ण ही है 
जैसे हवालात को 
हवा और लात खाने की जगह ही बता दी जाय
क्यों हवालात में अब ऐसा होता भी है ..

अथवा आज शौचालय को शौच का आलय होते हुए भी सोच (विचार) का आलय मान लेना क्यों की दिन भर भागने वाला केवल शौचालय में ही सोच पाता है अन्यथा
भागदोड़ में उसे सोचने की फुर्सत ही कहाँ  ?

इसी प्रकार  दूसरा उदाहरण कहें कि मशाल को मिसाल या फिर उसे अग्नि यन्त्र मिसाइल ही बना दिया जाय ! 

विदित हो धेनुगर भी पहले गोपालन का कार्य करने वाले गोप ही  थे ...
परन्तु कालान्तरण में व्यवसायों की भेड़चाल या कहें  भीड़ में जातियाँ अपने वंशमूलक अस्तित्व को खो चुकी हैं |

अत: भारवाड ब्रजवाडे गोपों की एक इतर भरुच वासी शाखा है |

यद्यपि महाराष्ट्र या राजस्थान में गुजरात से ही गये भरवाड हैं |
जो गूजरों में सुमार हैं 
जिन्हें भौगोलिक नाम से समाज में भरुवाड कहा गया 
अहीरों में भरगड़े शब्द से भी विद्वानों ने जोड़ा परन्तु 
व्रजवाड और भरचवाड से ही भरवाड का सम्बन्ध है |

गुजरात  में भरुवाड  यह प्रदेश 200 1’ से 240 7’ उत्तरीय अक्षांश से तथा 680 4’ से 740 4’ पूर्वीय  देशान्तर के मध्य स्थित है। 

बंबई पुनर्गठन विधेयक, 1960 के लागू होने से 1 मई, सन 1960 ई. को यह प्रदेश गठित हुआ।

भारत गणराज्य के पश्चिमी तट पर स्थित यह प्रदेश उत्तर पूर्व में राजस्थान, उत्तर पश्चिम में पाकिस्तान, द. पू. में मध्य प्रदेश, पश्चिम में अरब सागर और दक्षिण में महाराष्ट्र राज्य से घिरा हुआ है। 

इसका कुल क्षेत्रफल 1,95,984 वर्ग किलोमीटर है जिसके 19 जिलों में 1971 की जनगणना के अनुसार 2, 66,97,475 व्यक्ति निवास करते हैं। 

अहमदाबाद, अमरेली, वनासकाँठा, भारुच, भावनगर, गांधीनगर, जामनगर, जूनागढ़, खेदा, कच्छ, महसेना, पंचमहल, राजकोट, सबरकाँठा, सूरत, सुरेंद्रनगर, डाँग, बड़ोदरा और बलसाड इस प्रदेश के मुख्य जिले हैं। गांधी नगर इस प्रदेश की राजधानी है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के सोपान -

पुरातात्विक साक्ष्यों से प्रमाणित होता है कि  देव संस्कृति के अनुयायीयों के आगमन से पूर्व इस प्रदेश में हड़प्पा संस्कृति में संबंधित लोग रहते थे।

वे लोग गाँवों और कस्बों में मकान बनाकर रहते थे।
 कहीं कहीं उन लोगों ने किलों का भी निर्माण किया था और कृषि कार्य करते थे।

 उनके चिह्न नर्मदा की निचली घाटी में प्राप्त होते हैं। महाभारत काल में कृष्ण ने द्वारिका में अपना किला बनवाया था। 
उस समय पशुचारण संस्कृति का ही प्रसार था।
जिसमें गाय का स्थान सर्वोपरि था .

 ईसा से 1000 वर्ष पूर्व इस प्रदेश के निवासी लालसागर के द्वारा अफ्रीका के साथ और ईसा से 750 वर्ष पूर्व फारस की खाड़ी के द्वारा बेबीलोन के साथ अपना व्यापारिक संबंध स्थापित किए हुए थे।

 भड़ौच (भृगुकच्छ) उस समय का व्यस्त बंदरगाह था। वहाँ से उज्जैन और पाटलिपुत्र होते हुए ताम्रलिप्ति तक राजमार्ग बना हुआ था मौर्य काल में यह प्रदेश उज्जैन के राज्यपाल के अधीन रहा। 

ईसा की आरंभिक सदियों में पश्चिमी क्षत्रप यहाँ के शासक रहे। 
उनके समय में तट के लोगों का वैदेशिक व्यापार जोर पकड़ने लगा और उनका रोम के साथ यह व्यापार संबंध तीसरी चौथी शती ई. तक था।

 कुमारगुप्त (प्रथम) के समय में गुप्त सम्राटों का आधिपत्य इस प्रदेश पर हुआ और 460 तक रहा।
 गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद 500 से 700 तक बल्लभी नरेशों का अधिकार हुआ। 

तदनंतर भिन्नमाल के गुर्जरों ने इसपर शासन किया और 585 से 740 के मध्य भड़ौच में उनकी एक शाखा के लोग राज करते रहे। 
इन्हीं गुर्जरों के नाम पर प्रदेश का नामकरण गुजरात हुआ और वे वहाँ की राजपूत जातियों के पूर्वज कहे जाते हैं।
ये गुर्जर भी गौश्चर: अथवा गोप ही थे जो कृष्ण से सम्बद्ध हैं ..
ब्रज के गूजरों का अहीरों से जातीय सम्बन्ध है 
राजस्थान में गूजरों में भारवाड होते भी  हैं 
 चैतन्य सम्प्रदाय के रूप गोस्वामी ने अपने मित्र श्री सनातन गोस्वामी के आग्रह पर कृष्ण और श्री राधा जी के भाव मयी आख्यानकों का संग्रह किया  
श्री श्री राधा कृष्ण गणोद्देश्य दीपिका के नाम से  ...
परन्तु लेखक ने एक स्थान पर लिखा कि 
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"ते कृष्णस्य परीवारा ये जना: व्रजवासिन: ।
पशुपालस्तथा विप्रा बहिष्ठाश्चेति ते त्रिथा। ६।।

भाषानुवाद– व्रजवासी जन ही कृष्ण का परिवार हैं ; उनका यह परिवार पशुपाल, विप्र, तथा बहिष्ठ 
(शिल्पकार) रूप से तीन प्रकार का है ।६।।
इसी क्रम गोस्वामी जी लिखते हैं कि अहीर और गूजर सजातीय यादव बन्धु हैं |
_________
पशुपालस्त्रिधा वैश्या आभीरा गुर्जरास्तथा ।
गोप वल्लभ पर्याया यदुवंश समुद्भवा : ।।७।।

भषानुवाद – पशुपाल भी वणिक , अहीर और गुर्जर भेद से तीन प्रकार के हैं ।
इन तीनों का उत्पत्ति यदुवंश से हुई है ।
 तथा ये सभी गोप और वल्लभ जैसे समानार्थक नामों से जाने जाते हैं ।७।।

प्रायो गोवृत्तयो मुख्या वैश्या इति समारिता: ।
अन्ये८नुलोमजा: केचिद् आभीरा इति विश्रुता:।।८।

भषानुवाद– वैश्य प्राय: गोपालन के द्वारा अपना जीवन निर्वाह करते है ।
और आभीर तथा गुर्जरों से श्रेष्ठ माने जाते हैं ।
अनुलोम जात ( उच्च वर्ण के पिता और निम्न वर्ण की माता द्वारा उत्पन्न ) वैश्यों को आभीर नाम से जाना जाता है ।८।।

आचाराधेन तत्साम्यादाभीराश्च स्मृता इमे ।।
आभीरा: शूद्रजातीया गोमहिषादि वृत्तय: ।।
घोषादि शब्द पर्याया: पूर्वतो न्यूनतां गता: ।।९।।

भाषानुवाद–आचरण में आभीर भी वैश्यों के समान जाने जाते हैं । ये शूद्रजातीया हैं ।
तथा गाय भैस के पालन द्वारा अपना जीवन निर्वाह करते हैं ।
 इन्हें घोष भी कहा जाता है ये पूर्व कथित वैश्यों से कुछ हीन माने जाते हैं ।९।।
______________________________________
किञ्चिद् आभीर तो न्यूनाश्च छागादि पशुवृत्तय:।
गोष्ठप्रान्त कृतावासा: पुष्टांगा गुर्जरा: स्मृता :।।१०।

भाषानुवाद – अहीरों से कुछ हीन बकरी आदि पशुओं को पालन करने वाले  तथा गोष्ठ की सीमा पर वास करने वाले गोप ही गुर्जर कहलाते हैं  ये प्राय: हृष्ट-पुष्टांग वाले होते हैं ।१०।

वास्तव में उपर्युक्त रूप में वर्णित तथ्य की अहीर और गुर्जर यदुवंश से उत्पन्न होकर भी वैश्य और शूद्र हैं ।

शास्त्र सम्मत व युक्ति- युक्त नहीं हैं क्यों कि पद्मपुराण सृष्टि खण्ड अग्निपुराण और नान्दी -उपपुराण आदि में  वेदों की अधिष्ठात्री देवी गायत्री नरेन्द्र सेन आभीर की कन्या हैं जिसे गूजर और अहीर दौनों समान रूप से अपनी कुल देवी मानते हैं ।
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जिस गायत्री मन्त्र के वाचन से ब्राह्मण स्वयं को तथा दूसरों को पवित्र और ज्ञानवान बनाने का अनुष्ठान करता है वह गायत्री एक अहीर नरेन्द्र सेन की कन्या है ।

जब शास्त्रों में ये बात है तो फिर 
अहीर तो ब्राह्मणों के भी पूज्य हैं 
फिर षड्यन्त्र के तहत किस प्रकार अहीर शूद्र और वैश्य हुए ।
गाय पालने अहीर वैश्य क्यों  हुए गाय विश्व की माता है 
और माँ की सेवा करना तुच्छ काम कैसे हो सकता है ?
वास्तव में जिन तथ्यों का अस्तित्व नहीं उनको उद्धृत करना भी महा मूढ़ता ही है ।

इस लिए अहीर यादव या गोप आदि विशेषणों से नामित यादव कभी शूद्र नहीं हो सकते हैं और यदि इन्हें किसी पुरोहित या ब्राह्मण का संरक्षक या सेवक माना जाए तो भी युक्ति- युक्त बात नहीं 
क्यों ज्वाला प्रसाद मिश्र अपने ग्रन्थ जाति भाष्कर में आभीरों को ब्राह्मण भी लिखते हैं ।

परन्तु नारायणी सेना आभीर या गोप यौद्धा जो अर्जुन जैसे महारथी यौद्धा को क्षण-भर में परास्त कर देते हैं ।
क्या ने शूद्र या वैश्य माने जाऐंगे 

सम्पूर्ण विश्व की माता गोै को पालन करने वाले वैश्य या शूद्र माने जाऐंगे 
किस मूर्ख ने ये विधान बनाया ?

हम इस आधार हीन बातों और विधानों को सिरे से खारिज करते हैं ।

इसी लिए यादवों ने वर्ण व्यवस्था को खण्डित किया और षड्यन्त्र कारी पुरोहितों को दण्डित भी किया ।
यादव भागवत धर्म का स्थापन करने वाले थे ।

जहाँ सारे कर्म काण्ड और वर्ण व्यवस्था आदि का कोई महत्व व मान्यता नहीं थी ।
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प्रस्तुति करण - यादव योगेश कुमार "रोहि" 8077160219

इसी लिए यादवों ने वर्ण व्यवस्था को खण्डित किया और षड्यन्त्र कारी पुरोहितों को दण्डित भी किया ।
यादव भागवत धर्म का स्थापन करने वाले थे ।

जहाँ सारे कर्म काण्ड और वर्ण व्यवस्था आदि का कोई महत्व व मान्यता नहीं थी ।
तुर्की काल में ब्रज से गये आभीर गोप ब्रजवाड  से भरवाड हुए यद्यपि ये वसे भी भृगुकच्छ में संयेग से भरवाड शब्द विकसित हुआ 

भारवाड  खुद को पौराणिक नंदवंश  से स्वयं सम्बद्ध मानते हैं , जो कृष्ण के पालक पिता नंदा के साथ शुरू हुआ था ।

 किंवदंती है कि नंद से आया यह  समूह गुजरात से ही महाराष्ट्र  और राजस्थान  में भी है 

गोकुल , में मथुरा जिले ,  को छोड़ते हुए अपने रास्ते पर सौराष्ट्र के माध्यम से  द्वारका तक आये और भरुच के समीप वर्ती  क्षेत्रों में अपना पढ़ाब डाल दिया । 

__________________________________  इतिहास कार सुदीप्त मित्रा ने माना कि सिंध के मुस्लिम आक्रमण से दूर रहने की इच्छा के कारण गुजरात में उनके कदम का अनुमान लगाया गया है । 

और यह समय  961 ईस्वी  है तब ये भरुच कच्छ से  उत्तरी शहर बनासकांठा पहुंचे और बाद में सौराष्ट्र और अन्य क्षेत्रों में फैल गए। 


शनिवार, 26 सितंबर 2020

जादौन उत्पत्ति ...

करौली के जादौनों का उदय  आठवीं सदी के उत्तरार्द्ध  नवीं सदी के पूर्वार्द्ध में  मथुरा के यादव शासक ब्रह्मपाल अहीर से हुआ जो दशवें अहीर राजा थे ।⬇🔄

राजा धर्मपाल बाद ईस्वी  सन्  879 में इच्छपाल (ऋच्छपाल) मथुरा के शासक हुए ।

 इनके ही दो पुत्र थे  प्रथम  पुत्र ब्रहमपाल जो मथुरा के शासक थे  हुए दूसरे पुत्र विनयपाल  जो महुबा (मध्यप्रदेश) के शासक हुए 

विजयपाल भी करौली के यादव अहीरों की जादौंन शाखा का मूल पुरुष/ आदि पुरुष/ संस्थापक विजयपाल माना गया परन्तु इतिहास में  ब्रह्मपाल ही मान्य हैं 

 विजयपाल जिसने 1040 ईस्वी में अपने राज्य की राजधानी मथुरा से हटाकर बयाना
( विजय मंदिर गढ़) को बनाया ------------

शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

कर्म और पूरक की वाक्य में विभाजन रेखा ...The dividing line in the sentence of Object and complement ...

व्याकरण में पूरक और कर्म में  मुख्य अन्तर  यह है कि  व्याकरण में कर्म और पूरक दौनों की भूमिका विभाजित है ...
कर्म कर्ता के क्रिया की कारवाही से प्रभावित होता है अथवा कर्ता की क्रिया का फल जिस पर पड़ता है...
वह होता है जबकि पूरक वाक्य की क्रिया को पूर्णता प्रदान करता है ...
और यह कर्म अथवा कर्ता के विशेषण रूप में अतिरिक्त सूचनाऐं जोड़ता है यह विशेषण का एक भाग है 
दूसरे सरलत्तम शब्दों में कर्म वह है जो पूरक होते हुए भी विषय ( कर्ता )की कार्रवाई से प्रभावित होता है और यह वस्तुत: विशेषण के एक रूप का एक हिस्सा होता है आमतौर पर  पूरक क्रिया का अनुसरण करता है ।
The main difference between complement and object in grammar is that the role of karma and complementary rougha in grammar is divided ...

The action of the Karma is affected by the action of the Karta or the fruit of the action of the Karta which falls on ...

That is, while the complement gives perfection to the verb of the sentence ...

And it adds additional information in the adjective form of karma or doer. It is a part of the adjective

In other simplest terms, karma is that which, while being complementary, is affected by the action of the subject (subject) and is actually a part of a form of adjective, usually followed by the complementary verb.


और विषय या कर्म के बारे में अधिक जानकारी जोड़ता है।
भाषा के व्याकरण और वाक्य रचना में, हम इसे विभिन्न शब्दों में पाते हैं।
अंग्रेजी व्याकरण में कर्म और पूरक दो ऐसे शब्द हैं। जो वाक्य के मुख्य भागों में शामिल हैं, 
अधिकांश भाषा उपयोग-कर्ता इन निर्देशों के बारे में भ्रमित हो जाते हैं कि कर्म क्मया है ? पूरक क्या है ?
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अब अंग्रेजी भाषा के व्याकरण के आधार पर कर्म और पूरक की विवेचना प्रस्तुत है :-

कैम्ब्रिज डिक्शनरी के अनुसार " अंग्रेजी व्याकरण में एक कर्म को एक संज्ञा या संज्ञा वाक्यांश के रूप में परिभाषित किया जाता है जो क्रिया' की कार्रवाई से प्रभावित होता है "।

संक्षेप में, एक कर्म वह है जो विषय या कर्ता  की कार्रवाई से प्रभावित होता है।

अंग्रेजी व्याकरण में मूल वाक्यविन्यास या वाक्य संरचना है निम्न है ⬇

विषय + क्रिया + कर्म।

तो कर्म वह है जो वाक्य के बाद के अधिकांश भाग पर आता है, आमतौर पर क्रिया के बाद।
उदाहरण के लिए, मेरे भाई ने यह पत्र लिखा था।

एक कर्म एक संज्ञा, सर्वनाम या एक उपवाक्य भी हो सकता है।

उपरोक्त वाक्य में, कर्म "यह पत्र ", एक संज्ञा है।
किसी वाक्य में कर्म को पहचानने का सबसे आसान तरीका है कि वाक्य के क्रिया के साथ 'क्या' अथवा "किसको" पूछें।

उपरोक्त वाक्य में उदाहरण के लिए, क्या लिखा? उत्ततर मिला - निबंध (कर्म ) हालाँकि, ऐसे वाक्य भी हैं जो किसी कर्म को प्रयुक्त क्रिया के रूप के अनुसार नहीं ले जाते हैं जो 
यह विशेष रूप से अनियमित और अकर्मक क्रियाओं के साथ होता है।
उदाहरण के लिए,
1- वह तेजी से भागी  2-अभी वह गा रहा था।
3-जोरदार बारिश होने लगी।

इसके अलावा (कर्तृ वाच्य)  को एक (कर्म वाच्य) बनाने के लिए, एक कर्म एक आवश्यकता बन जाती है।

उदाहरण के लिए:-
 कर्तृ वाच्य➡  चावल खाता है -कर्म वाच्य➡ चावल उसके द्वारा खाया जाता था ।

उसने इस कृति को चित्रित किया - यह कृति उसके द्वारा चित्रित किया गया ।

कर्ता पूरक और कर्म पूरक।

कर्म पूरक एक ऐसा उपवाक्य है जो अतिरिक्त जानकारी को प्रत्यक्ष कर्म में जोड़ता है।

लेकिन इसे अप्रत्यक्ष कर्म के साथ भ्रमित न करें,
क्यों कि यह कर्म का विशेषण वनकर आता है 
जबकि अप्रत्यक्ष कर्म की स्वतन्त्र सत्ता होती है 
जो या तो एक संज्ञा या एक सर्वनाम होगा।
जबकि कर्म पूरक:- आमतौर पर एक क्रिया विशेषण या विशेषण आदि का एक हिस्सा होता है ।👇

उदाहरण के लिए: 
1-उन्होंने (गेंद को )किक मारी (जिसे लाल और नीले रंग में रंगा गया) था ।
(यह उपवाक्य कर्म 'गेंद' के बारे में अधिक
 जानकारी  ( जिसे लाल और नीले रंग में रंगा गया ) जोड़ता है ।

•2-मॉनिटर ने (छात्रों के नाम )लिखे (जिन्होंने ड्रिल में भाग नहीं लिया )
(यह कर्म पूरक "छात्रों के नाम"  के कर्म के बारे में अतिरिक्त जानकारी (जिन्होंने ड्रिल में भाग नहीं लिया )  जोड़ता है|

•3-उसने मुझे (व्याकुल ) पाया । 
(क्रिया विशेषण कर्म की स्थिति का वर्णन कर से भागी । 
( इसमें क्रिया विशेषण वाले उपवाक्य में इस विषय पर अधिक जानकारी दी गई है कि विषय 'उसने' किस प्रकार चलने की क्रिया की है)

यह पार्क है शाम को बहुत शांत और आकर्षक.

(यह उपवाक्य इस बारे में अधिक व्याख्या करने वाले विषय को योग्य बनाता है) 
कर्म और पूरक के बीच सम्बन्ध स्पष्ट ही है  पूरक क्रिया का अनुसरण करता है ।
और विषय या कर्म के बारे में अतिरिक्त जानकारी जोड़ता है,

व्याकरण कर्म एक वाक्य में मुख्य भागों में से एक है, जबकि पूरक एक वाक्य का एक मौलिक हिस्सा नहीं बनता है।

हालाँकि, यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पूरक कर्म या कर्ता में अतिरिक्त जानकारी जोड़ता है और इस प्रकार वाक्य को योग्य बनाता है।

कर्म  मुख्य रूप  से एक संज्ञा, एक सर्वनाम या एक उपवाक्य है जबकि एक पूरक एक उपवाक्य का एक हिस्सा है जिसमें , क्रिया विशेषण, विशेषण आदि शामिल हैं।

निष्कर्ष एक वाक्य में विविध व्याकरणिक भाग होते हैं। एक कर्म एक वाक्य का ऐसा मौलिक व्याकरणिक हिस्सा है। 
जब हम एक वाक्य को अधिक जटिल बनाते हैं और इस प्रकार अधिक सार्थक होता है 
तो एक पूरक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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प्रस्तुति करण :- यादव योगेश कुमार " रोहि "

सोमवार, 21 सितंबर 2020

(Causative Verbs ---प्रेरणात्ममक क्रियाऐं )


(Causative Verbs ---प्रेरणात्ममक क्रियाऐं )
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(Causative Verbs )का प्रयोग तब किया जाता है जब किसी कर्ता के द्वारा काम किया नहीं जबकि करवाया जाता है,

 मतलब दूसरे शब्दों में किसी तीसरे व्यक्ति के जरिये से काम को करवाया जाता है, वहाँ पर प्रयोग किया जाता है।

Causative Verbs मुख्य रूप से Get और Make हैं,
जिनका प्रयोग कर्म वाच्य में होता है ...
और कर्म वाच्य में क्रिया का तृतीय रूप आता है .
यद्यपि प्रेरणात्मक क्रियायों का प्रयोग ही सकर्मक होता है 

 आइये इनको ज्यादा उदहारण के द्वारा अच्छे प्रकार से समझे।
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1. Causative Verbs ( GET )
Get का प्रयोग वाक्य में Get को पहला मुख्य क्रिया ( 1st Main verb ) बनाते हैं।

Get को वाक्य में प्रयोग करते समय हमेशा दूसरे मुख्य क्रिया ( 2nd Main verb ) में क्रिया ( Verb ) का "3rd" Form" प्रयोग होता है।

Get को वाक्य में प्रयोग करते समय ध्यान में रखना चाहिए कि अगर क्रिया 3rd Person Singular हो तो वहां पर Get के साथ "s" लगाते हैं।

वाक्य की रचना

कर्ता ( Subject ) + Get + Object +  2nd Main verb क्रिया का 3rd Form

Note यहाँं पर ध्यान देने वाली बात ये है की जब कभी वाक्य यदि Simple Past Tense में Get की 2nd Form Got होगी, या फिर अन्य किसी और Tense में हो तब Get वहाँ पर Tense के हिसाब से परिवर्तन होगा।

उदाहरण

1. उसने पुस्तक लिखवायी।
1. He got the book written.

2. आप राजू को क्यों बुलवाओगे ?
2. Why (will you get) raju called ?

3. तुमने तुम्हारी साइकिल ठीक करवाई।
3. You got your bicycle repaired.

4. हरीश ने एक पत्र लिखवाया।
4. Harish got a letter written.

5. उसने खाना खिलवाया।
5. He got the food eaten.

6. मैं खाना खिलवाता हूँ।
6. I get the food eaten.

7. मैं खाना खिलवा रहा हूँ।
7. I am getting the food eaten.

8. हिमानी खाना खिलवा रही थी।
8. Himani was getting the food eaten.

9. वह खाना खिलवाती है।
9. She gets the food eaten.

10. मैं घर बनवाता हूँ।
10. I get home built.

11. राजेश घर बनवा चूका है।
11. Rajesh has got home built.

12. सुरेश घर बनवा रहा है।
12. Suresh is getting house built.

13. वह घर बनवायेगा।
13. He will get house built.

14. राकेश पुस्तक लिखवाता है।
14. Rakesh gets the book written.

15. मैं पुस्तक लिखवा रहा हूँ।
15. I am getting the book written.

16. तुम अपने बाल कब कटवाओगे ?
16. When will you get your hair cut ?

यहाँ cut में 3rd form है 

17. मैं हर साल अपने घर को रंगवाता हूँ।
17. I get my house painted every year.

18. वह हर साल घर को रंगवा रहा है।
18. He is getting house
       painted every year.

19. मैं पुस्तक लिखवा सकता हूँ।
19. I can get the book written.

20. उसे पुस्तक लिखवाना चाहिए।
20. He should get the book written.
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2. Causative Verbs कारण वाचक/ प्रेरणात्ममक क्रियाऐं- ( Make )💥

मेक क्रिया के अंग्रेज़ी में निम्न अर्थ हैं ।

1-बनाना●
2-स्वभाव
3-शक्ल
4-नमूना
5-रूप
6-आकार
7-निर्माण
8-गठन
9-करना●
10-कमाना
11-मचाना
12-विचार करना
13-प्राप्त करना
14-तैयार करना
15-बना लेना
16-कार्य करना
17-जमा करना
18-बना देना
19-बनना
20-हासिल करना
21-उत्पादन करना
22-रचना करना
23-इकट्ठा करना
24-पढ़ाना
25-सिखाना
26-तालीम देना
27-चोराना
28*उपजाना
29-ख़याल करना
30-निर्मिति
31-निर्माण करना
32-प्रकार

Make का प्रयोग वाक्य में Make को पहला मुख्य क्रिया ( 1st Main verb ) बनाते हैं।

Make को वाक्य में प्रयोग करते समय हमेशा दूसरे मुख्य क्रिया (2 nd Main verb)
में क्रिया ( Verb ) का "1st" Form प्रयोग होता है।

Make को वाक्य में प्रयोग करते समय ध्यान में रखना चाहिए कि अगर क्रिया 3rd Person Singular हो तो वहाँ पर Get के साथ "s" लगाते हैं।

वाक्य की रचना---👇

कर्ता [ Subject ] + Make + Object +  2nd + Main verb क्रिया का "1st" Form

Note :- यहां पर ध्यान देने वाली बात ये है की जब कभी वाक्य अगर( Simple Past Tense) में Make का 2nd Form Made होगा, या फिर अन्य किसी और Tense में हो तब Make वहां पर Tense के हिसाब से परिवर्तन होगा।

उदाहरण👇

1. मैं तुमसे खाना पकवाता हूँ।
1. I make you cook the food.

2. वह मुझसे खाना पकवाता है।
2. He makes  cook the food by me .

3. आपने उसे मुझसेे  पिटवाया।
3. You made me beat by him.

4. उसने मुझसे झूठ बुलवाया।
4. He made me tell a lie.

5. वह मेरे से किताब पढ़वा रहा है।
5. He is making me read the book.

6. राजेश मुझसे लिखवाता है।
6. Rajesh makes me write.

7. जूही मुझसे काम करवाती है।
7. Juhi makes me work.

8. अनिल मुझे बेवकूफ बना रहा है।
8. Anil is making me fool.

9. वह मेरे को आइसक्रीम खिलता है।
9. He makes me eat ice cream.

10. राजू मुझे पानी पिलवा रहा है।
10. Raju is making me drink water.
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Learn causative verb Get with Hindi example sentences
कारण वाचक( प्रेरणात्मक )क्रिया Get सीखें हिन्दी उदाहरण सहित वाक्यों के साथ
1-जाना●
2-होना●
3-प्राप्त करना●
4-पहुँचना
5-कमाना
6-सीखना
7-जनना
8-प्रेरित करना
9-उपलब्ध करना
10-हाथ लगाना
11-दिलवाना ●
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जब हम कोई काम third person से करवाते हैं तब हम get causative verb का प्रयोग करते हैं |
________
इस तरह के sentences में हम get के साथ verb के third form का प्रयोग करते हैं |

third person कौन होता है ?–

english में तीन person होते हैं

पहला जो बात करता है | जैसे I, we

दूसरा जो बात सुन रहा होता है |  जैसे you

तीसरा जो बात करते वक़्त नहीं है |
या जिसके बारे में हम बात करते है | जैसे he, she

example👇

उसे पिटवाओ |
Get him beaten.

उसे यह सन्देश भेज दो |
Get this message sent to him.

कमरे की मरम्मत करवाओ |
Get the room repaired.

ऊपर दिए sentences को पढ़ के आपको अंदाजा हो गया होगा कि get का causative verb की तरह use कब करते हैं |

तीनों sentences में first person second 'person को किसी third person से काम करवाने के लिए कह रहा है |

जब first person second person से काम करने के लिए कहता है तो हम simple order वाले sentence बनाते है जैसे

बुलाओ उसे |
Call him.
बुलवाओ उसे .
He gets him called
पीटो उसे |
Beat him.

जब first person second person से काम किसी तीसरे से काम करवाने के लिए कहता है तो हम get causative verb use करके sentence बनाते है |

इस तरह के sentences में get के साथ  सभी tenses में verb की third form का प्रयोग करते हैं | और tenses के अनुसार सिर्फ get verb में changes होते है |

जैसे
present indefinite में singular subject के साथ get में s या es लगाते हैं |
________________________
Continuous tense में is/am/are और was/were  के साथ get में ing लगाते है और verb की third form ही use करते हैं

past indefinite में got प्रयोग करते हैं | और negative और interrogative sentences में did के साथ get प्रयोग करते हैं |
याद रखें tense कोई भी हो  causative verb get के साथ हमेशा verb की third form use करते हैं |

Future indefinite tense में will के साथ get causative verb प्रयोग करते हैं और verb की third form.

perfect tenses में has/ have और had के साथ got use करते हैं

Perfect continuous tense में has been / have been / had been के will have been साथ get में ing का प्रयोग करते हैं |

जैसे
present indefinite में singular subject के साथ get में s या es लगाते हैं |
और verb की third form का प्रयोग करते हैं |

वह उसे पिटवाता है |
He gets him beaten.

उसे मत पिटवाओ |
Don’t get him beaten.

उसे मत बुलवाओ |
Don’t get him called.

तुम उसे पिटवाते हो |
You get him beaten.

past indefinite में got use करते हैं |
और negative और interrogative sentences में did के साथ get use करते हैं |
_________________________________________
याद रखें tense कोई भी हो causative verb get के साथ हमेशा verb की third form use करते हैं 🔄

तुमने उसे पिटवाया  |
You got him beaten.

क्या तुमने उसे पिटवाया ?
Did you get him beaten?

Future indefinite tense में will के साथ get causative verb use करते हैं और verb की third form.

तुम उसे पिटवाओगे |
You will get him beaten.

Continuous tense में is/am/are और was/were  के साथ get में ing लगाते है और verb की third form ही use करते हैं

तुम उसे पिटवा रहे हो |
You are getting him beaten.

तुम उसे पिटवा रहे थे |
You were getting him beaten.

perfect tenses में has/ have और had के साथ got use करते हैं

तुम उसे पिटवा चुके हो |
You have got him beaten.

तुम उसे पिटवा चुके थे |
You had got him beaten.

Perfect continuous tense में has been / have been / had been के साथ get में ing का प्रयोग करते हैं |

तुम उसे दो घंटे से पिटवा रहे हो |
You have been getting him beaten for two hours.

तुम उसे दो घंटे से पिटवा रहे थे |
You had getting him beaten for two hours.

Daily use sentences of Get causative verb with Hindi translation..
हिन्दी में अनुवाद के साथ कारणवाचक क्रिया गेट  के दैनिक उपयोग के वाक्य ।।
👇

तुमने यह कहाँ करवाया ?
Where'd you get it done?”

आखरी बार तुमने बाल कब कटवाए थे ?
When was the last time you got a haircut?

Get causative verb  के use को सीखकर अपनी English improve करने के लिए आप ऊपर दिए sentences को बोलने की सम्यक् अभ्यास करें |
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पूर्वकालिक क्रिया (Absolutive Verb)- जिस वाक्य में मुख्य क्रिया से पहले यदि कोई क्रिया हो जाए, तो वह पूर्वकालिक क्रिया कहलाती हैं।

दूसरे शब्दों में- जब कर्ता एक क्रिया समाप्त कर उसी क्षण दूसरी क्रिया में प्रवृत्त होता है तब पहली क्रिया 'पूर्वकालिक' कहलाती है।

जैसे- भगत ने नहाकर पूजा की
ऋचा ने घर पहुँचकर फोन किया।
उपर्युक्त वाक्यों में पूजा की तथा फोन किया मुख्य क्रियाएँ हैं। इनसे पहले नहाकर, पहुँचकर क्रियाएँ हुई हैं।
अतः ये पूर्वकालिक क्रियाएँ हैं।

पूर्वकालिक का शाब्दिक अर्थ है-पहले समय में हुई।
पूर्वकालिक क्रिया मूल धातु में 'कर' अथवा 'करके' लगाकर बनाई जाती हैं; जैसे-
चोर सामान चुराकर भाग गया।
व्यक्ति ने भागकर बस पकड़ी।
छात्र ने पुस्तक से देखकर उत्तर दिया।
मैंने घर पहुँचकर चैन की साँस ली।

Absolutive (verb form)
In Indic linguistics, the term absolutive is sometimes used as a synonym of converb.
Polysemy
The term absolutive is also used for a grammatical case (see absolutive case).
Synonyms
gerund: this term is more widely used, e.g., by Tikkanen (1987).
conjunctive participle
converb
See converb for more synonyms.
Origin
Schlegel (1820) first called the Sanskrit converb an "absolute participle", apparently to contrast it with the Latin and Greek participium conjunctum, which agrees with an argument of the main clause in gender, number and case, while the Sanskrit converb does not show any agreement. The term absolutive  originated around the middle of the 19th century in anti-Boppian German-speaking circles (see Tikkanen 1987:37 and Haspelmath 1995:46 for discussion; Franz Bopp used the term gerund).
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   निरपेक्ष या पूर्वकालिक  (क्रिया रूप)
भारतीय भाषाविज्ञान में, निरपेक्ष शब्द का उपयोग कभी-कभी अभिसरण के पर्याय के रूप में किया जाता है।

अनेक अर्थों का  भाव--
निरपेक्ष शब्द का प्रयोग व्याकरणिक मामले (निरपेक्ष मामले को देखने के लिए) के लिए भी किया जाता है।

इसका समानार्थक शब्द gerund:

यह शब्द अधिक व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, 

उदाहरण।
Tikkanen (1987) द्वारा।
संयुक्त कण (कृदन्त) participle
converb


मूल
श्लेगल के द्वारा(1820) में पहली बार संस्कृत को "पूर्ण रूप से कृदन्त" कहा, जो स्पष्ट रूप से लैटिन और ग्रीक प्रतिभागी कंजंक्टम के साथ इसके लिए विपरीत मत  है, जो लिंग, संख्या और मामले में मुख्य खण्ड के एक तर्क से सहमत है।

जबकि संस्कृत अभिसरण नहीं दिखाता है।
अर्थात् कोई भी समझौता।
यह शब्द 19 वीं शताब्दी के मध्य में एण्टी-बोपपियन जर्मन-भाषी हलकों के बीच में उत्पन्न हुआ .

1. Gerund  शब्द  क्रिया-रूप दिखते हैं।
एक अस (ing )पूर्व कालिक क्रिया की तरह दिखती है लेकिन एक  पूर्ण क्रिया की तरह नहीं होती है।

निम्नलिखित वाक्यों में, क्रिया को क्रिया के अलावा किसी अन्य रूपों  में भी उसका उपयोग किया जाता

एल कैपिटन पर चढ़ना सवाल से बाहर था।

(संज्ञा और वाक्य का विषय)
तालियों की गड़गड़ाहट से उसके पांव फूल गए। 

(विशेषण)

मैं जमे हुए मटर को तुच्छ समझता हूं।

 (विशेषण)
उन्होंने कृषि विज्ञान का अध्ययन करने का इरादा किया। 

(संज्ञा और प्रत्यक्ष वस्तु)।
क्रिया के तीन प्रकार हैं:

1-Gerunds (-ing रूपों जो संज्ञा के रूप में कार्य करते हैं)
प्रतिभागी (वर्तमान या पूर्व कृदन्त क्रिया क्रिया विशेषण के रूप में कार्य करते हैं)

2-इनफ़िनिटिव (क्रिया के मूल रूप से पहले, यह एक संज्ञा, विशेषण या असतत के रूप में कार्य कर सकता है)
जेरण्ड (Gerund) वाक्यांश संज्ञा हैं।
एक जेरुंड एक क्रियात्मक संज्ञा है जो वास्तव में संज्ञा के रूप में कार्य करती है। 
किसी वाक्य के विधेय (क्रिया के भाग) में प्रयुक्त होने वाली कोई भी क्रिया एक सहायक क्रिया के साथ होनी चाहिए जैसे कि, है, या है; एक जेरण्ड Gerund में इस सहायक की कमी है।

नतीजतन, एक जेरण्ड क्रिया के रूप में कभी भी कार्य नहीं कर सकता है, 

लेकिन यह कुछ भी कर सकता है जो एक और संज्ञा कर सकती है।

उदाहरण के लिए, निम्नलिखित जैरण्ड वाक्यांश एक वाक्य का विषय है:

लिटिल योसेमाइट घाटी में बैकपैकिंग अविस्मरणीय थी।

यह एक-शब्द जेरुंड एक क्रिया की प्रत्यक्ष वस्तु है:

हाफ डोम से टकराते हुए टॉम ने रैपलिंग को समझाया।

क्रियाओं को जोड़ने के बाद गेरुंड्स को नामांकित किया जा सकता है (सावधान! 

नीचे वाक्य की क्रिया है, ठोकर नहीं थी। साहसिक नहीं था, स्वयं, ठोकर! पसंदीदा साहसिक ठोकर का हमारा कार्य था):

हमारे पसंदीदा साहसिक मेंढक तालाब जंगल में गहरी ठोकर खा रहा था।

निम्नलिखित जेरुंड वाक्यांश एक पूर्वसर्ग की वस्तु है:

हम तैरते हुए झरने पर बह जाने से चिंतित थे।

प्रतिभागी वाक्यांश विशेषण हैं।
सहभागी क्रिया - शब्द या वाक्यांश - विशेषण हैं।

वे वर्तमान participle (-ing) या पिछले participle (-ed या -en) क्रिया रूपों की तरह दिखते हैं।

एक वाक्य के विधेय में प्रयुक्त एक पिछले कृदंत क्रिया को एक सहायक क्रिया के साथ होना चाहिए जैसे कि, है, या है; विशेषण के रूप में कार्य करने वाले प्रतिभागियों या सहभागी वाक्यांशों में इस सहायक की कमी होती है। 

निम्नलिखित सहभागी वाक्यांश में संज्ञा भालू का वर्णन है:

घुरघुराना और नोच-खसोट करना, भालू हमारे निलंबित खाद्य बैग के लिए टिपटो पर पहुंच गया।

ऊपर, निलंबित एक पिछले कृदंत एक विशेषण के रूप में कार्य कर रहा है। नीचे, जमे हुए और सहभागी वाक्यांश प्रस्तुत करना:

प्रत्याशा में जमे हुए, हमारी मद्धम सांसें कर्कश ध्वनि कर रही हैं, हमने भालू को पेड़ की ओर रस्सियों से चढ़ते हुए देखा।
प्रत्याशा में जमे हुए हम सर्वनाम को संशोधित करते हैं। दूसरी ओर, कर्कश ध्वनि बनाना सांस को संशोधित करता है। Muffled एक सहभागी विशेषण है जो सांस का वर्णन भी करता है।

विभक्ति वाक्यांश संज्ञा, विशेषण या क्रिया विशेषण हैं


OTHER PHRASES: VERBAL, APPOSITIVE, ABSOLUTE

A phrase is a group of words that lacks a subject, a predicate (verb), or both. The English language is full of them: under his supervision, apple trees in blossom, having completed the soccer season. You are probably familiar with prepositional phrases--they begin with prepositions, end with nouns (or pronouns), and they describe, or modify, a particular word in the sentence: along the Yahi Trail, above Salmon Hole.
(For more, see the TIP Sheet "Prepositions and Prepositional Phrases.") But other kinds of phrases also enrich the English language: verbal, appositive, and absolute phrases.
1. Verbals are verb look-alikes.
A verbal looks like a verb but does not act like a verb. In the following sentences, verbals are used as something other than verbs:
Climbing El Capitan was out of the question.  (Noun and subject of the sentence)
The applauding crowd rose to its feet. (Adjective)
I despise frozen peas. (Adjective)
He intends to study agricultural science. (Noun and direct object).

There are three kinds of verbals:
1-Gerunds (-ing forms that function as nouns)
2-Participles (present or past participle verb forms that function as adjectives)
3-Infinitives (the root form of a verb preceded by to;
it can function as a noun, adjective, or adverb)
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Gerund phrases are nouns.
A gerund is an -ing verb form that actually functions as a noun. Any -ing verb used in the predicate (part of the verb) of a sentence must be accompanied by a helper verb such as is, was, or has been;
a gerund lacks this helper.
As a result, a gerund can never function as a verb, but it can do anything another noun can do. For example, the following gerund phrase is the subject of a sentence:

Backpacking in Little Yosemite Valley was unforgettable.

This one-word gerund is the direct object of an action verb:

Tom explained rappelling as we clambered up Half Dome.

Gerunds can be predicate nominatives after linking verbs (careful! The verb of the sentence below is was, not was stumbling. The adventure was not, itself, stumbling! The favorite adventure was our act of stumbling.):

Our favorite adventure was stumbling upon Frog Pond deep in the forest.

The following gerund phrase is the object of a preposition:

We worried about being swept away over the waterfall as we swam.

Participial phrases are adjectives.
Participial verbals--words or phrases--are adjectives. They look like present participle (-ing) or past participle
(-ed or -en) verb forms. A past participle verb used in the predicate of a sentence must be accompanied by a helper verb such as has, had, or have; participles or participial phrases functioning as adjectives lack this helper.
The following participial phrase describes the noun bear:

Grunting and snuffling noisily, the bear reached on tiptoe for our suspended food bags.

Above, suspended is a past participle form functioning as an adjective. Below, frozen and making introduce participial phrases:

Frozen in anticipation, our muffled breath making scarcely a sound, we watched the bear ascend the tree toward the ropes.

Frozen in anticipation modifies the pronoun we. Making scarcely a sound, on the other hand, modifies breath. Muffled is a participial adjective also describing breath.

Infinitive phrases are nouns, adjectives, or adverb
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 This grammatical message is explained by Yadav Yogesh Kumar "Rohi", 

so suggestions for Amendment are invited !

यदि कर्तृ वाच्य की क्रिया हो तो तो मेक (Make ) या Cause लगाया जाता है मेक के बाद to नही लगाते है cause के बाद to लगाते हैं 
जैसे 1- उसने प्रभु को रिझाया ( He made the god praise . अथवा He caused the god to praise .
यहाँ  द्वित्तीय क्रिया में सदैव 1st form ही आती है 

नियम 2- यदि क्रिया कर्म वाच्य की हो तो Get या have का प्रयोग होता है कर्म सजीव living हो तो have और निर्जीव हो तो Get का प्रयोग होता है  और हमेशा कर्म वाच्य होने से इन दौनों  प्रेरणात्मक क्रियायों के साथ past participle भूत कालिक कृदन्त के रूप में क्रिया 3form आती है ...
जैसे 1- मैने एक पत्र लिखवाया ( l got a letter written . 

मैंने हरि से यह पत्र लिखवाऊँगा .
l will get this letter written by Hari.
यहाँ मुख्य क्रिया में  written में (3form) है 
मैं गाड़ी को तेज दौड़ाऊँगा .
lwill make the van run fast .
यहाँ भी Run lllfom है 

1-मैने अपना काम करवा लिया है .
I have got my work done .

2-यह काम मोहन से करवाओ .
Get this work done by Mohan.
Have this work done by mohan.

मैने मोहन से काम करवाया .
I got work done by Mohan.
यहाँ got का प्रयोग मुख्य रूप में भूत काल में है  
जबकि डन Done तो तृतीय अवस्था के रूप में गेट और हेव के साथ आता ही है .

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रविवार, 20 सितंबर 2020

अबीर प्राचीन यूनान

Abii अबी ( अबीर) ( प्राचीन यूनानी : Ἄβιοι ) संभवतः एक प्राचीन लोगों कई प्राचीन लेखकों द्वारा वर्णित थे। उन्हें टॉलेमी द्वारा सिस्टिया अतिरिक्त इमाउम के चरम उत्तर में , हिप्पोफेगी ("घोड़े खाने वालों") के पास रखा गया था; लेकिन इस बारे में बहुत अलग राय है कि क्या वे अस्तित्व में थे। स्ट्रैबो अपने समय तक अबी का सम्मान करते हुए विभिन्न रायों पर विचार करता है। [1]

में इलियड , [2] होमर का प्रतिनिधित्व करता है ज़ीउस , के शिखर सम्मेलन पर Mount Ida , ग्रीक शिविर से पहले लड़ाई से उसकी आँखें दूर मोड़, और Thracians की भूमि पर नीचे देख के रूप में: Μυσῶν τ ἀγχεμάχων, καὶ ἀγαυῶν ἱππημολγῶν, γλατέοφάγων, γν κτ κιιαιοἀν ἀνθρ .ν। प्राचीन और आधुनिक टिप्पणीकारों ने इनमें से कौन से शब्दों को उचित नामों के रूप में लिया है, पहले दो को छोड़कर, इसमें लगभग संदेह है, जो लगभग सभी मैसूरियन ऑफ थ्रेस को संदर्भित करने के लिए सहमत हैं । तथ्य है कि कवि के महान खानाबदोश लोगों को जो मैदान पश्चिमोत्तर बसे हुए के खातों और उत्तर सुना था प्रतीत होता है Euxine(काला सागर), जिसकी सम्पूर्ण सम्पत्ति उनके झुंडों में, विशेषकर घोड़ों की, जिसके दूध पर वे रहते थे, और जो प्रकृति की स्थिति की मासूमियत को बनाए रखने वाले थे; और इसलिए, वह इस तरह के विवरणों के अनुकूल एपिथैट्स द्वारा सामूहिक रूप से बोलता है, और बाकी के बीच, poorιοι, गरीब, जीवन के डरावने साधनों (ἀ- और ςοant से) के रूप में। [३] लोगों ने इस प्रकार हाइपरबोरियंस का सम्मान करते हुए बाद की धारणाओं का उत्तर दिया , जिसका नाम होमर में नहीं है। बाद में, होमर द्वारा इस कथित आदिम लोगों के लिए लागू किए गए एपिसोड को उचित नामों के रूप में लिया गया था, और स्काइथियन के विभिन्न जनजातियों को सौंपा गया था, ताकि हमारे पास स्काईथे अगवी, हिप्पेमोलगी, गैलेक्टोफेगी (और गैलेक्टोपॉटी) और अबी का उल्लेख हो। अंतिम का उल्लेख एक विशिष्ट व्यक्ति के रूप में किया जाता हैएशाइलस , जो नाम के लिए एक guttural उपसर्ग करता है, और गैबी को पुरुषों के सबसे न्यायपूर्ण और मेहमाननवाज के रूप में वर्णित करता है, जो अनछुए पृथ्वी के स्व-बोए गए फलों पर रहते हैं; लेकिन हमें इस बात का कोई संकेत नहीं है कि उसने उन्हें कहां रखा है। उन टिप्पणीकारों में से, जो होमर में एक उचित नाम के लिए शब्द लेते हैं, कुछ उन्हें थ्रेस में रखते हैं, कुछ सिथिया में, और कुछ (भी शानदार) ऐमज़न्स के पास , जिन्होंने व्यर्थ में उन्हें एशिया के खिलाफ एक अभियान में भाग लेने का आग्रह किया। [4]

Classicist और भाषाविद् स्टीव रीस होमर के बीच एक दिलचस्प संघ का प्रस्ताव किया है Abii और Aeschylus ' Gabii । उनका प्रस्ताव है कि इलियड 13.6 में होमर ने ιιοι से गामा को गिरा दिया, जो जनजाति के नाम से जाना जाता था, जो कि ऐशचिलस, नाजुक। 196, अपने सही और मूल रूप में होमर के अलावा अन्य स्रोत से। कहने का तात्पर्य यह है कि, होमर ने पहले के शब्द ιιοι को Ἄβ ’sayιοι के माध्यम से मेटानैलिसिस या शब्दों के माध्यम से समझा। होमर की प्रेरणा उनके नाम के कारण उचित नामों में व्युत्पत्ति संबंधी महत्व खोजने के लिए हो सकती है: यानी, वह अल्फा-प्राइवेटेटिव प्लस (α ("बिना हिंसा") से निकले, उन लोगों के लिए एक उपयुक्त नाम जिसे वे एक ही मार्ग में कहते हैं "पुरुषों का औचित्य" । " [५] यदि यह सही है, तो नाम अबीहोमर से विशेष रूप से प्राप्त किया गया था। [6]

संवाददाता शानदार लोगों की तरह, हाइपरबोरी, अबी के स्थानों को उत्तर के अज्ञात क्षेत्रों में आगे और आगे के ज्ञान के रूप में स्थानांतरित कर दिया गया है। अलेक्जेंडर के अभियान के इतिहास में हमें बताया जाता है कि राजदूत अबी स्कैथे से मारकंडा ( समरकंद ) में आए थे, एक जनजाति जो साइरस के समय से स्वतंत्र थी, और अपने न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण चरित्र के लिए प्रसिद्ध थी; [[] लेकिन इस दूतावास को भेजने वाले सीथियन की जनजाति का विशिष्ट नाम संभवतः सिकंदर की विजय द्वारा पुरानी पौराणिक भूगोल को चित्रित करने के लिए किए गए प्रयासों का एक उदाहरण है। इन खातों में उनके सटीक इलाके का संकेत नहीं दिया गया है: अम्मीयनस मार्सेलिनस ने उन्हें हरकेनिया के उत्तर में रखा है ।[ Us ] बीजान्टियम के स्टेफ़नस ने उन्हें एक अज्ञात अज्ञात नाम की नदी, अबियानस , जो कि नालियों को Euxine के लिए रखा है, पर रखता है । [9]

टिप्पणियाँसंपादित करें

  1. ^ स्ट्रैबो, बुक VII, अध्याय 3, छंद 2-9।
  2. ^ इल। 13.5, 13.6।
  3. ^ अधिक जानकारी के लिए, देखेंAry- डिक्शनरी में शब्दकोश की परिभाषा औरके शब्दकोश परिभाषा βίος विक्षनरी पर।
  4. ^ यूथथ। विज्ञापन Il Steph। BYZ। , sv svιοι
  5. ^ रीस, स्टीव, "द आईकॉनटिक्स एंड द आईकॉटिक: एन एशेलियन सॉल्यूशन टू ए होमरिक प्रॉब्लम," अमेरिकन जर्नल ऑफ फिलोलॉजी An_Aeschylean_Solution_to_a -Homeric_Problem 122 (2001) 465-470।
  6. ^ अबी के लगभग सभी बाद के संदर्भ इलियड 13.6पर टीकाओं में पाए जाते हैं, या वे इस होमिक मार्ग के लिए शिथिल गठजोड़ में एम्बेडेड होते हैं: इफोरस, फिलोस्टेफैनस, एरिस्टार्चस, एपोलोडोरस, पॉज़िडोनियस, निकोलस, एपोलोनियस सोफिस्टा, डिडियनस, एपियन, फिलो, स्ट्रैबो हेरोडियन, डायोनिसियस पेरीगेट्स, अम्मीअनस मार्सेलिनस, स्टोबियस, हेसिकियस, स्टेफ़नस ऑफ़ बायज़ांटियम, फोटियस, एइट्मोलोगिकम जेनुइनम, इल्मोलोगिकम सिमोनीस, इट्टोलोग्लिकम मैग्नम, यूस्टाथियस। यहां तक ​​कि उन संदर्भों को जो मुख्य रूप से अबी के साथ संबंध रखते हैं एक वास्तविक ऐतिहासिक जनजाति के रूप में नाम आकर्षित करते हुए दिखाई देते हैं, कम से कम, और आमतौर पर जनजाति की कुछ विशेषताओं के साथ-साथ, चाहे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, होमर से: डायोफैंटस, कॉर्नेलियस अलेक्जेंडर, पॉसिडोनियस, स्ट्रैबो, एरियन, क्विंटस कर्टियस रूफस, क्लॉडियस टॉलेमीस। , फिलोस्ट्रैटस, एपिफेनिसियस।
  7. ^ एरियन , द एनाबासिस ऑफ अलेक्जेंडर 4.1; क्विंटस क्यूरीटस रूफस , हिस्ट्रीज़ ऑफ़ अलेक्जेंडर द ग्रेट , 7.6
  8. ^ रेस गस्टे , 23.6
  9. ^ चरण। BYZ। , sv svιοι

 यह लेख सार्वजनिक क्षेत्र में अब प्रकाशन से पाठ को शामिल करता है :  स्मिथ, विलियम , एड। (1854-1857)। "अबी"  । ग्रीक और रोमन भूगोल का शब्दकोश । लंदन: जॉन मरे।

आर्य सिद्धान्त का विश्लेषण ....

आर्य

ईरानी लोग पहली बार 9 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में असीरियन रिकॉर्ड में दिखाई देते हैं । में शास्त्रीय पुरातनता , वे मुख्य रूप से में पाए गए Scythia (में मध्य एशिया , पूर्वी यूरोप , बाल्कन और उत्तरी काकेशस और) फारस (में पश्चिमी एशिया )। वे प्रारंभिक काल से " पश्चिमी " और " पूर्वी " शाखाओं में विभाजित थे, क्रमशः फारस और सिथिया के क्षेत्रों के अनुरूप। 1 सहस्राब्दी ईसा पूर्व तक, मेड्स , पर्सियन , बैक्ट्रियन और पार्थियनईरानी पठार को आबाद किया , जबकि अन्य लोगों जैसे कि सीथियन , सरमाटियन , सिम्मेरियन और एलन ने काला सागर और कैस्पियन सागर के उत्तर में , जहाँ तक पश्चिम में ग्रेट हंगेरियन मैदान है, आबाद किया । साका जनजातियों दूर-पूर्व में मुख्य रूप से बने रहे, अंत में के रूप में के रूप में सुदूर पूर्व प्रसार ओर्डोस डेजर्ट ( उत्तर - मध्य चीन )।


यह लेख  आर्य  सिद्धान्त  के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक अवधारणा के बारे में है। "

आर्यन ( / ɛər i ə n / ) [1] 
आर्य मूल रूप से, एक स्वयं पद से के रूप में इस्तेमाल एक वीरता मूलक विशेषण शब्द भारतीय और ईरानी लोगों "गैर इंडो-आर्यन" या "गैर ईरानी" के विपरीत, प्राचीन काल में लोगों में था। [2] [3] 

प्राचीन भारत , अवधि  में  देवोपासकों ārya- द्वारा इस्तेमाल किया गया था इंडो-आर्यन वक्ताओं का वैदिक काल को खुद के लिए एक धार्मिक लेबल, साथ ही भौगोलिक क्षेत्र के रूप में जाना के रूप में आर्यावर्त , जहां भारतीय-आर्य संस्कृति में उभरा । [४] [५] इसी प्रकार, प्राचीनईरानी लोगों शब्द का प्रयोग किया airya में खुद के लिए एक जातीय लेबल के रूप में - अवेस्ता शास्त्रों प्रकल्पित मध्य एशियाई क्षेत्र, की चर्चा करते हुए Airyanem Vaejah , [6] 
से जड़ रूपों व्युत्पत्ति स्थानों के नाम का स्रोत ईरान और अलानिया ।  [२]

आर्यावर्त, जिसका अर्थ था "आर्यों का घर"

यद्यपि मूल * h theer (y) ós ("किसी व्यक्ति का अपना समूह", एक बाहरी व्यक्ति के विपरीत), प्रोटो-इंडो-यूरोपियन (PIE) मूल की सबसे अधिक संभावना है , [8] आर्य का स्वयं के रूप में उपयोग पदनाम केवल इंडो-ईरानी लोगों के बीच में देखा जाता है, और यह ज्ञात नहीं है कि PIE बोलने वालों के पास एक समूह के रूप में खुद को नामित करने के लिए एक शब्द था। [[] [३] किसी भी मामले में, विद्वानों का कहना है कि प्राचीन काल में भी, "आर्य" होने का विचार धार्मिक, सांस्कृतिक और भाषाई था, नस्लीय नहीं। [९] [१०] [११]

19 वीं शताब्दी में पश्चिमी विद्वानों द्वारा ऋग्वेद में गलत संदर्भों पर आकर्षित करते हुए , शब्द "आर्यन" को आर्थर डी गोबिन्यू के कामों के माध्यम से एक नस्लीय श्रेणी के रूप में अपनाया गया था , जिसकी नस्ल की विचारधारा उत्तरी यूरोपीय "आर्यों" के विचार पर आधारित थी। स्थानीय आबादी के साथ नस्लीय मिश्रण के माध्यम से पतला होने से पहले, जो दुनिया भर में चले गए थे और सभी प्रमुख सभ्यताओं की स्थापना की थी। ह्यूस्टन स्टीवर्ट चैंबरलेन के कामों के माध्यम से , गोबिन्यू के विचारों ने बाद में नाजी नस्लीय विचारधारा को प्रभावित किया, जिसने " आर्य लोगों " को अन्य सांप्रदायिक नस्लीय समूहों से बेहतर रूप में देखा । [12]इस नस्लीय विचारधारा के नाम पर किए गए अत्याचारों ने "आर्यन" शब्द से बचने के लिए शिक्षाविदों का नेतृत्व किया है, जिसे कुछ मामलों में " इंडो-ईरानी " द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है । [13]

शब्द-साधन

अंग्रेजी शब्द "आर्यन" (मूल रूप से "एरियन" वर्तनी) को 18 वीं शताब्दी के दौरान संस्कृत शब्द ) Arya ( आर्य ) [3] से उधार लिया गया था । [१४] [१५] [१६] इसे प्राचीन काल में सभी भारत-ईरानी लोगों द्वारा इस्तेमाल किया गया स्व-पद माना जाता है । [१ [] [१ 18]

मूल

आर्य शब्द का सबसे प्रारंभिक रूप से अनुप्रमाणित संदर्भ में से एक 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व के बीहिस्टन शिलालेख में होता है , जो खुद को " आर्य [भाषा या लिपि]"70) में रचा हुआ बताता है । 

जैसा कि अन्य सभी पुरानी ईरानी भाषा के उपयोग के लिए भी है, शिलालेख के आर्य कुछ और नहीं बल्कि " ईरानी " का संकेत देते हैं । [19]

पुरातत्वविद जेपी मैलोरी का तर्क है कि "एक जातीय पदनाम के रूप में, [आर्यन] शब्द सबसे अच्छी तरह से भारत-ईरानियों तक सीमित है, और सबसे अधिक उत्तरार्ध में जहां यह अभी भी देश ईरान को अपना नाम देता है। [7]

संस्कृत

प्रारंभिक वैदिक साहित्य में, आर्यवर्त ( संस्कृत : आर्यवंश, आर्यों का निवास ) शब्द उत्तरी भारत को दिया गया नाम था, जहाँ भारत-आर्य संस्कृति आधारित थी। मनुस्मृति (2.22) नाम देता है आर्यावर्त करने के लिए "के बीच पथ हिमालय और विंध्य पर्वतमाला, पूर्वी से (बंगाल की खाड़ी) पश्चिमी सागर (अरब सागर) करने के लिए"। [४] [२०]

प्रारंभ में इस शब्द का उपयोग एक राष्ट्रीय नाम के रूप में किया गया था, जो वैदिक देवताओं (विशेष रूप से इंद्र ) की पूजा करते थे और इसके बाद वैदिक संस्कृति (जैसे यज्ञ का प्रदर्शन ) का पालन करते थे। [१४] [२१]

प्रोटो-इंडो-ईरानी

संस्कृत शब्द प्रोटो-इंडो-ईरानी * आर्य- [3] [22] [23] या * आर्यो-, [24] [नोट 1] से आया है , जिसका नाम भारत-ईरानियों द्वारा खुद को नामित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। [25] [3] [टिप्पणी 2] [24] Zend airya 'सम्मानित' और पुराने फारसी ariya भी की derivates हैं * aryo- , [24] और भी कर रहे हैं आत्म पदनाम। [१४] [२६] [नोट ३]

में ईरानी भाषाओं , "की तरह जातीय नामों में पर मूल आत्म पहचानकर्ता जीवन Alans " और " आयरन "। [२ the ] इसी प्रकार, ईरान का नाम आर्यों की भूमि / स्थान के लिए फारसी शब्द है । [29]

भारत-ईरानी : * आर्य-,

अवेस्तन airya- आर्य अर्थ, बड़ा अर्थ में ईरानी,


पुरानी इंडो-आर्यन अरी- जिसका अर्थ है, वफादार, समर्पित व्यक्ति और रिश्तेदारों से जुड़ा हुआ; aryá- अर्थ दयालु, अनुकूल, संलग्न और समर्पित; áry- जिसका अर्थ है आर्यन, जो वैदिक धर्म के वफादार हैं। [8]


प्रोटो-इंडो-यूरोपीय

यह तर्क दिया गया है कि यह शब्द प्रोटो-इंडो-यूरोपीय मूल का है, एक जड़ * h₂er (y) ós ("एक समूह के सदस्य, सहकर्मी, फ्रीमैन") से। [२२] [२३] []] व्युत्पन्न संज्ञान में शामिल हो सकते हैं:

हित्ती उपसर्ग arā- एक ही समूह, सहकर्मी, साथी और दोस्त के अर्थ सदस्य; [8]


केल्टिक * आर्यो- , "फ्रीमैन", [30] [31]

Gaulish : arios , "फ्रीमैन, प्रभु", [30] [31]


ओल्ड आयरिश : आइर, "फ्रीमैन, नेक, प्रमुख", [30] [31]


प्रोटो-नॉर्स : arjosteR "कुलीन, सबसे प्रतिष्ठित" (शायद जर्मनिक * अर्जाज़ से ), 32]


ऐसा माना जाता है कि शब्द itself h iser (y) ós स्वयं रूट * h₂er- से आया है जिसका अर्थ है "एक साथ रखा"। प्रोटो-इंडो-यूरोपियन में मूल अर्थ "इन-ग्रुप स्टेटस" पर स्पष्ट जोर था, क्योंकि बाहरी लोगों से अलग, विशेष रूप से उन पर कब्जा कर लिया और समूह में दास के रूप में शामिल हो गए। जबकि अनातोलिया में , आधार शब्द व्यक्तिगत संबंधों पर जोर देने के लिए आया है, भारत-ईरानी में इस शब्द ने अधिक जातीय अर्थ लिया है। [33]

Oswald Szemerényi द्वारा कई अन्य विचारों की समीक्षा, और प्रत्येक के साथ विभिन्न समस्याएं दी गई हैं । [23] Szemerényi के अनुसार यह शायद युगैरिटिक से एक निकट-पूर्वी ग्रहण है ary , भाइयों। [34]

प्रयोग

विद्वतापूर्ण उपयोग

प्रोटो-इंडो-यूरोपियन : [3] 19 वीं शताब्दी के दौरान, यह प्रस्तावित किया गया था कि "आर्यन" प्रोटो-इंडो-यूरोपियों का स्व-पदनाम भी था, जिसे एक परिकल्पना छोड़ दिया गया है। [3]


"आर्य भाषा परिवार": इंडो-आर्यन भाषाएँ (डार्डिक सहित), ईरानी भाषाएँ और नुरिस्तानी भाषाएँ , [35]


समकालीन उपयोग

नाजीवाद और सफेद वर्चस्व

नॉर्डिक आर्यन की आदर्श विशेषताओं को प्रदर्शित करते हुए अर्नो ब्रोकर की मूर्तिकला डाई पार्टे (द पार्टी) ।

19 वीं शताब्दी के दौरान यह प्रस्तावित किया गया था कि "आर्यन" प्रोटो-इंडो-यूरोपियों का स्व-पदनाम भी था। [३] अनुमानों के आधार पर कि प्रोटो-इंडो-यूरोपीय मातृभूमि उत्तरी यूरोप में स्थित थी, जो १ ९वीं सदी की परिकल्पना थी जिसे अब छोड़ दिया गया है, इस शब्द ने एक नस्लीय अर्थ विकसित किया है। [3]

नाजियों एक नस्लीय अर्थ में लोगों का वर्णन करने के लिए शब्द "आर्यन" का इस्तेमाल किया। नाजी अधिकारी अल्फ्रेड रोसेनबर्ग का मानना ​​था कि नॉर्डिक जाति को प्रोटो-आर्यों से उतारा गया था , उनका मानना ​​था कि उत्तरी जर्मन मैदान पर प्रागैतिहासिक रूप से सूखा पड़ा था और जो अंततः अटलांटिस के खोए हुए महाद्वीप से उत्पन्न हुए थे । [३६] नाजी नस्लीय सिद्धांत के अनुसार , "आर्यन" शब्द ने जर्मनिक लोगों का वर्णन किया है । [३ a] हालाँकि, "आर्यन" की एक संतोषजनक परिभाषा नाज़ी जर्मनी के दौरान समस्याग्रस्त रही। [38]

नाजियों ने शुद्ध आर्यों को " नॉर्डिक जाति " भौतिक आदर्श से संबंधित माना, जो नाजी जर्मनी के दौरान " मास्टर रेस " के रूप में जाना जाता था । [नोट ४] हालाँकि नाजी नस्लीय सिद्धांतकारों का शारीरिक आदर्श आमतौर पर लंबा, निष्पक्ष और हल्के आंखों वाले नॉर्डिक व्यक्ति का था, लेकिन इस तरह के सिद्धांतकारों ने इस तथ्य को स्वीकार किया कि नस्लीय श्रेणियों के भीतर बालों और आंखों के रंग की काफी विविधता मौजूद थी। उदाहरण के लिए, एडॉल्फ हिटलर और कई नाजी अधिकारियों के काले बाल थे और अभी भी आर्य जाति के सदस्य माने जाते थेनाजी नस्लीय सिद्धांत के तहत, क्योंकि किसी व्यक्ति की नस्लीय प्रकार का निर्धारण केवल एक परिभाषित विशेषता के बजाय एक व्यक्ति में कई विशेषताओं के पूर्वनिर्धारण पर निर्भर करता था। [40]

सितंबर 1935 में, नाजियों ने नुरेमबर्ग कानून पारित किया । सभी आर्य रीच नागरिकों को अपने आर्य वंश को साबित करने के लिए आवश्यक था, एक तरीका बपतिस्मा प्रमाणपत्रों के माध्यम से प्रमाण प्रदान करके एक अहेनपास प्राप्त करना था कि सभी चार दादा-दादी आर्य वंश के थे। [41]

दिसंबर 1935 में, नाज़ियों ने जर्मनी में गिरती आर्यन जन्म दर का प्रतिकार करने और नाज़ी युगीनवादियों को बढ़ावा देने के लिए लेबेंसबोर्न की स्थापना की । [42]

अन्य भाषाओं में उपयोग और अनुकूलनसंपादित करें

संस्कृत साहित्य में

में संस्कृत और संबंधित हिंद-आर्य भाषाओं, आर्य का अर्थ है ", एक महान एक एक है जो महान कामों करता है"। आर्यवर्त (" आर्य s का निवास ") संस्कृत साहित्य में उत्तरी भारतीय उपमहाद्वीप का एक सामान्य नाम है। मनुस्मृति (२.२२) " हिमालय और विंध्य पर्वतमाला के बीच का मार्ग , पूर्वी सागर से पश्चिमी सागर तक" का नाम देती है। [४३] भारतीय उपमहाद्वीप में विभिन्न संशोधनों के साथ rya आर्य शीर्षक का प्रयोग किया गया था। खारवेल कलिंग के सम्राट दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में, करने के लिए एक के रूप में जाना जाता है आर्य मेंहाथीगुम्फ़ा के उदयगिरि और खंडगिरि में भुवनेश्वर , ओडिशा । गुर्जर-प्रतिहार 10 वीं सदी में शासकों "शीर्षक से किया गया Maharajadhiraja आर्यावर्त की"। [44] विभिन्न भारतीय धर्म, मुख्यतः हिंदू धर्म , जैन धर्म और बौद्ध धर्म , शब्द का प्रयोग आर्य सम्मान की एक विशेषण के रूप में; इसी तरह का उपयोग आर्य समाज के नाम से मिलता है ।

स्व-पदनाम आर्य का उपयोग उत्तर भारत तक सीमित नहीं था। चोल राज्य के दक्षिण भारतीय सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम ने खुद को आर्यपुत्र (आर्य का पुत्र) की उपाधि दी ।

में रामायण और महाभारत , आर्य सहित कई पात्रों के लिए एक सम्मान के रूप में प्रयोग किया जाता है 

पूरे यूरोप और मध्य पूर्व में इंडो-यूरोपीय भाषा।

अवेस्ता और फारसी साहित्य में

के साथ जुड़े हुए कई अर्थ के विपरीत ārya- में ओल्ड इंडो-आर्यन , पुराने फारसी शब्द केवल एक जातीय अर्थ नहीं है। [४५] [४६] यह इंडो-आर्यन उपयोग के विपरीत है, जिसमें कई माध्यमिक अर्थ विकसित हुए हैं, अर का अर्थ एक आत्म-पहचानकर्ता के रूप में ईरानी उपयोग में संरक्षित है, इसलिए "ईरान" शब्द । Airya मतलब था "ईरानी", और ईरान के anairya [26] [47] का मतलब और इसका मतलब है "गैर ईरानी"। आर्य को ईरानी भाषाओं में एक नाम के रूप में भी पाया जा सकता है, जैसे, एलन और फारसी ईरान और ओससेटियन इर / आयरन[४ itself ] यह नाम स्वयं आर्यन के बराबर है, जहाँ ईरान का अर्थ है "आर्यों की भूमि," [२६] [४६] [४ 46 [४] [४ ९] [५०] [५१] [५२] और उपयोग में रहा है के बाद से सस्सनिद बार। [५०] [५१]

अवेस्ता स्पष्ट रूप से एक जातीय नाम के रूप में airya / airyan का उपयोग करता है (VD 1;। Yt 13.143-44, आदि।), जहां यह इस तरह के रूप में airyāfi भाव में प्रकट होता है; dai dhāvō "ईरानी भूमि, लोग", airyš.šayanŋˊm "ईरानियों द्वारा बसाई गई भूमि", और airyanəm vaējō vaŋhuyāfi; dāityayāfi; "ईरानी खिंचाव ऑफ द गुडाता", ऑक्सस नदी, आधुनिक ūm of दरिया। [४६] पुराने फ़ारसी स्रोत ईरानी के लिए भी इस शब्द का उपयोग करते हैं । पुरानी फ़ारसी जो फ़ारसी भाषा की प्राचीनता के लिए एक वसीयतनामा है और जो ईरान में बोली जाने वाली अधिकांश भाषाओं / बोलियों से संबंधित है जिसमें आधुनिक फ़ारसी , कुर्द भाषाएँ , बालोची, और गिलकी शामिल हैं यह स्पष्ट करता है कि ईरानियों ने खुद को आर्य बताया।

"एयर्या / एयरियन" शब्द शाही पुराने फ़ारसी शिलालेखों में तीन अलग-अलग संदर्भों में दिखाई देता है:

बेइस्तुन में डेरियस I के शिलालेख के पुराने फ़ारसी संस्करण की भाषा के नाम के रूप में


जातीय पर शिलालेख में Darius मैं की पृष्ठभूमि के रूप Naqsh-ए-Rostam और सूसा (डीएनए, DSE) और ज़ैक्सीस मैं से शिलालेख में पर्सेपोलिस (Xph)


आर्यों के भगवान की परिभाषा के रूप में, बेहुरा मजदा , बेहिस्ता शिलालेख के एलामाइट भाषा संस्करण में। [२६] [४६] [४]]


उदाहरण के लिए Dna और Dse Darius और Xerxes में खुद को "एक Achaemenian, एक फारसी का फारसी पुत्र और Aryan का, आर्यन स्टॉक का" बताया गया है। [५३] हालाँकि डेरियस द ग्रेट ने अपनी भाषा को आर्य भाषा कहा था, [५३] आधुनिक विद्वान इसे पुरानी फ़ारसी [५३] कहते हैं क्योंकि यह आधुनिक फ़ारसी भाषा का पूर्वज है । [54]

पुराने फ़ारसी और एवस्तान के प्रमाणों की पुष्टि ग्रीक स्रोतों से हुई है। [४६] हेरोडोटस ने अपने इतिहास में ईरानी मेड्स के बारे में टिप्पणी की है कि: "इन मेड्स को सभी लोगों द्वारा एरियन कहा जाता था;" (7.62)। [२६] [४६] [४]] अर्मेनियाई स्रोतों में, पार्थियन, मेड्स और फारसियों को सामूहिक रूप से आर्य कहा जाता है। [५५] रोड्स के यूडेमस ने दमादसीस (डलाटिसिस पल्मनीडेम १२५ बिस में ड्यूटिटेस एट सॉल्यूशंस) का अर्थ "मैगी और उन सभी ईरानी (ionreion) वंश" से है; डियोडोरस सुकीलस (1.94.2) जोरास्टर (ज़थरास्टस) को अरनोई में से एक मानते हैं। [46]

स्ट्रैबो ने अपनी भूगोल में , मेड्स , पर्सियन, बैक्ट्रियन और सोग्डियन की एकता का उल्लेख किया है : [49]

एरियाना का नाम आगे फारस और मीडिया के एक हिस्से तक बढ़ा दिया गया है , साथ ही उत्तर में बैक्ट्रियन और सोग्डियन तक ; के लिए ये लगभग एक ही भाषा बोलते हैं, लेकिन मामूली बदलाव के साथ।

-  भूगोल, 15.8


शापुर की कमान द्वारा निर्मित त्रिभाषी शिलालेख हमें अधिक स्पष्ट वर्णन देता है। प्रयुक्त भाषाएं पार्थियन , मध्य फ़ारसी और ग्रीक हैं। ग्रीक में शिलालेख कहता है: "अहं ... तू अरियनन नृप नीच इमी" जो "मैं आर्यों का राजा हूं" का अनुवाद है। मध्य फ़ारसी में शापूर कहता है: "मैं एरनशहर का स्वामी हूँ" और पार्थियन में वह कहता है: "मैं आर्यनशहर का भगवान हूँ"। [५०] [५६]

बैक्ट्रियन भाषा का (एक मध्य ईरानी भाषा) शिलालेख महान कनिष्क , के संस्थापक कुषाण साम्राज्य Rabatak में हैं, जिनमें से अफगानिस्तान प्रांत में एक unexcavated साइट में 1993 में खोज की थी बघ्लन , स्पष्ट रूप से आर्य के रूप में इस पूर्वी ईरानी भाषा को दर्शाता है। [५ In [५ can ] इस्लाम के बाद के युग में अभी भी आर्यन (ईरान) शब्द का स्पष्ट उपयोग १० वीं शताब्दी के इतिहासकार हमजा अल-इस्फ़हानी के काम में देखा जा सकता है । अपनी प्रसिद्ध पुस्तक "द हिस्ट्री ऑफ प्रोफेट्स एंड किंग्स" में अल-इस्फ़हानी लिखते हैं, "आर्यन जिसे परस भी कहा जाता है।इन देशों के मध्य में है और ये छह देश इसे घेरते हैं क्योंकि दक्षिण पूर्व चीन के हाथ में है, उत्तर में तुर्क, मध्य दक्षिण भारत है, मध्य उत्तर में रोम है, और दक्षिण पश्चिम और उत्तर पश्चिम है सूडान और बर्बर भूमि "। [59] सभी इस सबूत से पता चलता है नाम आर्य कि" ईरानी "एक सामूहिक परिभाषा, लोगों को संकेतित था (गीजर, पीपी। 167 च .; श्मिट, 1978, पृ। 31) जो संबंधित बारे में जानते थे एक जातीय शेयर करने के लिए, एक आम भाषा बोल रहा है, और उस अहुरा मज़्दा के पंथ पर केंद्रित एक धार्मिक परंपरा रही है। [46]

में ईरानी भाषाओं , "की तरह जातीय नामों में पर मूल आत्म पहचानकर्ता जीवन Alans ", " आयरन "। [ ४ word ] इसी तरह, ईरान शब्द आर्यन की भूमि / स्थान के लिए फारसी शब्द है। [29]

लैटिन साहित्य में

एरियाना शब्द का उपयोग एरियाना को नामित करने के लिए किया गया था, [६०] अफगानिस्तान, ईरान, उत्तर-पश्चिमी भारत और पाकिस्तान सहित क्षेत्र। [६१] १६०१ में फिलेमोन हॉलैंड ने एरियाना के निवासियों को नामित करने के लिए लैटिन एरियनस के अपने अनुवाद में 'एरियंस' का उपयोग किया। यह अंग्रेजी भाषा में एरियन शब्दशः रूप का पहला प्रयोग था । [६२] [६३] [६४] १ ] ४४ में जेम्स काउल्स प्राइसहार्ड ने पहली बार भारतीयों और ईरानी "एरियन" दोनों को इस गलत धारणा के तहत नामित किया कि ईरानियों के साथ-साथ भारतीयों ने भी खुद को आरिया घोषित कर लिया है । ईरानियों ने "आर्यों" के पदनाम के रूप में एयर्या के रूप का उपयोग किया था , लेकिन प्राइसहार्ड ने गलती की थीAria (Oper। Haravia से उत्पन्न होने वाली) "आर्य" का एक पद और संबद्ध के रूप में आरिया जगह-नाम के साथ एरियाना (Av। Airyana), आर्यों के मातृभूमि। [६५] "आर्यों" के एक रूप के रूप में आरिया , हालांकि, केवल इंडो-आर्यों की भाषा में संरक्षित था।

यूरोपीय भाषाओं में

"आर्यन" शब्द का इस्तेमाल नई खोज की गई इंडो-यूरोपीय भाषाओं के लिए किया गया था , और विस्तार से, उन भाषाओं के मूल वक्ताओं । 19 वीं शताब्दी में, "भाषा" को "जातीयता" की संपत्ति माना जाता था, और इस प्रकार इंडो-ईरानी या इंडो-यूरोपीय भाषाओं के बोलने वालों को " आर्य जाति " कहा जाता था, जिसे कहा जाने वाला नाम से विरोधाभासी माना जाता है " सेमेटिक रेस "। 19 वीं शताब्दी के अंत तक, कुछ लोगों के बीच, एक "आर्य जाति" की धारणा नॉर्डिकवाद से निकटता से जुड़ गई , जिसने अन्य सभी लोगों पर उत्तरी यूरोपीय नस्लीय श्रेष्ठता को जन्म दिया। यह " मास्टर रेस " आदर्श दोनों में संलग्न है "नाजी जर्मनी , जिसमें "आर्यन" और "गैर-आर्यन" के रूप में लोगों का वर्गीकरण सबसे सशक्त रूप से यहूदियों के बहिष्कार की ओर निर्देशित था । [६६] [नोट ५] द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक, आर्यन शब्द नाज़ियों द्वारा किए गए नस्लीय विचारधाराओं और अत्याचारों से कई लोगों से जुड़ा हुआ था ।

एक " आर्य जाति " की पश्चिमी धारणाएँ 19 वीं सदी के अंत में और 20 वीं सदी की शुरुआत में प्रमुखता से उभरीं , नाज़ीवाद द्वारा विशेष रूप से एक विचार । नाज़ियों का मानना ​​था कि " नॉर्डिक पीपल्स " (जिन्हें " जर्मनिक पीपल्स " भी कहा जाता है ) एक आदर्श और "शुद्ध नस्ल" का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो उन लोगों के मूल नस्लीय स्टॉक का शुद्धतम प्रतिनिधित्व था जिन्हें तब प्रोटो-आर्यन्स कहा जाता था । [67] नाजी पार्टी ने घोषणा की कि "नोर्डिक्स" सच आर्यों थे, क्योंकि वे दावा किया है कि वे थे और अधिक "शुद्ध" (कम नस्ली मिश्रित) फिर क्या "आर्यन लोगों" कहा जाता था के अन्य लोगों की तुलना में। [68]

इतिहास

19 वीं सदी से पहले

जबकि स्व- डिजाइनकर्ता के रूप में इंडो-ईरानी * आर्य का मूल अर्थ निर्विरोध है, शब्द की उत्पत्ति (और इस प्रकार इसका मूल अर्थ भी) अनिश्चित है। [टिप्पणी 6] भारतीय और ईरानी AR- मूल में एक अक्षर अस्पष्ट, भारत और यूरोपीय से है AR- , ईआर , या या- । [२६] एक प्रोटो-इंडो-यूरोपियन (जैसा कि इंडो-ईरानी के विपरीत है) का कोई भी साक्ष्य "आर्यन" जैसे जातीय नाम नहीं मिला है। इस शब्द का उपयोग हेरोडोटस ने ईरानी मेदों के संदर्भ में किया था, जिसका वर्णन वे उन लोगों के रूप में करते हैं जो "कभी सार्वभौमिक रूप से आर्यों के रूप में जाने जाते थे"। [69]

18 वीं शताब्दी के अंत में अंग्रेजी भाषा में अपनाया गया 'आर्यन' का अर्थ तुलनात्मक भाषाविज्ञान में प्रयुक्त तकनीकी शब्द से जुड़ा था, जिसका अर्थ वही था जो बहुत पुराने ओल्ड इंडो-आर्यन उपयोग में स्पष्ट था , यानी " (भारत के-आर्यन भाषाओं के बोलने वाले ") के एक (स्वयं) पहचानकर्ता के रूप में । [64] [टिप्पणी 7] यह प्रयोग एक साथ एक शब्द है जो (लैटिन और ग्रीक शास्त्रीय स्रोतों में छपी से प्रभावित था Ἀριάνης Arianes प्लिनी 1.133 और स्ट्रैबो 15.2.1-8 में, उदाहरण के लिए), और कहा कि जो दिखाई दिया रूप में ही हो मान्यता प्राप्त ईरानी भाषाओं में, जहाँ यह ईरानी भाषाओं के " (बोलने वालों की) (आत्म-पहचानकर्ता ) थी"। तदनुसार, 'आर्यन' भारत-ईरानी भाषा समूह की भाषाओं को संदर्भित करने के लिए आया था , और उन भाषाओं के मूल वक्ताओं द्वारा विस्तार से । [70]

अवेस्तन

अवधि आर्य प्राचीन में प्रयोग किया जाता है फारसी भाषा में उदाहरण के लिए, ग्रंथों बीसतून 5 वीं शताब्दी ईसा पूर्व, जिसमें फारसी राजाओं से डारियस महान और ज़ैक्सीस "आर्यन शेयर की आर्यों" (के रूप में वर्णित किया गया है आर्य आर्य Chica )। शिलालेख में देवता अहुरा मजदा को "आर्यों का देवता" और प्राचीन फारसी भाषा को "आर्यन" भी कहा गया है। इस अर्थ में यह शब्द प्राचीन ईरानियों की कुलीन संस्कृति को संदर्भित करता है, जिसमें भाषाई, सांस्कृतिक और धार्मिक दोनों पहलू शामिल हैं। [६ ९] १] इस शब्द का जोरास्ट्रियन धर्म में एक केंद्रीय स्थान है जिसमें "आर्यन का विस्तार" हैAiryana Vaejah ) ईरानी लोगों की पौराणिक मातृभूमि और दुनिया के केंद्र के रूप में वर्णित है। [72]

वैदिक संस्कृत

आर्य शब्द का प्रयोग ऋग्वेद में ३४ भजनों में ३६ बार हुआ है । टलागेरी के अनुसार (2000, ऋग्वेद। एक ऐतिहासिक विश्लेषण) " ऋग्वेद के विशेष वैदिक आर्यों इनमें से एक अनुभाग थे प्युरस , जो खुद को बुलाया Bharatas । " इस प्रकार यह संभव है, टलागेरी के अनुसार, कि एक बिंदु पर आर्य किया एक विशिष्ट जनजाति का संदर्भ लें।

हालांकि यह शब्द अंततः एक आदिवासी नाम से व्युत्पन्न हो सकता है, पहले से ही ऋग्वेद में यह एक धार्मिक भेद के रूप में प्रकट होता है, जो उन लोगों से "ठीक से" त्याग करते हैं जो ऐतिहासिक वैदिक धर्म से संबंधित नहीं हैं , बाद के हिंदू धर्म में उपयोग को संरक्षित करते हुए जहां शब्द धार्मिक धार्मिकता या पवित्रता को दर्शाने आता है। में आर वी 9 .63.5, आर्य "महान, पवित्र, धर्मी" के साथ विषम के रूप में प्रयोग किया जाता है Aravan "उदार नहीं, ईर्ष्या, शत्रुतापूर्ण":

ṃndraḥ várdhanto aptúraṛṇ kánvánto víṃvam prryam apaghnánto árāvṇaṃ"द सोमा- बैकड्रॉप्स], प्रत्येक नेक कार्य को करते हुए, सक्रिय, इंद्र की शक्ति को बढ़ाने, ईश्वरविहीन लोगों को दूर कर रहा है।" (ट्रांस ग्रिफ़िथ)

संस्कृत महाकाव्यों

आर्य और अनार्य मुख्य रूप से हिंदू महाकाव्य में नैतिक अर्थों में उपयोग किए जाते हैं । लोगों को आमतौर पर उनके व्यवहार के आधार पर आर्य या अनार्य कहा जाता है। आर्य आम तौर पर एक है जो धर्म का पालन ​​करता है । उद्धरण वांछित ] यह भारतवर्ष या विशाल भारत में कहीं भी रहने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए ऐतिहासिक रूप से लागू है। उद्धरण की आवश्यकता ] महाभारत के अनुसार , एक व्यक्ति का व्यवहार (धन या शिक्षा नहीं) निर्धारित करता है कि क्या उसे आर्य कहा जा सकता है। [[३] [74४]

धार्मिक उपयोग

आर्य शब्द अक्सर हिंदू, बौद्ध और जैन ग्रंथों में पाया जाता है। भारतीय आध्यात्मिक संदर्भ में, यह ऋषियों या उन लोगों पर लागू किया जा सकता है, जिन्होंने चार महान सत्य में महारत हासिल की और आध्यात्मिक पथ पर प्रवेश किया। भारतीय नेता जवाहरलाल नेहरू के अनुसार , भारत के धर्मों को सामूहिक रूप से आर्य धर्म कहा जा सकता है , एक ऐसा शब्द जिसमें भारतीय उपमहाद्वीप (जैसे हिंदू धर्म , बौद्ध धर्म , जैन धर्म और संभवतः हिंदू धर्म ) की उत्पत्ति हुई है । [75]

हिन्दू धर्म

" हे मेरे भगवान, एक व्यक्ति जो आपके पवित्र नाम का जाप कर रहा है, हालांकि एक चांडाल जैसे निम्न परिवार से पैदा हुआ है , जो आत्म-साक्षात्कार के उच्चतम मंच पर स्थित है। ऐसे व्यक्ति ने सभी प्रकार की तपस्या और बलिदान किया होगा। वैदिक साहित्य में, कई बार, तीर्थयात्रा के सभी पवित्र स्थानों में स्नान करने के बाद कई बार। ऐसे व्यक्ति को आर्य परिवार का सबसे अच्छा माना जाता है "( भागवत पुराण 3.33.7)।

मेरे प्यारे भगवान, किसी का व्यावसायिक कर्तव्य आपकी दृष्टि के अनुसार श्रीमद-भागवतम और भगवद गीता में निर्देश दिया गया है, जो कभी भी जीवन के सर्वोच्च लक्ष्य से विचलित नहीं होता है। जो आपकी देखरेख में अपने व्यावसायिक कर्तव्यों का पालन करते हैं, सभी जीवित रहने के लिए समान हैं। संस्थाएं, चलती और गैर-चलती हैं, और उच्च और निम्न पर विचार नहीं करती हैं, उन्हें आर्यन्स कहा जाता है। ऐसे आर्य लोग आपको भगवान के सर्वोच्च व्यक्तित्व की पूजा करते हैं। "(भागवत पुराण 6.16.43)।

स्वामी विवेकानंद के अनुसार , " भौतिक रूप से जन्म लेने वाला बच्चा आर्य नहीं है; अध्यात्म में जन्म लेने वाला बच्चा आर्य है। " उन्होंने आगे मनु स्मृति का उल्लेख करते हुए कहा : " हमारे महान कानून-दाता कहते हैं। मनु , एक की परिभाषा दे रही है आर्य, 'वह आर्य है, जो प्रार्थना से पैदा हुआ है।' प्रार्थना के माध्यम से पैदा नहीं होने वाला प्रत्येक बच्चा महान कानून के अनुसार, नाजायज है: बच्चे के लिए प्रार्थना की जानी चाहिए। वे बच्चे जो शाप के साथ आते हैं, जो दुनिया में फिसल जाते हैं, सिर्फ एक पल में अनजाने में, क्योंकि वह रोका नहीं जा सकता था। - हम इस तरह की संतान की क्या उम्मीद कर सकते हैं? ... "(स्वामी विवेकानंद, पूर्ण वर्क्स vol.8)

स्वामी दयानंद ने 1875 में एक धर्म संगठन आर्य समाज की स्थापना की। श्री अरबिंदो ने शीर्षक के तहत राष्ट्रवाद और अध्यात्मवाद को मिलाकर एक पत्रिका प्रकाशित की।1914 से 1921 तक आर्य

बुद्ध धर्म

मुख्य लेख: आर्य (बौद्ध धर्म)

आर्य ( पालि : अर्या ) शब्द , "महान" या "अतिरंजित" के अर्थ में, एक आध्यात्मिक योद्धा या नायक को नामित करने के लिए बौद्ध ग्रंथों में बहुत बार उपयोग किया जाता है, जो हिंदू या जैन ग्रंथों के लिए इस शब्द का अधिक बार उपयोग करते हैं। बुद्ध के धर्म और विनय हैं ariyassa dhammavinayo । चार नोबल सत्य कहा जाता है catvāry āryasatyāni ( संस्कृत ) या cattāri ariyasaccāni (पाली)। नोबल Eightfold पथ कहा जाता है āryamārga (संस्कृत, भी āryāṣṭāṅgikamārga ) या ariyamagga (पाली)।

में बौद्ध ग्रंथों , आर्य पुद्गल (पाली: ariyapuggala, "महान व्यक्ति") जो लोग बौद्ध हैं सिला (पाली सिला , जिसका अर्थ है 'पुण्य ") और जो आध्यात्मिक उन्नति का एक निश्चित स्तर तक पहुँच चुके बौद्ध पथ एक, मुख्य रूप से जागरण के चार स्तरों या महायान बौद्ध धर्म में, एक बोधिसत्व स्तर ( भूमि )। बौद्ध धर्म से घृणा करने वालों को अक्सर " आर्य " कहा जाता है ।

जैन धर्म

जैन धर्म में , जैन ग्रंथों जैसे पन्नावासुत्त में भी अक्सर आर्य शब्द का प्रयोग किया जाता है ।

19 वी सदी

19 वीं शताब्दी में, भाषाविदों का मानना ​​था कि एक भाषा की उम्र ने इसकी "श्रेष्ठता" निर्धारित की है (क्योंकि इसे वंशानुगत शुद्धता माना गया था)। फिर, इस धारणा के आधार पर कि संस्कृत सबसे पुरानी इंडो-यूरोपियन भाषा थी, और अब (अब अस्थिर होने के लिए जानी जाती है) [76] स्थिति है कि आयरिश mire व्युत्पन्न रूप से "आर्यन" से संबंधित थी, 18 वीं में Adolphe सचित्र ने इस विचार को लोकप्रिय बनाया "आर्यन" पूरे इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार पर भी लागू किया जा सकता है। इस विचार की आधारशिला अब्राहम हैचिन्थ एंकेटिल-डुपरॉन द्वारा रखी गई थी । [77]

विशेष रूप से, जर्मन विद्वान कार्ल विल्हेम फ्रेडरिक श्लेगल ने 1819 में आर्यन समूह के तहत भारत-ईरानी और जर्मन भाषाओं को जोड़ने वाला पहला सिद्धांत प्रकाशित किया था। [३ ९] ] 39] १ Kar३० में कार्ल ओटफ्राइड मुलर ने अपने प्रकाशनों में "एरियर" का उपयोग किया। [79]

आर्यन आक्रमण के सिद्धांत

1840 के दशक में ऋग्वेद के पवित्र भारतीय ग्रंथों का अनुवाद करते हुए , जर्मन भाषाविद् फ्रेडरिक मैक्स मुलर ने पाया कि वह हिंदू ब्राह्मणों द्वारा भारत के एक प्राचीन आक्रमण का प्रमाण मानते थे, एक समूह जिसे उन्होंने "आर्य" कहा था। मुलर अपने बाद के काम में ध्यान देने वाले थे कि उन्हें लगा कि आर्यन एक नस्लीय के बजाय एक भाषाई श्रेणी है। फिर भी, विद्वानों ने दक्षिण एशिया और हिंद महासागर के माध्यम से नस्लीय विजय के अपने स्वयं के दर्शन का प्रस्ताव करने के लिए मुलर के आक्रमण सिद्धांत का उपयोग किया। 1885 में, न्यूजीलैंड के पॉलिमथ एडवर्ड ट्रेगियर ने तर्क दिया कि एक "आर्यन ज्वार-लहर" भारत के ऊपर धुल गई थी और दक्षिण की ओर धकेलती रही, ईस्ट इंडियन द्वीपसमूह के द्वीपों से होते हुए, न्यूजीलैंड के सुदूर तटों तक पहुंच गई।, आर्मंड डी क्वाटर्फ़ेज्स , और डैनियलइस आक्रमण सिद्धांत को फिलीपींस, हवाई और जापान तक बढ़ा दिया, स्वदेशी लोगों की पहचान करते हुए, जो मानते थे कि वे आर्यन के शुरुआती विजेता थे। [80]

1850 के दशक में आर्थर डी गोबिन्यू का मानना ​​था कि "आर्यन" सुझावित प्रागैतिहासिक इंडो-यूरोपीय संस्कृति (1853-1855, मानव दौड़ की असमानता पर निबंध ) के अनुरूप था । इसके अलावा, डी गोबिन्यू का मानना ​​था कि तीन बुनियादी दौड़ें थीं - सफेद, पीला और काला - और बाकी सब कुछ नस्ल की गलतफहमी के कारण था , जो कि डी गोबिन्यू ने तर्क दिया कि अराजकता का कारण था। " मास्टर रेसडी गोबिन्यू के अनुसार, " उत्तरी यूरोपीय "आर्यन" थे, जो "नस्लीय शुद्ध" बने हुए थे। दक्षिणी यूरोपीय (स्पेनियों और दक्षिणी फ्रांसीसी लोगों को शामिल करने के लिए), पूर्वी यूरोपीय, उत्तर अफ्रीकी, मध्य पूर्वी, ईरानी, ​​मध्य एशियाई, भारतीय, वह सभी नस्लीय मिश्रित मानते थे, , और इस प्रकार आदर्श से कम।

1880 के दशक तक कई भाषाविदों और मानवशास्त्रियों ने तर्क दिया कि "आर्य" खुद उत्तरी यूरोप में कहीं उत्पन्न हुए थे। जब भाषाविद कार्ल पेन्का ( डाई हरकुंफ्ट डेर एरियर। नेउ बेइट्रेज ज़ूर हिस्टोरिसचेन एंथ्रोपोलोगी डेर यूरोपोपिसचेन वोल्कर , 1886) ने एक विशिष्ट क्षेत्र को रोशन करना शुरू किया , तो 1886 में इस विचार को लोकप्रिय बनाया कि "आर्यन्स" स्कैंडिनेविया में उभरा था और विशिष्ट नॉर्ड विशेषताओं से पहचाना जा सकता था। गोरा बाल और नीली आँखें। प्रतिष्ठित जीवविज्ञानी थॉमस हेनरी हक्सले ने उनके साथ सहमति व्यक्त की, "ज़ेन्थोच्रोई" शब्द को निष्पक्ष चमड़ी वाले यूरोपीय लोगों के रूप में संदर्भित करने के लिए (जैसा कि गहरे रंग के भूमध्यसागरीय लोगों का विरोध किया गया था, जिसे हक्सले ने "मेलानोक्रोई" कहा था)। [81]

मैडिसन ग्रांट की "नॉर्डिक्स" (लाल), "अल्पाइन" (हरा) और "भूमध्यसागरीय" (पीला) के वितरण की दृष्टि।

विलियम जेड रिप्ले यूरोप में "सेफेलिक इंडेक्स" का नक्शा, द रेस ऑफ यूरोप (1899) से है।

इस " नॉर्डिक रेस " सिद्धांत ने चार्ल्स मॉरिस की द आर्यन रेस (1888) के प्रकाशन के बाद कर्षण प्राप्त किया , जो नस्लवादी विचारधारा को छूता है। इसी तरह का एक औचित्य उसके बाद जॉर्जेस वाचर डी लापौगे ने अपनी पुस्तक L'Aryen et son rôle social (1899, "द आर्यन एंड सोशल रोल") में दिया। "दौड़" के इस विचार करने के लिए, Vacher डी Lapouge समर्थन उसने क्या कहा selectionism , और जो दो उद्देश्य था: पहला, व्यापार संघों के विनाश, माना "पतित" को प्राप्त करने; दूसरा, मनुष्य के "प्रकार" के निर्माण के माध्यम से श्रम असंतोष की रोकथाम, प्रत्येक एक विशिष्ट कार्य के लिए "डिजाइन" (उपन्यास बहादुर नई दुनिया देखें)इस विचार के एक काल्पनिक उपचार के लिए)।

इस बीच, भारत में, ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार ने एक अन्य पंक्ति के साथ डी गोबिन्यू के तर्कों का पालन किया था, और एक बेहतर "आर्यन जाति" के विचार को बढ़ावा दिया था जिसने भारतीय जाति व्यवस्था को साम्राज्यवादी हितों के पक्ष में चुना था । [[२] []३] अपने पूर्ण विकसित रूप में, अंग्रेजों की मध्यस्थता वाली व्याख्या में आर्यन और गैर-आर्यन की एक जातियों को जाति की रेखाओं से अलग कर दिया गया, जिसमें उच्च जातियां "आर्यन" थीं और निचले लोग "गैर-आर्यन" थे। । यूरोपीय विकास ने न केवल अंग्रेजों को खुद को उच्च-जाति के रूप में पहचानने की अनुमति दी, बल्कि ब्राह्मणों को खुद को अंग्रेजों के साथ समान रूप से देखने की अनुमति दी। इसके अलावा, इसने नस्लवादी और विरोध में भारतीय इतिहास की पुनर्व्याख्या को उकसाया,शर्तों। [[२] [83३]

में गुप्त सिद्धांत (1888), हेलेना Petrovna ब्लावत्स्की "वर्णित आर्यन मूल जाति " सात "के पांचवें के रूप में रूट दौड़ ," उनके साथ डेटिंग आत्माओं के रूप में शुरू कर दिया हो रही है अवतार में लाख साल पहले एक के बारे में अटलांटिस । सेमाइट आर्यन मूल जाति का एक उपखंड था। "मनोगत सिद्धांत आर्यन और सेमिट के रूप में इस तरह के विभाजन को स्वीकार नहीं करता है, ... सेमाइट्स, विशेष रूप से अरब, बाद में आर्य हैं - आध्यात्मिकता में पतित हैं और भौतिकता में सिद्ध हैं। ये सभी यहूदी और अरब से संबंधित हैं।" ब्लावात्स्की के अनुसार यहूदी, " टंडालस से उतरी हुई जनजाति थे।"भारत का, "जैसा कि वे अब्राहम से पैदा हुए थे, जिसे वह" नो ब्राह्मण " शब्द का एक भ्रष्टाचार मानते थे । [ they४ ] अन्य स्रोत मूल अवराम या आवराम का सुझाव देते हैं।

के लिए नाम Sassanian साम्राज्य में मध्य फारसी है Eran Shahr जिसका अर्थ आर्य साम्राज्य । [[५] ईरान में इस्लामी विजय के बाद , नस्लीय बयानबाजी ial वीं शताब्दी के दौरान एक साहित्यिक मुहावरा बन गई, अर्थात, जब अरब प्राथमिक " अन्य " बन गए - अनार्य s - और सब कुछ ईरानी (आर्यन) का प्रतिकार और जोरास्ट्रियन । लेकिन "वर्तमान-काल के" के प्राचीन काल के ईरानी अति-राष्ट्रवाद को उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध के आंकड़ों जैसे कि मिर्ज़ा फताली अखुंडोव और मिर्ज़ा अका ख़ान करमानी के लेखन से पता लगाया जा सकता है।। की सर्वोच्चता के प्राच्य विचारों के साथ आत्मीयता दिखाते आर्यन लोगों और की सामान्यता सामी लोगों , ईरानी राष्ट्रवादी प्रवचन आर्दश पूर्व इस्लामी [ एकेमेनिड और सस्सनिद ] साम्राज्य, जबकि के 'इस्लामीकरण' negating फारस मुस्लिम बलों द्वारा। " [86] 20 वीं सदी में एक सुदूर अतीत के इस आदर्श बनाना के विभिन्न पहलुओं दोनों द्वारा instrumentalized किया जाएगा पहलवी राजशाही (1967 में, ईरान के पहलवी राजवंश [में उखाड़ फेंका 1979 ईरानी क्रांति ] शीर्षक जोड़ा Āryāmehr आर्यों की लाइटईरानी सम्राट की अन्य शैलियों , ईरान के शाह को उस समय पहले से ही शहंशाह ( किंग्स के राजा ) के रूप में जाना जाता था , और इस्लामी गणतंत्र द्वारा इसका पालन ​​किया गया था; पहलवी ने इसे अराजक राजतंत्रवाद की नींव के रूप में इस्तेमाल किया, और मौलवियों ने इसका इस्तेमाल ईरानी मूल्यों के साथ-साथ पश्चिमीकरण को समाप्त करने के लिए किया। [87]

20 वीं सदी

एक intertitle से मूक फिल्म फिल्म एक राष्ट्र का जन्म (1915)। "आर्यन जन्मसिद्ध अधिकार" यहाँ "श्वेत जन्मसिद्ध अधिकार" है, जो "रक्षा" उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में " गोरों " को " रंग " के खिलाफ एकजुट करता है । उसी वर्ष की एक अन्य फिल्म में, द आर्यन , विलियम एस। हार्ट की "आर्यन" पहचान को अन्य लोगों के भेद से परिभाषित किया गया है।

संयुक्त राज्य अमेरिका में, सबसे अधिक बिकने वाली 1907 की पुस्तक रेस लाइफ ऑफ द आर्यन पीपुल्स द्वारा जोसेफ पोमेरॉय विडने ने लोकप्रिय दिमाग में इस विचार को समेकित किया कि "आर्यन" शब्द "सभी इंडो-यूरोपियन" के लिए उचित पहचान है, और वह " आर्यन " अमेरिकियों आर्यन दौड़ "" की "अमेरिका के पूरा करने के लिए किस्मत में हैं प्रकट भाग्य एक के रूप में अमेरिकी साम्राज्य । [88]

गॉर्डन चाइल्ड को बाद में पछतावा होगा, लेकिन आर्यों के चित्रण को एक "श्रेष्ठ भाषा" के अधिकारी के रूप में दर्शाया गया, जो जर्मनी के सीखे हुए क्षेत्रों में राष्ट्रीय गौरव का विषय बन गया (उस पृष्ठभूमि के खिलाफ चित्रित किया गया जो प्रथम विश्व युद्ध हार गया था क्योंकि जर्मनी भीतर से धोखा दिया गया था गलत और समाजवादी व्यापार संघवादियों और अन्य "पतितों" के "भ्रष्टाचार")।

नाज़ी वैचारिक पंथ के प्रमुख आर्किटेक्ट अल्फ्रेड रोसेनबर्ग -एक नस्लीय और सांस्कृतिक पतन के खिलाफ अपने "कुलीन" चरित्र का बचाव करने के लिए नॉर्डिक आत्मा की कथित जन्मजात प्रेरणा के आधार पर, " रक्त के एक नए धर्म " के लिए तर्क दिया गया था। रोसेनबर्ग के तहत, के सिद्धांतों आर्थर डी Gobineau , जॉर्जिस वाचर द लापूज , ब्लावात्स्क्य, ह्यूस्टन स्टीवर्ट चेम्बरलेन , मैडिसन अनुदान , और उन लोगों के हिटलर , [89] सभी में समापन हुआ नाजी जर्मनी के दौड़ नीतियों और " Aryanization"द 1920, 1930, और 1940 के दशक के फरमान। इसके अलावा" भयावह चिकित्सा मॉडल ", के विनाश" नस्ली अवर " Untermenschen एक स्वस्थ शरीर में एक रोगग्रस्त अंग के छांटना के रूप में पवित्र किया गया था, [90] जो करने के लिए नेतृत्व प्रलय ।

अकादमिक छात्रवृत्ति में, कई विद्वानों के बीच "आर्यन" शब्द का एकमात्र जीवित उपयोग " इंडो-आर्यन " शब्द का है, जो इंगित करता है कि "(वक्ताओं की भाषाएं प्राकृत से उतरीं ")। " इंडो-ईरानी भाषा " के पुराने उपयोग का अर्थ " इंडो-ईरानी भाषाओं के बोलने वालों " को " भारत-ईरानी " शब्द से कुछ विद्वानों के बीच रखा गया है ; हालांकि, "आर्यन" का उपयोग अभी भी जोसफ विसेहोफर और लुइगी लुका कैवल्ली सोरज़ा जैसे अन्य विद्वानों द्वारा "इंडो-ईरानी" करने के लिए किया जाता है । "आर्यन" के 19 वीं शताब्दी के अर्थ के रूप में ( भारत-यूरोपीय भाषाओं के देशी वक्ताओं) का उपयोग अब अधिकांश विद्वानों द्वारा नहीं किया जाता है,, और कुछ लेखकों के बीच लोकप्रिय सामूहिक बाजार के लिए लेखन जैसे कि एचजी वेल्स और पौल एंडरसन ।

द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक, कई लोगों के बीच "आर्यन" शब्द ने अपने रोमांटिक या आदर्शवादी अर्थों को खो दिया था और इसके बजाय नाजी नस्लवाद के साथ कई लोग जुड़े थे ।

तब तक, " इंडो-ईरानी " और " इंडो-यूरोपियन " शब्द ने कई विद्वानों की नज़र में "आर्यन" शब्द का सबसे अधिक उपयोग किया था, और "आर्यन" अब केवल शब्द में अधिकांश विद्वानों में जीवित है। " इंडो-आर्यन " उत्तर भारतीय भाषाओं के संकेत (बोलने वाले)। यह एक विद्वान द्वारा कहा गया है कि इंडो-आर्यन और आर्यन की बराबरी नहीं की जा सकती है और इस तरह के समीकरण को ऐतिहासिक साक्ष्य द्वारा समर्थित नहीं किया गया है, [91] हालांकि यह चरम दृष्टिकोण व्यापक नहीं है।

विद्वानों के उपयोग में सभी इंडो-यूरोपीय भाषाओं के बोलने वालों को नामित करने के लिए शब्द के उपयोग को अब कुछ विद्वानों द्वारा "अवहेलना से बचाए जाने" के रूप में माना जाता है। [१३] हालांकि, लोकप्रिय उपभोग के लिए लिखने वाले कुछ लेखकों ने एचजी वेल्स की परंपरा में "सभी इंडो-यूरोपियन" के लिए "आर्यन" शब्द का उपयोग जारी रखा है , [९ ०] [९ ३] जैसे कि विज्ञान कथा लेखक पौल एंडरसन , [९ २] ] और लोकप्रिय मीडिया, जैसे कि कॉलिन रेनफ्रू के लिए वैज्ञानिक लेखन । [95]

"उत्तरी" आर्यों के बारे में 19 वीं सदी की पूर्वग्रह की प्रतिध्वनियां, जो काले बर्बर लोगों के साथ भारतीय भूमि पर टकराई थीं [...] अभी भी कुछ आधुनिक अध्ययनों में सुनी जा सकती हैं। " [९ १] एक सामाजिक-राजनीतिक संदर्भ में, एक सफेद, यूरोपीय आर्य जाति का दावा जिसमें केवल पश्चिमी और पूर्वी भारत के लोग शामिल नहीं हैं, जो यूरोपीय-यूरोपीय लोगों की कुछ शाखाओं द्वारा मनोरंजन किया जाता है, जो आमतौर पर श्वेत राष्ट्रवादियों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो फोन करते हैं यूरोप में गैर-सफेद आप्रवासन को रोकना और संयुक्त राज्य अमेरिका में आप्रवास को सीमित करना । उनका तर्क है कि आप्रवासियों की एक बड़ी घुसपैठ से ऑस्ट्रेलिया में 2005 के क्रोनुल्ला दंगे और फ्रांस में 2005 के नागरिक अशांति जैसे जातीय संघर्ष हो सकते हैं।। आक्रमण सिद्धांत, हालांकि कई विद्वानों द्वारा पूछताछ की गई है। [96]

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टिप्पणियाँ

संदर्भ

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स्पेसर

अंतर्वस्तु

अवेस्ता में आर्यन होमलैंड

आर्यन होमलैंड और पड़ोसी भूमि

अर्ली मेंशन - फरवार्डिन यश

जरथुस्त्र के मंत्रालय की भूमि

बखडी / बल्ख के राजा विष्टस्प

अवेस्ता में सूचीबद्ध राष्ट्र

फारस इंडो-ईरानी की मूल सूची का हिस्सा नहीं है

वेन्दिदाद के सोलह राष्ट्र

राष्ट्रों की सूची में पैटर्न

एयरनाया वैजा और अवेस्ता के अन्य राष्ट्रों के बीच संबंध

आर्यों का प्रवास और आर्य भूमि का विस्तार

1. जमशीदी युग विस्तार। वायुयान वैजा की वृद्धि

2. जमशीदी एरा जलवायु परिवर्तन

3. आर्यन व्यापार

आर्यन व्यापार मार्ग - रेशम मार्ग

4. फेरिडून एरा। पहला आर्य साम्राज्य। एयरन में परिवर्तन

5. अंतर आर्य युद्ध

6. फारसी साम्राज्य

ग्रेटर आर्याना - शास्त्रीय संदर्भ

स्ट्रैबो ग्रेटर आर्याना का विवरण

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आर्यन होमलैंड और पड़ोसी भूमि अवेस्ता में

हिंदू धर्मग्रंथों में आर्यों की मातृभूमि को जोरास्ट्रियन शास्त्रों में वायुयान वेजा कहा जाता है, अवेस्ता और आर्य वर्ता । पहले आर्य राष्ट्रों के संग्रह को एयरयानम दखुयनम कहा जाता था । आर्य भूमि को एयर्यो शयनम कहा जाता है ।

अवेस्ता के साथ-साथ मध्य फ़ारसी पहलवी ग्रंथों जैसे कि लेसर बंडाहिशन, हमें बताते हैं कि आर्यन की मातृभूमि एयरनया वैज, जहाँ ज़रथुस्त्र के पिता रहते थे ( 20.32 ) और जहाँ ज़रथुस्त्र ने पहली बार उनके विश्वास ( 32.3 ) को उजागर किया ।

एयरोना वैजा, जोरोस्ट्रियन शास्त्रों, अवेस्ता की पुस्तकों का उल्लेख करने के अलावा, पड़ोसी देशों और भूमि का भी उल्लेख किया गया है।

ये संदर्भ, वायुयान वेजा में इलाके और मौसम के संदर्भ के साथ, हमें मूल आर्यन मातृभूमि के स्थान के बारे में और साथ ही आर्य लोगों, उनके पड़ोसियों और उनके संबंधों के बारे में जानकारी देते हैं।


भूमि का सबसे पहला उल्लेख - फ़ारवर्डिन यश

जरथुस्त्र के मंत्रालय की भूमि

अवेस्ता का एक अध्याय जिसमें जरथुस्त्र और उनके प्रथम अनुयायियों का सबसे गहन ज्ञान है, यश की पुस्तक का अध्याय 10 का अवेस्ता फरवर्दिन यश है।

यश ( 13.143 और 144 ) उन व्यक्तियों के नामों को सूचीबद्ध करता है जो जरथुस्त्र की शिक्षाओं के पहले "श्रोता और शिक्षक" थे। यश, जरथुस्त्र की शिक्षाओं के इन पहले "श्रोताओं और शिक्षकों" के फ़रावाशियों (आध्यात्मिक आत्माओं) का स्मरण करता है। विशिष्ट नामों के अलावा, यह पाँच राष्ट्रों के साथ-साथ "सभी देशों" के सभी धर्मी लोगों को भी याद करता है। जिन पांच राष्ट्रों का जिक्र किया गया है, वे हैं वायुयान वेजा (जिसे यश में एयर्यानम दखुयनम कहा जाता है) और साथ ही चार पड़ोसी देश भी। पड़ोसी Airyana Vaeja इन चार भूमि हैं Tuirya ,सैनी और दही । चूँकि कई-कई अविनाश संज्ञाओं के लिए एक सामान्य अंत है, राष्ट्रों का नाम भी वायुयान, तुरीयनम, दहिनम, साईरामनम और साईनम है।

जरथुस्त्र के उपदेशों के जीवित ग्रंथों के बाद से, गाथों के भजन, एक भाषा में हैं, हम कह सकते हैं कि यह मानना ​​उचित है कि जरथुस्त्र ने जिन देशों में अपना संदेश फैलाया वे पड़ोसी थे और उसी भाषा और बोली को भी बोलते थे। उनके संदेश (जो पूर्व-जोरास्ट्रियन मान्यताओं का संदर्भ देते हैं) की प्रासंगिकता के लिए, इन लोगों को भी समान, या पूर्व-जोरास्ट्रियन धर्म के रूपांतरों को साझा करने की संभावना है। हम यह कहते हुए इस निष्कर्ष को समाप्त कर सकते हैं कि पांच संस्थापक जोरास्ट्रियन राष्ट्रों ने समान संस्कृति और जातीयता को साझा किया है। आकार के संदर्भ में, हमें इस धारणा के साथ छोड़ दिया जाता है कि उनकी तुलना आज एक प्रांत वाले जिलों से की जा सकती है। जरथुस्त्र के गाथों को यज्ञ के अवेस्तां पुस्तक में रखा गया है। जबकि उनकी भाषा समान है, अन्य छंदों की बोली गाथों से भिन्न है।

वायुयान वेजा के अलावा, फ़ारवर्डिन यश के राष्ट्रों में से कोई भी ज़ोन्डास्ट्रियन देशों की वेंडिडाड की सूची में वर्णित नहीं है । वेंडीडेड जोरास्ट्रियन शास्त्रों की एक पुस्तक है। भले ही वेंडीदाद सूची मीडिया और फारसी के गठन से पहले दो हजार आठ सौ साल से अधिक पुरानी हो, लेकिन राष्ट्र आज सबसे अधिक भाग लेने वाले हैं और हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि वेंडीदाद सूची पांच देशों की सूची से कहीं अधिक आधुनिक है फारवर्डिन यश ने ऊपर दिए गए पैराग्राफ में उद्धृत किया। उन राष्ट्रों ने या तो अपना नाम बदल दिया या अन्य राष्ट्रों के हिस्से बन गए।

उदाहरण के लिए, दही का उल्लेख केवल एक बार राजा ज़ेरक्स की उन देशों की सूची में है जो फारसी साम्राज्य का हिस्सा थे। लेकिन अन्य सूचियों में और स्ट्रैबो जैसे ग्रीक लेखकों के खातों के अनुसार, यह साका राष्ट्रों का एक हिस्सा था, जिनमें से दो फारसी साम्राज्य के हिस्से के रूप में नियमित उल्लेख पाते हैं।

तुरीया की पहचान तुरान से हुई जो बाद में सुग्द के नाम से जानी गई। एक नाम के रूप में दही का अस्तित्व बना रहा, दही एक शक राष्ट्रों में से एक है। हम अभी तक अन्य भूमि की वर्तमान पहचान के रूप में नहीं जानते हैं।

Bakhdhi / बल्ख (बैक्ट्रिया), जिसमें उल्लेख किया गया है फ़िरदौसी का शाहनामा (देखें शाहनामा पेज 30) और अन्य भूमि के बाद की परंपरा के रूप में जहाँ जरथुस्त्र ने अपना संदेश फैलाया, फ़ारवर्डिन यश में इसका उल्लेख नहीं है। हालांकि, कावा विष्टस्प, कावा को बाखडी / बल्ख के कायनियन राजाओं की उपाधि दी जा रही है, का उल्लेख फरवर्दिन यश में है।


बखडी / बल्ख के राजा विष्टस्प

ज़रथुस्त्र के पहले "श्रोताओं और शिक्षकों" की फ़ारवर्डिन यश की सूची में कवीश विष्टस्पे (कावा विष्टस्पे) ( 13.99 ) हैं। यश में, कावा विष्टस्प का एक विशेष स्थान है, जिसके लिए एक कविता समर्पित है। आम एक्सट्रपलेशन यह है कि कावा विष्टस्प काई गुश्तस्प (गुश्तस्प का एक बाद का रूप है), जिसका उल्लेख बाद के ग्रंथों में किया गया है, जिसमें यह भी कहा गया है कि राजा विष्टस्पे / गुश्तस्प की राजधानी बख्शी या बखडी है, जो उत्तरी अफगानिस्तान में वर्तमान बल्ख है।

बाखड़ी को वेंडिडाड में एक राष्ट्र के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, लेकिन फारवर्डिन यश में नहीं। ये बाद के ग्रंथों में हमें यह भी बताते हैं कि जरथुस्त्र की मृत्यु बखडी / बल्ख में हुई, जो एक तुरियन द्वारा मारा गया।

बाल्ख सीधे पामीर पहाड़ों के एक पूर्वी स्पर पर समरकंद के दक्षिण में है। वर्तमान समरकंद और बल्ख के पूर्ववर्ती अवेस्ता की दूसरी पुस्तक (और बाद में) में सूचीबद्ध पहले राष्ट्रों में से एक हैं - वेंडीदाद।


अवेस्ता में सूचीबद्ध राष्ट्र

फ़ारवर्डिन यश के अलावा, अवेस्ता के दो अन्य खंड हमें आर्यों, वेंडीदाद और मेहर यश से जुड़े देशों के नाम प्रदान करते हैं। वेंडीडाड

की एवेस्टन किताब सोलह देशों ( अध्याय 1, 1-16 ) की सूची के साथ शुरू होती है , जो पहले एयरइनेम वैजो या वायुयान वेजा है।

आर्यन मातृभूमि के अलावा अन्य वायुयान वेजा (फरवार्डिन यश में एयर्यानम दखुयनम), वेंडिडाड ने फरवर्दिन यश में उल्लिखित चार अन्य भूमि का उल्लेख नहीं किया है ( ऊपर देखें)। न ही फ़ार्वार्डिन यश ने वेंडिडाड में वर्णित पंद्रह अन्य भूमि में से किसी का उल्लेख किया है। पांच में से तीन फारवर्डिन यश राष्ट्र हमें ज्ञात नहीं हैं। वेंडीदाद के राष्ट्रों को अधिक आसानी से पहचाना जा सकता है। दोनों सूचियों के लिए एकमात्र आम भूमि आर्य मातृभूमि है। यह, अन्य जानकारी समाहित है, और ग्रंथों में इस्तेमाल की गई भाषा हमें इंगित करती है कि फ़ार्वार्डिन यश और वेंडीदाद बहुत अलग-अलग समय पर लिखे गए थे, फ़ार्वार्डिन यश पुराने थे। वेंडिडाड ही शायद 800 ईसा पूर्व से पहले अच्छी तरह से बना था क्योंकि यह फारस या मीडिया ( नीचे भी देखें ) को सूचीबद्ध नहीं करता है , जिससे फारवर्डिन यश एक प्राचीन रचना है। मेहर Yasht

10.13-14 में राष्ट्रों के नाम भी प्रदान करता है। आर्य भूमि को एयर्यो शयनम कहा जाता है। मेहेर यश, मौरम, हैरोउम और सुघ्दम यानी मार्गुश, आरिया और सुगुडा में वर्णित तीन राष्ट्र भी वेंडिडाड सूची का हिस्सा हैं। मेघ यश में गाघ शब्द के साथ सुगमद शब्द जुड़ा हुआ है।

मेहेर यश में कुछ शब्द देशों के नाम हैं, इस पर निर्भर करते हुए कि मेहर यश में एक या तीन अतिरिक्त भूमि का उल्लेख किया जाता है जो वेंडीदाद की सूची का हिस्सा नहीं हैं: खैरिज़म (ख़ैरेज़म (ख़िज़िज़म से संबद्ध)। खोरिज़म को कुछ लेखकों ने पारसी धर्म का मूल घर बताया है। यह संभव नहीं है और ख़ारिजम ने इस प्रतिष्ठा को प्राप्त किया क्योंकि फारस के उदय से पहले एक समय में, आर्यन राष्ट्रों में ख़ारिज़म / ख्वारिज़म / खैरीज़ेम प्रमुख था - और इसकी भूमि का विस्तार प्राचीन लयाना वेजा को शामिल करने के लिए किया जा सकता था। मैहर यश में अन्य दो संभावित राष्ट्र ऐश्केतेम और पोरुतेम हैं (कुछ लेखक मानते हैं कि ये राष्ट्रों के नाम हैं जबकि अन्य मानते हैं कि वे ऐसे शब्द हैं जो पाठ का हिस्सा हैं)।

वेंडीडाड में राष्ट्रों की सूची सबसे अधिक पूर्ण है और एक है जो हमें जानकारी प्रदान करती है जिसका उपयोग हम वायुयान वेजा के स्थान को कम करने में कर सकते हैं।


वेंडिडाड लैंड्स की मूल सूची का हिस्सा फारस नहीं

वेंडीडाड, और वास्तव में पूरे अवेस्ता, फारस या मीडिया का उल्लेख नहीं करता है। ऐसा इसलिए था क्योंकि अविस्तान कैनन बंद होने के बाद फारस और मीडिया राष्ट्र बन गए थे। हालाँकि, आचमेनियन फ़ारसी किंग्स (सी। 700 - 330 ईसा पूर्व) ने बार-बार अपनी आर्य विरासत की घोषणा की।


वेन्दिदाद के सोलह राष्ट्र

वेंडीडाड में सोलह राष्ट्रों की सूची इस प्रकार है:

वेंडिडाड की "अच्छी भूमि और देश"
वेंडीवाद नामवैकल्पिक वर्तनीपुरानी फ़ारसी / पहलवीग्रीक / पश्चिमीवर्तमान नामविशेषताएं: - अच्छा और
बुरा
1. एरण्यम वैजोवायुयान वैजाएयरन वेज (Phl।) ईरान- अच्छा और वैध
- नदी सांप,
  गंभीर सर्दियों में जलवायु परिवर्तन।
2. सुखधो
( तुरीया भी)
सुग्धा
तुरन
सुगुडा (ओपी)Sogdianaसुगड, नॉर्थवेस्ट ताजिकिस्तान,
समरकंद (एसई उजबेकिस्तान)
- अच्छी भूमि
- मवेशियों को मारने वाली Skaitya मक्खी
3. मौरमMouruमार्गु (ओपी)Margianaमार्व / मर्व,
दक्षिण तुर्कमेनिस्तान
- बहादुर, पवित्र
- लूट, रक्तपात
4. बखडीमBakhdhiबख्तरिश (ओपी)बैक्ट्रियाबल्ख,
उत्तरी अफगानिस्तान
- उत्थित बैनर
- चुभने वाली चींटियाँ
5. निसिमNisayaपार्थवा (ओपी)Parthiaएन। खोरासन (एनई ईरान) और निसा
दक्षिण तुर्कमेनिस्तान।
बलख और मारव की सीमा
- अच्छी भूमि
- अविश्वास (जोराष्ट्रवाद
  को स्वीकार करने से इनकार कर सकते थे )
6. हरयूमHaroyuहरैवा (ओपी)Ariaहरि रुद (हेरात),
उत्तर पश्चिमी अफगानिस्तान
- भरपूर पानी
- दुख, गरीबी
7. वेकेरेटेमखन्नता वैकरता
/ वैकरेटा
कलपुल (Phl।)Sattagydiaकाबुल,
पूर्वी अफगानिस्तान
- अच्छी भूमि
- केरेस्पा,
  परियों और जादू टोना के अनुयायी
8. उर्वमउर्वाUvarazmiya / UvarazmishKhvarizem / Chorasmiaखोरेज़म, उज्बेकिस्तान- समृद्ध चरागाह
- गर्व, अत्याचार
9. खन्नेंटम वाहनक्रानोVehrkanaवर्काना (ओपी)Hyrcaniaगोर्गन , गोलेस्टन,
उत्तर-पूर्व ईरान
- अच्छी भूमि
- बच्चों के साथ सोडॉमी
10. हराहवतीमHarahvaitiहरौवतीश (ओपी)Arachosiaकंधार और ओरुज़न
दक्षिण मध्य अफगानिस्तान
- सुंदर
- मृत को दफनाना
11. हेटूमेंटेमHaetumantज़रका (ओपी)Drangianaहेलमंद - एसई अफगानिस्तान और
सिस्तान - ई। ईरान
- शानदार, शानदार
- जादूगरनी और जादूगरनी
12. रिखमRaghaराग (ओपी)Ragaiराय, तेहरान और एस। अल्बुर्ज़,
उत्तरी ईरान
- तीन लोग
- बिलकुल अविश्वास
13. चखरेम *Kakhra  अनिश्चित: या तो गजनी, एसई अफगानिस्तान या सिर्फ पश्चिम में राय, एन ईरान- बहादुर, धर्मी
- लाशों को जलाओ
14. वरनेमVarenaपटशख-वरगर या डैलम (Phl।)पश्चिमी हिरकानियाडब्ल्यू। माज़ंदरान, गिलान और उत्तरी अल्बुर्ज़ (माउंट दमावंद की भूमि) उत्तरी ईरान- थ्रेटोना (फेरिडून) का घर
  जिसने अज़ी दहका (ज़हाक) को सोया
- बर्बर (विदेशी) शासन
15. हप्त हेंदु **हपता हिंदूहिंदवा (ओपी)सिंधुसात सिंधु नदियों की उत्तरी घाटी ** (ऊपरी सिंधु बेसिन)
गांधार (वैहिंद) ***, पंजाब और कश्मीर में एन। पाकिस्तान और एनडब्ल्यू इंडिया
- व्यापक विस्तार
- हिंसा, क्रोध और गर्म मौसम
16. रंगाRanghaबाद में अरवास्तनी रम (Phl।) यानी पूर्वी रोमन साम्राज्य का हिस्सा उर्मिया झील, ऊपरी टाइग्रिस, कुर्दिस्तान, पूर्वी और मध्य तुर्की- अच्छी भूमि
- कोई मुखिया अर्थात कोई रक्षक नहीं,
   छापे के लिए खुला, कानूनविहीन,
   गंभीर सर्दियाँ

* चखरेत का उपयोग यश 13.89 और पहिया (या परिक्रमण; cf. फ़ारसी चरख अर्थ पहिया) में किया जाता है और ज़राथुशत्र के संदर्भ में चखरेम उर्वयसयता के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जो कि दाविस के विरोध में हर पेशेवर गिल्ड का पहला सदस्य है। अवेस्तन Chakhrem urvaesayata संस्कृत के समान है chakhram vartay और chakhravartin या 'शासक' 'देश पर रथ' का अर्थ। पश्चिमी मितानी रथ-निर्माण में अपनी विशेषज्ञता के लिए जाने जाते थे और इसकी प्रासंगिकता हो भी सकती है और नहीं भी।

** सात सिंधु नदियाँ,हपता हिंदू(राष्ट्र # 15 से ऊपर), हैं: 1. सिंधु (वेद-सिंधु), 2. काबुल और 3. कुरुम नदियाँ सिंधु के पश्चिम और उत्तर के किनारों पर शामिल हो रही हैं, और 4. झेलम (वेद-वितस्ता) 5. चिनाब (वेद-आसिकनी), 6. रावी (वेद-ऐरोवती), और 7. सतलुज / ब्यास (वेद-विपासा) नदियाँ सिंधु के पूर्व और दक्षिण के किनारों से जुड़ती हैं। (कुछ चर्चा है कि हिंदू वैदिक ग्रंथों में उल्लिखित सरस्वती नदी भी एक सिंधु सहायक नदी थी - हालांकि यह स्पष्ट नहीं है।) हिंदू ग्रंथ मुख्य रूप से पूर्वी और दक्षिणी सहायक नदियों से संबंधित हैं जबकि पारसी ग्रंथों की ऊपरी पहुंच से चिंतित हैं। सिंधु और उसकी सभी सहायक नदियाँ, जिनकी घाटियाँ मैदानों तक पहुँच प्रदान करती थीं - पंजाब के उत्तर और पश्चिम के इलाके (फ़ारसी के पाँच पानी) (यानी वर्तमान में उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत उत्तरी पाकिस्तान में)

*** गांधार / वैहिंद। ऊपरी सिंधु बेसिन की भूमि गांधार या वैहिंद के रूप में जानी जाती थी। आज, इस क्षेत्र में पेशावर, मर्दन, मिंगोरा और चित्राल इसके मुख्य शहर हैं। यह दक्षिण-पूर्वी हिंदू कुश की सभी रहने योग्य घाटियों में विस्तारित हो गया था। गांधार / वैहिंद क्षेत्र में सिंधु, स्वात, चित्राल और काबुल नदी घाटियाँ शामिल हैं। इसने दक्षिण में तक्षशिला (तक्षशिला) (वर्तमान इस्लामाबाद के निकट) और वर्तमान में जलालाबाद, पश्चिम में अफ़गानिस्तान, इस प्रकार पूर्व में वायकेराटा (काबुल) की सीमा तक बढ़ाया हो सकता है।


वेंडीडाड का राष्ट्र, अवेस्ता
वेंडीडाड का राष्ट्र, अवेस्ता

राष्ट्रों की सूची में पैटर्न

लिस्टिंग में एक पैटर्न है:

1. पहले तीन देशों को सूचीबद्ध किया गया है, जिनके बाद एयरएना वैजाए दक्षिणी उजबेकिस्तान, दक्षिणी तुर्कमेनिस्तान, उत्तरी अफगानिस्तान क्षेत्र में हैं। चरणों में पश्चिम और दक्षिण की ओर बढ़ते हुए, प्रशंसकों की सूची का संतुलन। अंतिम दो राष्ट्र प्रारंभिक समूह के सबसे दक्षिण-पूर्व और पश्चिम हैं।

2. राष्ट्र एक दूसरे की सीमा बनाते हैं। वायुयान वेजा के बगल में सूचीबद्ध राष्ट्र सुखधो / सुग्धा है - उत्तरी ताजिकिस्तान और दक्षिणी उज़्बेकिस्तान में आधुनिक दिन।

3. राष्ट्र सभी आर्यन व्यापारिक मार्गों के साथ हैं - जिन्हें अब सिल्क रोड्स कहा जाता है ( ताजिकिस्तान पृष्ठ भी देखें ) - ओरिएंट, द कॉन्फिडेंट और भारतीय उप-महाद्वीप के बीच व्यापारिक सड़कों का एक प्राचीन सेट है।


वायुयान वैजा और अवेस्ता के अन्य राष्ट्रों के बीच संबंध

वेंडीडाड में सूचीबद्ध सोलह राष्ट्रों का चयन लेखक या लेखक द्वारा वेंडिडाड में ज्ञात दुनिया के देशों में से किया गया था। लिस्ट इसलिए दुनिया के देशों की सूची नहीं है, बल्कि वायुयान वेजा से जुड़े देशों की सूची है। वायुयान वेजा के बाद सूचीबद्ध वेन्दिदाद राष्ट्र, वे हैं, जिनमें से आर्य लोग उन स्थानों के लोगों के साथ, वायुयान वेजा से पलायन कर गए, जैसा कि उन्होंने किया था। जबकि ज़ोरोस्ट्रियन-आर्यों ने इन भूमि पर निवास किया, वे इन भूमि में बहुसंख्यक लोग नहीं थे।

वेंडिडाड के सभी राष्ट्र किसी न किसी बिंदु पर बड़े आर्य, ईरानी या फारसी साम्राज्यों के हिस्से के रूप में एक साथ आएंगे।


आर्यों का प्रवास और आर्य भूमि का विस्तार

पौराणिक राजा जमशेद के युग से पहले, देखें, ( आर्यन प्रागितिहास और आर्यन होमलैंड का स्थान ), अवेस्ता में मूल आर्यन मातृभूमि, वायुयान वेजा, बहुत बड़ी नहीं हो सकती थी। हालांकि, जमशेदि युग में शुरू हुआ और डेरियस द ग्रेट के तहत आचमेनियन फारसी साम्राज्य की स्थापना तक जारी रहा , आर्य भूमि आकार में काफी बढ़ गई।

जोरास्ट्रियन अवेस्ता, हिंदू वेद और अन्य ग्रंथों से हमें पता चलता है कि आर्य वायुयान से बाहर चले गए और आर्यों से जुड़ी भूमि निम्नलिखित कारणों से आकार में बढ़ गई:

1. जमशीदी युग के दौरान जनसंख्या में वृद्धि।
2. गंभीर सर्दियों और कम गर्मियों के लिए जलवायु परिवर्तन।
3. पड़ोसी देशों के साथ व्यापार और इन जमीनों में महत्वपूर्ण आबादी का निपटान।
4. समझौता या विजय के माध्यम से राज्यों की स्थापना। फ़िरदून युग / पिसाडियन राजवंश के दौरान इन राज्यों का एक संघ।
5. अंतर-आर्य युद्ध। देवता और मज़्दा उपासकों के बीच की विद्वता cf. राजा विष्टस्प का शासनकाल और जरथुस्त्र का जीवन
6. फारसी साम्राज्य की स्थापना जिसमें राज्यों के मूल संघ के साथ-साथ अतिरिक्त भूमि भी शामिल थी।

इन बिंदुओं पर नीचे चर्चा की गई है।


जैसा कि आर्य लोग अपने पड़ोसियों की भूमि पर चले गए, उन्होंने मूल निवासियों को विस्थापित नहीं किया। जब फ़ारसी आर्यों ने अंततः दक्षिणी ईरान के पठार को बसाया, तो इलामियों द्वारा इलामियों को आबाद किया गया था, जिनके साथ फारसियों ने एकीकरण किया था। ईरान की वर्तमान भाषाई संरचना की एक परीक्षा से पता चलता है कि अन्य, गैर-भारत-ईरानी भाषाई समूह फारसी भाषाई समूहों के बीच फैले हुए हैं।


1. जमशीदी युग विस्तार। वायुयान वैजा की वृद्धि

Vendidad हमें बताता है कि उनके शासनकाल के पहले भाग में, पौराणिक राजा जमशीद उसकी धरती हद तक एक जनसंख्या वृद्धि को समायोजित करने दोगुनी थी। (राजा जमशेद का प्राचीन अवतरण नाम यम-श्री या यम-खशेटा था, जिसका अर्थ है दीप्तिमान। वह इसी तरह हिंदू धर्म ग्रंथों, वेदों में यम कहलाता था ।) ग्रंथों की व्याख्या कैसे की जाती है, इसके आधार पर विस्तार बहुत हो सकता था। बड़ा - साढ़े चार गुना तक। भूमियों का विस्तार "दक्षिण की ओर, सूर्य के रास्ते पर" था, जिसका अर्थ है दक्षिण की ओर पूर्व से पश्चिम की ओर वायुयान वैजा हो सकता है।

हिंदू वेदों में कहा गया है कि यम (राजा जमशेद) द्वारा खरीदी गई भूमि हिंदुओं की मातृभूमि बन गई।


आर्यन हिंदू भूमि का प्रवेश द्वार

द हिंदू रिग एंड अथर्व वेद राज्य:
1. उपासना यम द किंग, विवस्वत के पुत्र,
लोगों के कोडांतरक,
जो गहरी से ऊँचाइयों तक प्रस्थान करते हैं,
और कई लोगों के लिए सड़क की खोज के साथ पूजा ।

2. यम पहले थे जिन्होंने हमारे लिए मार्ग खोजा।
यह घर हमसे नहीं लिया जाना है।
जो अब पैदा हुए हैं,
(जाने के लिए) अपने स्वयं के मार्गों
से उस जगह तक जहां हमारे प्राचीन पूर्वजों ने प्रवास किया था।
(अथर्ववेद xviii.1.49 और ऋग्वेद x.14.1)

... वे पराक्रमी धाराओं को पार करते हैं,
जो बलिदान के पुण्य प्रस्तावक पास करते हैं
(अथर्ववेद xviii.4.7)

यम, राजा जमशेद के लिए हिंदू श्रद्धा उसी समय बढ़ गई, जब उन्होंने जोरास्ट्रियन के माजदसनी पूर्ववर्तियों के साथ पक्षपात खो दिया, जो यह रिकॉर्ड करते हैं कि राजा यामा ने उनकी कृपा खो दी, वह बहुत गर्वित हुए और खुद को भगवान माना। वैदिक छंद बताते हैं कि जिन जमीनों का अधिग्रहण किया गया था, वे हिंदुओं के स्थायी घर का हिस्सा बन गईं - एक ऐसी भूमि जो पूरे भारतीय उपमहाद्वीप को शामिल करने के लिए बढ़ेगी, और मूल आर्य मातृभूमि से अलग हो जाएगी। एक घर के बारे में उपरोक्त टिप्पणी जो "हम से नहीं ली जा सकती है," वेदों को लिखे जाने के समय मूल आर्यन होमलैंड में हिंदुओं के पूर्ववर्तियों की पिछली भेद्यता को इंगित करता है - एक भेद्यता या तो विदेशी या आंतरिक दुश्मनों से।

यह संभावना नहीं है कि जमशीदी युग के दौरान हुए विस्तार में नदी के मैदान जैसे भूमि शामिल हैं जो आज पंजाब बनाते हैं। सिंधु के मैदानों में विस्तार बाद में इतिहास में होगा। हप्त-हिंदू, सात सिंधु भूमि जिसमें मैदानी इलाके शामिल होंगे, पंद्रहवीं और अंतिम लेकिन एक, राष्ट्र की वेंडिडाड की सूची में देश है। जमशीदी युग के दौरान कब्जे वाले ऊपरी सिंधु के हिस्से में आज के पूर्वी अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत के उत्तर - दोनों तरफ के इलाके यानी हिंदू कुश और काराकोरम पर्वत के उत्तर और दक्षिण में क्षेत्र शामिल हैं । विस्तार का सीमित आकार आगे संकेत है कि मूल आर्य मातृभूमि बहुत बड़ी नहीं थी।

जमशीदी युग के दौरान, हिंदू कुश और काराकोरम के उत्तर और दक्षिण में भूमि एकजुट हुई थी। वे बाद में राजनीतिक रूप से अलग हो गए और दो पर्वत श्रृंखलाएं, विशेष रूप से हिंदू कुश ने दोनों राज्यों के बीच प्राथमिक सीमा का गठन किया।

एक अन्य कारक है जो ऊपरी सिंधु, हप्त-हिंदू को तुरंत उत्तर और उत्तर-पश्चिम के क्षेत्र के साथ जोड़ता है अर्थात बादाकशन-पामीर क्षेत्र: ऋग्वेद को आमतौर पर ऊपरी सिंधु क्षेत्र में लिखा गया माना जाता है, और ऋग्वेद और पुराने अवेस्ता की भाषा इतनी करीब है कि उन्हें आमतौर पर ऐसी बोलियों के रूप में समझा जाता है जैसे कि दो पड़ोसी प्रांतों में बोली जाती हैं और आगे भी, वे एक आम भाषा दार्शनिक से उभरती हैं जिसे प्रोटो इंडो-ईरानी कहते हैं, एक और नाम संयुक्त प्राचीन आर्यों की भाषा। [हमारा पेज भाषाओं में भी देखें ।]


2. जमशीदी एरा जलवायु परिवर्तन

वेंडीदाड और अन्य ग्रंथों से हमें यह भी पता चलता है कि जमशेद युग के आरंभ में, आर्यन की मातृभूमि, वायुयान वैजा में मौसम उचित और न्यायसंगत था, जिसमें वसंत विषुव के साथ वसंत की शुरुआत और सर्दियों के बाद नवीकरण होता है। हालाँकि, एक हजार दो सौ साल बाद, जमशेदी युग शुरू होने के बाद, वहाँ अचानक मौसम सर्द था ( वेंडीदाद 2.22-25 ) और कठोर शीतलन ( आर्य मातृभूमि का स्थान भी देखें ) और हमारा पृष्ठ आर्यन प्रागितिहास - एक मिनी आइस एज प्रकार के।

इस अचानक शीतलन ने आर्यन को विस्तारित जमशेदि भूमि के गर्म भागों में प्रवास के लिए प्रोत्साहित किया


3. आर्यन व्यापार

ट्रेडिंग रोड (जिसे बाद में सिल्क रोड कहा जाता है) c।  2000 ई.पू.
ट्रेडिंग रोड (जिसे बाद में सिल्क रोड कहा जाता है) c। 2000 ई.पू.

आर्यों ने विस्तारित जमशेदी भूमि के साथ-साथ अपने पड़ोसियों के साथ अपने इतिहास में बहुत पहले से पत्थर के युग के दौरान व्यापार करना शुरू कर दिया था। आर्यन व्यापार आर्यन प्रवास और सोलह वेंडीवाद राष्ट्रों से निकटता से जुड़ा हुआ है। आर्यन ट्रेड पर हमारे पेज पर अधिक विस्तृत चर्चा पाई जा सकती है ।


आर्यन व्यापार मार्ग - रेशम मार्ग

आर्यन व्यापार मार्गों को सिल्क रोड के नाम से जाना जाएगा। आर्य व्यापार पूर्व में चीन से बढ़ा, पश्चिम में एशिया माइनर और मेसोपोटामिया तक, दक्षिण में ईरानी पठार और दक्षिण में सिंधु घाटी तक फैला था।

सोग्डियन आर्यन व्यापारिक बस्तियां चीन में पाई गई हैं। दरअसल, जोरास्ट्रियन शास्त्र की सबसे पहली ज्ञात पांडुलिपि, अवेस्ता, जो सोग्डियन में लिखी गई है, चीन में पाई गई है । (इसके अलावा ताजिकिस्तान पर हमारे पेज को देखें ।)

हम जिन उपरोक्त देशों की वेंडिडाड की सूची का पैटर्न मध्य एशियाई कोर से आगे बढ़ते हैं, उत्तरोत्तर और दक्षिण में आर्यन ट्रेडिंग (सिल्क) सड़कों के साथ वर्तमान तुर्की और पाकिस्तान में जाते हैं।

[ईरान के अरब आक्रमण के बाद जोरास्ट्रियन भारत में चले गए, उन्होंने पूर्व और पश्चिम के बीच व्यापार की अपनी परंपरा को पुनर्जीवित किया, इस प्रक्रिया में अमीर बन गए।]

व्यापार ने आर्यों को परिचित होने दिया, और बाद में भूमि के साथ बसने की अनुमति दी । रेशम मार्ग। जैसा कि आर्यों ने पड़ोसी देशों में स्थायी व्यापारिक पद स्थापित किए, उन्होंने ऐसी बस्तियाँ भी स्थापित कीं जो समुदाय बन गईं।


4. राज्यों का फेरिडून एरा फेडरेशन। पहला आर्य साम्राज्य। एयरन में परिवर्तन

कवि फ़िरदौसी के महाकाव्य के अनुसार, शाहनामा , पौराणिक राजा Feridoon के शासनकाल के दौरान, भूमि वह फैसला सुनाया शामिल करने के लिए हम क्या जानते हैं सोलह भूमि Vendidad में उल्लेख आया था। फेरिडून ने अपने तीनों बेटों के बीच अपने विशाल साम्राज्य को विभाजित करने का फैसला किया। अपने सबसे बड़े बेटे तूर को, उसने पूर्वी राजधानी को तूरान में अपनी राजधानी के साथ दिया - एक राष्ट्र जिसे तुअर से इसका नाम मिला। उनके बेटे Iraj करने के लिए, Feridoon दिया ऐरन(जिस देश में वायुयान वैजा विकसित हुआ था) और हिंद (हप्त हिन्दू, ऊपरी सिंधु भूमि)। अपने बेटे सालम को, फेरिडून ने पश्चिमी राज्य दिए। हालाँकि, तूर को लगा कि सबसे बड़े बेटे के रूप में वह छोटा हो गया था, क्योंकि एयरन और हिंद की जमीनें साम्राज्य की रत्न थीं और उसकी शक्ति की सीट थी। जल्द ही फेरिडून ने अपने बेटों के बीच अपने राज्य को विभाजित नहीं किया, कि ईर्ष्या और महत्वाकांक्षी तूर ने सालम को इराज की हत्या करने की साजिश में शामिल होने के लिए राजी किया।

इस कथा के भीतर इतिहास है। यदि हम एयरन साम्राज्य को एयरन लोगों के साथ प्रतिस्थापित करते हैं, तो यह मिथक हमें बताता है कि आर्य पश्चिम में वर्तमान में तुर्की, दक्षिण में ऊपरी सिंधु घाटी, पूर्व में चीन की सीमाओं और उत्तर के रेगिस्तान तक फैल गए थे। । इसके अलावा, विभिन्न आर्य भूमि के बीच के युद्ध आंतरिक संघर्ष थे जिन्होंने आर्यन इतिहास को विराम दिया था। फ़रीदून के समय तक, आर्य राष्ट्र का केंद्र बखड़ी (बल्ख या बैक्ट्रिया) में चला गया था। (इसके अलावा पर हमारे पृष्ठ को देखने के तुरन ।)

(यह भी देखें पौराणिक किंग्स। Pishdadian राजवंश भाग द्वितीय )


5. अंतर आर्य युद्ध

ऊपर उल्लेखित आंतरिक युद्ध में आर्य धार्मिक समूहों, मज़्दा-असुर उपासकों और देव उपासकों के बीच युद्ध शामिल थे। आर्यन धर्म पर हमारे समूह में धार्मिक समूहों, उनकी मान्यताओं और युद्धों पर चर्चा की जाती है ।


6. फारसी साम्राज्य

आचमेनियन राजा, साइरस II, महान (सी। 600 से 576 - अगस्त 530 ई.पू.), ने फ़ारसी साम्राज्य की स्थापना की और डारियस I, महान (522- 486 ईसा पूर्व) के शासन के तहत विस्तार जारी रहा। वेन्दिदाद के सोलह राष्ट्रों ने उन राष्ट्रों का मूल बनाया जो फारसी साम्राज्य का हिस्सा थे। वास्तव में, यह कहा जा सकता है कि तीसरे आर्य साम्राज्य का निर्माण करके फारसियों ने, सभी राजा आर्य साम्राज्य की स्थापना करने वाले महान राजा फेरिडून की परंपरा को जारी रखते हुए आर्य भूमि ( नीचे आर्याना देखें ) को एकजुट करने की मांग की और दूसरा स्थापित करने वाले मेद आर्यन साम्राज्य।

दारिक द ग्रेट, फारस के राजा द्वारा फारसी साम्राज्य के भाग के रूप में नक़श-ए-रुस्तम के एक शिलालेख पर सूचीबद्ध राष्ट्र हैं: पेरासा (फारस), मेदा (मीडिया), (vja (एलाम), पार्थवा (पार्थिया), हरैवा ( आरिआ), बेक्त्रिश (बैक्ट्रिया), सुगुडा (सोग्डियाना), उवृजमिश (चोरस्मिया), ज़राका (ड्रेंग्नेसा), हार्वैटिश (अरचोसिया), थटागुश (सत्तीगड़िया), गदरा (गंडारा), हिदुश (सिंध (सिन्द), साका टाइग्रैक्सौड (नुकीले कैप वाले सीथियन), बैबीरुश (बेबीलोनिया), अथुर (अश्शूरिया), अरबिया (अरब), मुदरिया (मिस्र), अर्मिना (आर्मेनिया), काटपातुका (कप्पाडोसिया), स्पार्दा (सरडीस), यमुना (ग्रीस) , सकाय त्यारा परद्रय (समुद्र के पार रहने वाले सीथियन), स्कुद्रा (स्कुद्रा), याउना ताकाबार (पेटासोस पहने हुए इयोनियन), पुताय (लीबंस), कुशी (इथियोपियाई), माकिया (माका के लोग), कारका (कार)। देखफारसी अचमेनियन साम्राज्य का नक्शा ।

ईरान के बेहिस्तुन में रॉक पर क्यूनिफॉर्म शिलालेख
दारिस की सूची
बेहरिस्टुन, ईरान
स्तंभ 1 लाइनों 9-17 पर फ़ारसी साम्राज्य के राष्ट्रों के शिलालेख शिलालेख पर

ग्रेटर आर्याना - शास्त्रीय संदर्भ

स्ट्रैबो जैसे शास्त्रीय हेलेनिक लेखकों ने एरियाना या आर्याना की भूमि का उल्लेख किया है और उन राज्यों के संग्रह के बीच अंतर किया है जो आर्य और देश या आरिया के राज्य का गठन किया था ।

स्ट्रैबो (2.1.31) का तात्पर्य है कि एरियाना एक एकल राष्ट्रीय समूह था जिसके सदस्यों ने अलग-अलग आर्य राज्यों का गठन किया था: "एरियाना का सटीक रूप से वर्णन नहीं किया गया है (जैसा कि भारत एराटोस्थनीज के चतुर्भुज या रयूमोबिड के आकार में है), इसके पश्चिमी के कारण बगल की भूमि (फारस और मीडिया के) के साथ परस्पर जुड़ा हुआ है। फिर भी यह अपने तीन अन्य पक्षों द्वारा बहुत अच्छी तरह से प्रतिष्ठित है, जो तीन सीधी रेखाओं (पैराग्राफ के बाद देखें) और इसके नाम (आर्याना) से भी भिन्न हैं। आर्यों का), जो इसे केवल एक राष्ट्र दिखाता है। "

हेलेनिक लेखकों के अनुमान में, आर्यन में आर्य सहित आर्य राज्यों का बड़ा समूह शामिल था, और पूर्व में सिंधु नदी की सीमा थी (पोम्पोनियस मेला 1.12 में कहा गया था कि "भारत के सबसे करीब है एरियाना, फिर आरिया"। स्ट्रैबो 15.2.1। यह भी बताता है कि "भारत के बगल में एरियाना है"), दक्षिण में समुद्र, कार्मेनिया (करमन) से पश्चिम में कैस्पियन गेट्स, और वृषभ पर्वत (पहाड़ों के लिए श्रृंखला जो अनातोलिया से पश्चिम-पूर्व की ओर चलती है और जो उत्तर में हिमालय को शामिल करें)।

आर्य की भूमि में मीडिया, फारस, गेड्रोसिया और कार्मेनिया के रेगिस्तान, अर्थात् कार्मेनिया, गेद्रोसिया, ड्रानग्लासा, अरचोसिया (स्ट्रैबो 11.10.1), आरिया, परोपमिसादे, बैक्ट्रिया (एरियाना के आभूषण कहा जाता है) शामिल हैं। आर्टेमेटा का अपोलोडोरस (स्ट्रैबो 11.11.1) और सोग्डियाना, जहां जरथुस्त्र को कहा जाता है कि उन्होंने "अराणोई के बीच" अहुरा मजदा के कानूनों का प्रचार किया है (सीएफ। डायोडोरस 1.94.2 )। ये अवलोकन ग्रेंडेड के सोलह देशों को ग्रेटर आर्यन राष्ट्र का हिस्सा मानते हैं और उन देशों की सूची में जोड़ते हैं जो बाद में फारस, मीडिया, कार्मेनिया (करमान) और कोरमासिया के अधिक आधुनिक राष्ट्र हैं। इस ग्रेटर एरियाना ने फारसी साम्राज्य का मूल आधार बनाया। Aelianus में डी नेचुरा animalium 16.16 में यह भी उल्लेख है कि "भारतीय एरियन" थे और कुछ सुझाव हैं जो एरियाना के नियंत्रण को भारतीय और एरियन एरियन के बीच उतार-चढ़ाव करते हैं।


एरोबा का मानचित्र स्ट्रैबो के भूगोल में एराटोस्थनीज के आंकड़ों पर आधारित है
एरोबा का मानचित्र स्ट्रैबो के भूगोल में एराटोस्थनीज के आंकड़ों पर आधारित है

स्ट्रैबो ग्रेटर आर्याना का विवरण

स्ट्रैबो ग्रेटर आर्याना की सीमा का वर्णन करता है, एक भूमि, जो वर्तमान में रे (तेहरान, ईरान के पास) से पश्चिम में खोतान (वर्तमान में पश्चिमी चीन में), और फारस की खाड़ी से लेकर मुंह के बल लगभग 2,600 किमी की लंबाई में फैला था। दक्षिण में सिंधु नदी, उनकी भूगोल में निम्नानुसार है:

(स्ट्रैबो 15.2.1। एचसी हैमिल्टन और डब्ल्यू। फाल्कनर द्वारा अनुवाद): भारत के बगल में (अवेस्तान हप्त-हिंदू, ऊपरी सिंधु और उसकी सहायक नदियाँ) अरियाना है, फारसियों के अधीन देश का पहला भाग, परे सिंधु, और वृषभ के बिना उच्च क्षत्रपों में से पहला (शास्त्रीय हेलेनिक लेखक मानते हैं कि एक एकल पर्वत श्रृंखला, वृषभ, एशिया के माध्यम से पूर्व-पश्चिम भागती है)। उत्तर में यह (एरियाना) भारत के समान पर्वतों (हिमालय के विस्तार और पामीर गाँठ, अर्थात वृषभ) से निकलने वाले पर्वत, एक ही समुद्र के द्वारा दक्षिण में, और उसी नदी सिंधु से घिरा है, जो अलग हो जाती है भारत से। जहाँ तक कैस्पियन गेट्स (Caspiæ Pylania) से लेकर कार्मेनिया तक खींची जाने वाली पश्चिम दिशा की ओर है, जहाँ इसकी आकृति चतुर्भुज है। दक्षिण की ओर सिंधु के मुहाने से शुरू होता है, और पातालीन से, और दक्षिण की ओर काफी दूरी तक एक प्रांतिक परियोजना द्वारा कार्मेनिया और फारस की खाड़ी के मुहाने पर समाप्त होता है। यह फ़ारस की दिशा में खाड़ी की ओर झुकता है।

(स्ट्रैबो 15.2.1। होरेस लियोनार्ड जोन्स द्वारा अनुवाद): भारत में एक के बाद अरियाना, सिंधु नदी और वृषभ के बाहर स्थित ऊपरी क्षत्रपों के बाद फारसियों के अधीन देश का पहला भाग आता है। एरियाना दक्षिण और उत्तर में एक ही समुद्र और भारत के समान पहाड़ों, साथ ही एक ही नदी, सिंधु, जो स्वयं और भारत के बीच बहती है, से घिरा हुआ है; और इस नदी से यह पश्चिम की ओर फैली है जहाँ तक कैस्पियन गेट्स से कार्मेनिया तक खींची गई रेखा है, ताकि इसका आकार चतुर्भुज हो। अब दक्षिणी पक्ष सिंधु के आउटलेट पर और पातालीन में शुरू होता है, और कार्मेनिया और फारस की खाड़ी के मुहाने पर समाप्त होता है, जहां यह एक प्रांतीय है कि परियोजनाएं दक्षिण की ओर काफी हद तक हैं; और फिर यह फारस की दिशा में खाड़ी में मोड़ लेता है।


सिंधु नदी के बेसिन का वर्तमान दिन का नक्शा
सिंधु नदी के बेसिन का वर्तमान दिन का नक्शा

[हमारा ध्यान दें: ऊपरी खंड में सिंधु नदी उत्तर-उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ती है, फिर पूर्व की ओर मुड़ती है और अंत में वर्तमान तिब्बत में अपने हेडवाटर्स के साथ दक्षिण-पूर्व की ओर बढ़ती है।

[नोट जारी रखा: आर्याना और हप्त हिंदू के बीच प्राथमिक सीमा । यह या तो नदी ही है या पहाड़, हिंदू कुश और काराकोरम सिंधु के बाएं किनारे पर, जिसने प्राचीन उत्तरी भारत और आर्याना के बीच प्राथमिक सीमा बनाई। हिंदी-कुश नाम जो हिंदू-हत्यारे के लिए फारसी शब्द है, महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दो समूहों के बीच किसी भी युद्ध के दौरान हमलावर हिंदू के लिए एक प्राकृतिक बाधा का अर्थ है। आज ये पहाड़ दाहिने किनारे पर पाकिस्तान और भारत के बीच की सीमा बनाते हैं और बाएँ तट पर अफ़ग़ानिस्तान, ताजिकिस्तान और तिब्बत।

[नोट जारी रखा: काराकोरम पहाड़ों के उत्तर में (जिसे बाल्टोरो मुजतग और उप-श्रेणियों के रूप में गुजराब भी कहा जाता है) जिसे हिंदू कुश की तरह पामीर पहाड़ों (आज मुख्य रूप से ताजिकिस्तान में) से उपजा है। काराकोरम के दक्षिण का क्षेत्र, जो सीमा की ऊंचाई और सिंधु नदी के बीच है, इसे गिलगित-बाल्टिस्तान कहा जाता है , जो कश्मीर का एक हिस्सा है। काराकोरम के उत्तर में एक संकरा क्षेत्र और वर्तमान में चीन का एक हिस्सा, तश-कोरगन / तशकुर्गन कहलाता है, एक स्वायत्त ताजिक आबादी वाला क्षेत्र। पामिरी क्षेत्र में कुनलुन पर्वत श्रृंखला शामिल है जो पूर्वी ताजिकिस्तान सीमा (चीन के साथ), और सीमा के पूर्व और वर्तमान में चीन में शहरों में शामिल हैं: ताशकुरगन, खोतन / होटन, और काशगर / काशी। ताजिक और पामिरी आबाद इलाके काराकोरम और हिंदू कुश के उत्तर में स्थित हैं और ये क्षेत्र ग्रेटर आर्याना का हिस्सा थे।

[नोट जारी रखा: टकला माकन (टकलामकान) रेगिस्तानलगभग 1,000 किमी चौड़ाई में, आर्यन की पूर्वी सीमा का गठन किया होगा। आर्यन ट्रेड रोड्स (सिल्क रोड्स) ने रेगिस्तान को अपने उत्तर और दक्षिण में बसाया। काशगर के निवासियों को पारसी धर्म का अभ्यास करने के लिए जाना जाता था और एक प्राचीन किले के खंडहरों के पास एक पारसी मंदिर के अवशेष पाए जा सकते हैं। वास्तव में, यह संभव है कि पश्चिमी चीन के उन क्षेत्रों के निवासी जो आज इस्लाम का अभ्यास करते हैं, वे अतीत में पारसी धर्म का अभ्यास कर सकते थे और मध्ययुगीन इस्लामी नियंत्रण ने पारंपरिक फारसी-जोरास्ट्रियन नियंत्रण के क्षेत्रों को बदल दिया। इस क्षेत्र के मूल भारत-ईरानी निवासियों को काफी हद तक तुर्क लोगों द्वारा विस्थापित किया गया है। फ़ारसियो के शाहनाम ने चिन (चीन) को मरुस्थल से परे एरन और तुरान (सुग्ग) के पूर्व में रखा था।


बलूचिस्तान / बलूचिस्तान क्षेत्र 1900s।  बड़ा मानचित्र देखने के लिए क्लिक करें
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[नोट जारी रहा: आर्याना के लिए स्ट्रैबो की पश्चिमी सीमा कैस्पियन गेट्स (उत्तर-पूर्व तेहरान-रे के पूर्व में) से कार्मेनिया (करमैन-होर्मुज) तक उत्तर-दक्षिण में चलती है। इसलिए स्ट्रैबो आर्यन के क्षेत्र को वर्तमान ईरान, अफगानिस्तान, पश्चिमी पाकिस्तान और ताजिकिस्तान में शामिल करता है। यह ग्रेटर आर्याना है क्योंकि न तो कम आरिया (वर्तमान में हेरात प्रांत, अफगानिस्तान) और न ही इस विशाल आकार का एक भी क्षत्रप स्ट्रैबो या आचमेनियन समय के दौरान मौजूद रहा। स्ट्रैबो द्वारा वर्णित क्षेत्र में अधिकांश मुख्य आर्यन वेंडिडाड राष्ट्र शामिल हैं ।]

(स्ट्रैबो 15.2.1। एचसी हैमिल्टन और डब्ल्यू। फाल्कनर द्वारा अनुवाद): द आरबीज़, जिनका एक ही नाम है आर्बिस नदी (आज की पोरली नदी, बलूचिस्तान, पाकिस्तान), इस देश में हम लगभग 100 किमी (कराची के उत्तर-पश्चिम में और सिंधु नदी के पश्चिम में 200 किमी) में मिलते हैं। उन्हें अगले जनजाति, आर्बिट से आर्बिस द्वारा अलग किया जाता है , और नोकरेस के अनुसार, लंबाई में लगभग 1000 (200 किमी) की सीमा के समुद्री-तट की एक पथ पर कब्जा कर लिया गया है; यह देश भी भारत का एक हिस्सा है। इसके बाद ओरिटो हैं, जो लोग अपने स्वयं के कानूनों द्वारा शासित हैं। इस क्षेत्र से संबंधित समुद्री तट की यात्रा 1800 स्टैडिया (360 किमी) तक फैली हुई है, जो कि इचथियोफेगी (मछली खाने वालों ) के देश के साथ -साथ एक सामान्य नाम है, लेकिन यहां प्राचीन फारसी माही-खोरान का एक ग्रीक प्रतिपादन है, जो आधुनिक में विकसित हुआ शब्द मकरान cf. एडवर्ड बालफोर, भारत का साइक्लोपीडिया), जो आगे का अनुसरण करता है, 7400 स्टेडियम (1500 किमी) का विस्तार करता है; कि कार्मानी के देश के रूप में फारस, 3700 के रूप में दूर तक। स्टेडियम की पूरी संख्या 13,900 है।

(स्ट्रैबो 15.2.1। होरेस लियोनार्ड जोन्स द्वारा अनुवाद): एरियाना पहले आर्बियों द्वारा बसाया गया है, जिसका नाम आर्बिस नदी की तरह है, जो उनके और अगली जनजाति के बीच की सीमा बनाती है; और आर्किस की लंबाई में लगभग एक हज़ार स्टेडियम हैं, जैसा कि नौरकस कहते हैं; लेकिन यह भी भारत का एक हिस्सा है। फिर एक ऑटोनॉमी जनजाति, ओरेइते पर आती है। इस जनजाति के देश के साथ तटवर्ती यात्रा लंबाई में एक हजार आठ सौ स्टेडिया है, और अगले, इचथियोफेगी के साथ, सात हजार चार सौ, और यह कि फारसियों के रूप में अब तक कार्मिकों के देश के साथ, तीन हजार सात सौ , ताकि कुल यात्रा बारह हजार नौ सौ स्टेडिया हो।

(स्ट्रैबो 15.2.3। एचसी हैमिल्टन और डब्ल्यू। फाल्कनर द्वारा अनुवाद): इचथियोफैगी के ऊपर गेद्रोसिया (मकरान) स्थित है, एक देश जो भारत की तुलना में सूर्य की गर्मी के संपर्क में कम है, लेकिन एशिया के बाकी हिस्सों की तुलना में अधिक है।

(स्ट्रैबो 15.2.3। होरेस लियोनार्ड जोन्स द्वारा अनुवाद): इचथियोफैगी के ऊपर गेद्रोसिया स्थित है, जो भारत की तुलना में कम देश है, लेकिन बाकी एशिया की तुलना में अधिक दुखद है।

(स्ट्रैबो 15.2.8। एचसी हैमिल्टन और डब्ल्यू। फाल्कनर द्वारा अनुवाद): अरियाना के दक्षिणी किनारे की स्थिति इस प्रकार स्थित है, समुद्र के तट के संदर्भ में, गेद्रोसी देश (आज का बलूचिस्तान) और ओरिटो के पास स्थित है। और उसके नीचे (पूर्वी मकरान तट)।

(स्ट्रैबो 15.2.8। होरेस लियोनार्ड जोन्स द्वारा अनुवाद): इस तरह, फिर, अरियाना के दक्षिणी किनारे पर, समुद्री जहाज की भौगोलिक स्थिति और गेद्रोसी और ओरिटे की भूमि के बारे में है, जो भूमि समुद्र के ऊपर स्थित है। ।

[हमारा ध्यान दें: यह कहते हुए कि भारत से बाहर निकलते समय एरियाना और ओरैटे पहले एरियाना में थे, स्ट्रैबो भी कहते हैं कि वे भारत का हिस्सा हैं और फिर ओरेती स्वायत्त थे। हम जो कुछ भी प्राप्त कर सकते हैं, वह यह है कि एक समय में, आर्बिस और ओरेइते प्राचीन आर्यन का हिस्सा थे। दूरियां: सिंधु से 200 किमी (आरबी, ओरिटे तट से 360 किमी। आगे 1500 किमी हमें फारस की खाड़ी के प्रमुख तक ले जाती है। इस बिंदु पर हम 12,900 या 13,900 बेडिया (2,600 किमी) का आंकड़ा समेट नहीं सकते हैं) , जब तक कि किमी में रूपांतरण गलत नहीं है या कई बिंदुओं के बीच नौकायन विभिन्न घुमावदार सर्किट मार्ग करता है। हम आर्बिस, ओरेटी और इचथियोफेगी के बारे में सोच सकते हैं क्योंकि तटीय जिलों में रहने वाले तटीय लोगों को मकराना तटीय क्षेत्र का हिस्सा थे।

(स्ट्रैबो 15.2.8। एचसी हैमिल्टन और डब्ल्यू। फाल्कनर द्वारा अनुवाद): एराटोस्थनीज़ (276 - सी। 195 ई.पू.) निम्नलिखित तरीके से बोलते हैं और हम एक बेहतर विवरण नहीं दे सकते हैं: "एरियाना," वह कहते हैं, "बाध्य है।" सिंधु के पूर्व में, ग्रेट सी (यानी अरब सागर, फिर हिंद महासागर का हिस्सा माना जाता है) के दक्षिण में, उत्तर में परोपमिस और पहाड़ों की सफल श्रृंखला (उत्तर-पूर्वी ईरान में आज का एल्बर्ज़) है। कैस्पियन गेट्स (आज के तेहरान यानी उत्तर-मध्य ईरान और उसके बाद मीडिया का एक हिस्सा), पश्चिम में उसी सीमा तक है, जिसके द्वारा पार्थियन का क्षेत्र मीडिया से अलग हो गया है, और कार्मेनिया (आज का करमन) पार्थसीन (आधुनिक इस्फ़हान) ?) और फारस।

(स्ट्रैबो 15.2.8। होरेस लियोनार्ड जोन्स द्वारा अनुवाद): यह एक बड़ा देश है, और यहां तक ​​कि बड़ा देश भी है, और यहां तक ​​कि गेड्रोसिया भी आंतरिक रूप से जहां तक ​​ड्रगैग, आराचोटी, और परोपोलिसैड तक पहुंचता है, जिसके बारे में इरेटोस्थनीज ने बात की निम्नानुसार (क्योंकि मैं कोई बेहतर विवरण देने में असमर्थ हूं)। उनका कहना है कि एरियाना पूर्व में सिंधु नदी से, दक्षिण में महान समुद्र से, उत्तर में परोपमिस पर्वत और पहाड़ों से मिलती-जुलती पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जहां तक ​​कैस्पियन गेट्स हैं और पश्चिम में इसके हिस्से हैं। उसी सीमाओं से चिह्नित किया गया है जिसके द्वारा पार्थिया मीडिया और कारमेनिया से पैराटीसेन और पर्सिस से अलग हो गए हैं।

(स्ट्रैबो 15.2.8 जारी रहा। HC हैमिल्टन और डब्ल्यू। फाल्कनर द्वारा अनुवाद): देश की चौड़ाई सिंधु की लंबाई है, जो उस नदी के मुहाने और जहां तक ​​12,000 या उससे अधिक मात्रा में है, उस नदी के मुहाने पर स्थित पोरोपामिस से ग्रहण किया गया है। अन्य लोगों के लिए 13,000, स्टेडिया (2,400-2,600 किमी। यह सिंधु की लंबाई का काफी सही अनुमान है और अधिक आर्य की लंबाई को इंगित करता है)। कैस्पियन गेट्स से शुरू होने वाली लंबाई, जैसा कि एशियाटिक स्टैथमी में रखी गई है(कारवां स्टेशनों की एक सूची), दो अलग-अलग तरीकों से अनुमानित है: कैस्पियन गेट्स से अलेक्जेंड्रिया (कुछ लोग हेरात कहते हैं, लेकिन वहाँ विभिन्न शहरों को यह नाम दिया गया है) पार्थिया के माध्यम से एरी के बीच एक और एक ही सड़क है। फिर एक सड़क Bactriana के माध्यम से एक सीधी रेखा में जाती है, और पर्वत के पास से Ortospana (कुछ काबुल के रूप में पहचान, कंधार के रूप में अन्य), बैक्ट्रिया से तीन सड़कों की बैठक के लिए, जो परोपमिसादो (आज के उत्तरी अफगानिस्तान) के बीच है )। अन्य शाखा (व्यापार / कारवां सड़कों का) अरिया से दक्षिण की ओर थोड़ी दूर तक प्रोफ़थासिया (आज-पूर्व अफगानिस्तान में फराह)? तब तक शेष भारत और सिंधु (सिंधु, अर्थात हपता-हिंदू अवेस्ता में, बाद में भारत,) तक सीमित हो जाता है सात सिंधु सहायक नदियों की उत्तरी पहुंच और आज के खैबर पास और हिंदू कुश और पामिरों के माध्यम से उत्तर की ओर से गुजरने वाले क्षेत्र को संदर्भित करता है); ताकि द्रंगो के माध्यम से (दक्षिणी) सड़क (ड्रेंग्नेसा - हेलमंड नदी का जलक्षेत्र, आज का मध्य-मध्य अफगानिस्तान और कई पुराने नक्शे में दक्षिण आरिया का एक हिस्सा) और अरचोटी (अरचोसिया, द्रंग्यन्सा के पूर्व में, मध्य-पूर्वी अफगानिस्तान आज) लंबी है, पूरी राशि 15,300 स्टेडियम (3,000 किमी) है। लेकिन अगर हम 1300 स्टेडियम (260 किमी) की कटौती करते हैं, तो हमारे पास शेष राशि होगी पश्चिम-मध्य अफ़गानिस्तान और कई पुराने नक्शों में दक्षिण आरिया का एक हिस्सा) और अरचोटी (अरचोसिया, जो कि पूर्व में द्रंग्याना, मध्य-पूर्वी अफ़गानिस्तान है) अब लंबा है, पूरी राशि 15,300 स्टैडिया (3,000 किमी) है। लेकिन अगर हम 1300 स्टेडियम (260 किमी) की कटौती करते हैं, तो हमारे पास शेष राशि होगी पश्चिम-मध्य अफ़गानिस्तान और कई पुराने नक्शों में दक्षिण आरिया का एक हिस्सा) और अरचोटी (अरचोसिया, जो कि अभी पूर्व में, फ्रांस के मध्य-पूर्वी अफगानिस्तान में है) लंबा है, पूरी राशि 15,300 स्टेडियम (3,000 किमी) है। लेकिन अगर हम 1300 स्टेडियम (260 किमी) की कटौती करते हैं, तो हमारे पास शेष राशि होगीएक सीधी रेखा में देश की लंबाई, अर्थात्, 14,000 स्टेडियम (2,800 किमी। *) ; तट की लंबाई के लिए बहुत कम नहीं है, हालांकि कुछ लोग 10,000 stadia Carmania (Kerman) को जोड़कर इस राशि को बढ़ाते हैं, जिसे 6000 stadia (1,200 किमी। लंबाई) में माना जाता है। के लिए वे इसे या तो एक साथ खाड़ी के साथ, या फारस की खाड़ी के भीतर कार्मेनियन तट के साथ मिलाने लगते हैं। (इसका अर्थ यह प्रतीत होता है कि आर्य की एक लंबी तटरेखा थी, जिसकी लंबाई अधिक से अधिक राष्ट्र की लंबाई की तुलना में "बहुत कम नहीं" थी, और कुछ में आर्याना के हिस्से के रूप में कारमेनिया (करमान) भी शामिल है।

(स्ट्रैबो 15.2.8 जारी रहा। होरेस लियोनार्ड जोन्स द्वारा अनुवाद): वह कहते हैं कि देश की चौड़ाई परोपोसिअस पर्वत से लेकर आउटलेट तक बारह हजार स्टेडिया की दूरी पर (हालांकि उनके तेरह हजार कहते हैं) सिंधु की लंबाई है; और यह कि कैस्पियन गेट्स से इसकी लंबाई, जैसा कि एशियाटिक स्टाटमी के हकदार काम में दर्ज है, दो तरीकों से कहा गया है: अर्थात्, जहां तक ​​अरी के देश में अलेक्जेंड्रेया, पार्थियंस के देश के माध्यम से कैस्पियन गेट्स से, वहां एक और एक ही सड़क है; और फिर, वहाँ से एक सड़क बक्ट्रियाना के माध्यम से एक सीधी रेखा में जाती है और बैक्ट्रा से तीन सड़कों की बैठक के लिए ओर्टोस्पाना में पहाड़ के ऊपर से गुजरती है, जो शहर परोपमिसादे के देश में है; जबकि दूसरा अरिया से थोड़ा दूर दक्षिण की ओर प्रोफ़ेथासिया से ड्रांग्नेसा में उतरता है, और इसका शेष भाग भारत की सीमाओं और p143Indus की ओर जाता है; इतना कि यह सड़क जो कि देश के द्रंग और अरचोटी से होकर जाती है, लंबी है, इसकी पूरी लंबाई पंद्रह हजार तीन सौ स्टेडियम है। लेकिन अगर किसी को एक हजार तीन सौ घटाना चाहिए, तो देश की लंबाई एक सीधी रेखा में, चौदह हजार स्टैचिया के रूप में शेष होगी; सीकोस्ट की लंबाई के लिए बहुत कम नहीं है, 125 हालांकि कुछ लेखकों ने कुल बढ़ाकर, दस हज़ार स्टैडिया के अलावा, कार्मेनिया छह हजार से अधिक के साथ; के लिए वे स्पष्ट रूप से लंबाई के साथ या तो खाड़ी के साथ या कार्मेनियन समुद्र तट के उस हिस्से के साथ लगते हैं जो फारस की खाड़ी के अंदर है। इसकी पूरी लंबाई पंद्रह हजार तीन सौ स्टेडियम है। लेकिन अगर किसी को एक हजार तीन सौ घटाना चाहिए, तो देश की लंबाई एक सीधी रेखा में, चौदह हजार स्टैचिया के रूप में शेष होगी; सीकोस्ट की लंबाई बहुत कम नहीं है, 125 हालांकि कुछ लेखक कुल बढ़ाते हैं, नीचे डालते हुए, दस हज़ार स्टैडिया के अलावा, कार्मेनिया छह हज़ार से अधिक; के लिए वे स्पष्ट रूप से लंबाई के साथ या तो खाड़ी के साथ या कार्मेनियन समुद्र तट के उस हिस्से के साथ लगते हैं जो फारस की खाड़ी के अंदर है। इसकी पूरी लंबाई पंद्रह हजार तीन सौ स्टेडियम है। लेकिन अगर किसी को एक हजार तीन सौ घटाना चाहिए, तो देश की लंबाई एक सीधी रेखा में, चौदह हजार स्टैचिया के रूप में शेष होगी; सीकोस्ट की लंबाई बहुत कम नहीं है, 125 हालांकि कुछ लेखक कुल बढ़ाते हैं, नीचे डालते हुए, दस हज़ार स्टैडिया के अलावा, कार्मेनिया छह हज़ार से अधिक; के लिए वे स्पष्ट रूप से लंबाई के साथ या तो खाड़ी के साथ या कार्मेनियन समुद्र तट के उस हिस्से के साथ लगते हैं जो फारस की खाड़ी के अंदर है। 125 हालांकि कुछ लेखक कुल बढ़ाते हैं, नीचे डालते हुए, दस हज़ार स्टैडिया के अलावा, कार्मेनिया छह हज़ार अधिक; के लिए वे स्पष्ट रूप से लंबाई के साथ या तो खाड़ी के साथ या कार्मेनियन समुद्र तट के उस हिस्से के साथ लगते हैं जो फारस की खाड़ी के अंदर है। 125 हालांकि कुछ लेखक कुल बढ़ाते हैं, नीचे डालते हुए, दस हज़ार स्टैडिया के अलावा, कार्मेनिया छह हज़ार से अधिक के साथ; के लिए वे स्पष्ट रूप से लंबाई के साथ या तो खाड़ी के साथ या कार्मेनियन समुद्र तट के उस हिस्से के साथ लगते हैं जो फारस की खाड़ी के अंदर है।

[हमारा नोट: * २, km०० किमी। यह एक जबरदस्त लंबाई है। यहां तक ​​कि अगर हम सड़क को मोड़ते हैं, तो लंबाई आज के तेहरान, ईरान और होटन / खोतान के बीच की दूरी से अधिक है जो आज पूर्वी चीन का हिस्सा है। गौरतलब है कि इसमें ताजिकिस्तान भी शामिल है।]

(स्ट्रैबो 15.2.8 जारी है। एचसी हैमिल्टन और डब्ल्यू। फाल्कनर द्वारा अनुवाद): एरियाना का नाम भी विस्तारित किया गया है ताकि फारस, मीडिया और बक्ट्रिया और सोग्डियाना के उत्तर के कुछ हिस्से को शामिल किया जा सके; इन देशों के लिए लगभग एक ही भाषा बोलते हैं।

(स्ट्रैबो 15.2.8 जारी रहा। होरेस लियोनार्ड जोन्स द्वारा अनुवाद): एरियाना का नाम आगे फारस और मीडिया के एक हिस्से तक फैला हुआ है, साथ ही उत्तर की ओर बैक्टिरियन और सोग्डियन भी; के लिए ये लगभग एक ही भाषा बोलते हैं, लेकिन मामूली बदलाव के साथ।

[हमारा ध्यान दें: प्राचीन एरियाना में अधिक आधुनिक फारस और मीडिया के भाग शामिल थे।]


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32] ओरेल, व्लादिमीर ई। (2003)। जर्मनिक व्युत्पत्ति विज्ञान की एक पुस्तिका । लीडेन: ब्रिल। पी। 23. आईएसबीएन  1-4175-3642-X। OCLC  56727400