((सिपाही शब्द का ऐैतिहासिक विश्लेषण 🚶🏽🚶🏽🚶🏽🐕🌾💐🌾
A Historical analysis of spy word )) this etymological thesis is explored by Yogesh Kumar Rohi belong to village Azadpur district Aligarh------8077160219/☎☎☎☎☎☎☎
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Spy "to watch stealthily," from Old French espiier "observe, watch closely, spy on, find out," probably from Frankish *spehon or some other Germanic source, from Proto-Germanic *spehon- (source also of Old High German *spehon "to look out for, scout, spy," German spähen "to spy," Middle Dutch spien), the Germanic survivals of the productive PIE root *spek- "to look, -
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अर्थात् :--- स्पइ क्रिया का अर्थ अंग्रेज़ी में होता है :- छिपकर देखना ।
पुरानी फ्रेंच ( गॉलिश भाषा में ) में
वहाँ इसका अर्थ " एस्पीर :- देखना ।
कुछ भाषा -विद् कदाचित फ्रेंच सपेहॉन से तो कुछ आद्य- जर्मन भाषा में सपेहॉन है ।
यही शब्द पुरानी उच्च जर्मन में है ।
सपेहॉन का अर्थ - देखभाल करना ।
मध्य डच भाषा में इसका रूप स्पीन
-- संस्कृत स्पश् धातु का अर्थ-- (सम्यक् रूप से देखना ) यूरोपीय भाषा विदों के अनुसार इसकी उत्तरजीविता की उत्पादिका प्रॉटो इण्डो-यूरोपीयन धातु स्पेक (spek) है । जिससे आगे चल कर स्पेक्टर
( Sector निरीक्षक)-----
वैदिक साहित्य में भी" स्पश "(spien)
गुप्तचर का वाचक है ।
तथा लोैकिक संस्कृत भाषा में स्पश का अर्थ १--- भेदिया अथवा गुप्तचर होता है !
पुरस्कार प्राप्ति हेतु जंगली पशुओं से लड़ने बाला योद्धा " भी स्पश कहलाता था "
शिशुपाल वधम् --- नाट्य- काव्य में ----- स्पशे शनैर्गत वति तत्र विद्वषाम् --- शि० १७/२०. के रूप में स्पश शब्द गुप्तचर के अर्थ में ही विद्यमान है
पाणिनि धातु- पाठ में स्पश् =बाधन स्पर्शयो: तथा ग्रहणसंश्लेषणयो:
के अर्थ- विस्तार में है !
अवेस्ता ए झन्द में संस्कृत भाषा का स्पश शब्द ,सिपाह
के रूप में है ।
तुर्की भी ईरानी भाषा का प्रभाव लिए हुए है । और यहाँ भी सिपाही शब्द यथावत है ।
विदित हो कि प्राचीन काल में 'स्पश' संस्कृत भाषा में कुत्ते को भी कहते थे " क्यों कि गुप्तचर पृथा कुत्ते के ही अधीन थी ।
फारसी भाषा से विकसित कश्मीरी तथा पश्तो आदि भाषाओं में आज भी "स्पइ " (spy)
कुत्ते को ही कहते हैं|
पुलिस विभाग में अब भी गुप्तचर परम्पराओं के निर्वहन के लिए खोजी कुत्तों( Dog Squared) को ही तैनात किया जाता है !
फारसी भाषा का सिपाही शब्द का विकास भी इसी शब्द से हुआ है |
कुछ शब्द- व्युत्पत्ति विश्लेषक सिपाही शब्द का विकास फारसी "अस्प "
से मानते हैं , जिसका आविर्भाव संस्कृत अश्व: शब्द से ही हुआ है
परन्तु यह सब भ्रामक व्युत्पत्ति विश्लेषण ही है
तथ्य परक विश्लेषण कदापि नहीं है.....
यूरोपीय सन्दर्भों में भी यह शब्द अनेक रूपों में विद्यमान है देखें निम्न रूप में ---------√
observe" (see scope (n.1)). Old English had spyrian "make a track, go, pursue; ask about, investigate," also a noun spyrigend "investigator, inquirer." Italian spiare, Spanish espiar also are Germanic loan-words. Meaning "to catch sight of" is from c. 1300. Children's game I spy so called by 1946.
spy (n.)
mid-13c., "one who spies on another," from Old French espie "spy, look-out, scout" (Modern French épie), probably from a Germanic source related to spy (v.).
जर्मन वर्ग की भाषाओं में भी स्पेक spek -- देखना , निरीक्षण करना आदि अर्थक क्रिया है अंग्रेजी भाषा का शब्द इन्सपेक्टर inspector के मूल में लैटिन क्रिया Specere--स्पेसेयर --
to look( देखना )
वास्तव में सीमाओं पर तैनात हमारे सीमा सुरक्षा बल सैनिक श्रृंगालों (सिरकटाओं) के समान देश की सीमाओं के रक्षक हैं
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और आज के सिपाही कुत्तों के समान देश के भीतर गुप्तचर अथवा प्रहरी है ।
स्पश--अच् १ चरमात्रे २ अभिसरे (युद्धे) ३ गूढचर च अमरः “राजनीतिरपस्पशा” माघः ।
संस्कृत भाषा में स्पश शब्द के कुछ सन्दर्भों का उद्धरण ।
संस्कृत भाषा में स्पश शब्द का प्रयोग प्राचीनत्तम है ।
स्पश, ञ ग्रन्थवाधयोः । इति कविकल्पद्रुमः ॥ (भ्वा०-उभ०-सक०-सेट् ।) ञ, स्पशति स्पशते । पस्पाश । ग्रन्थस्थाने स्पर्शनं पठन्ति केचित् । इति दुर्गादासः ॥
स्पशः, पुं, (स्पशतीति । स्पश + पचाद्यच् ।) चरः । (यथा, महाभारते । १ । १४७ । २५ । “वयन्तु यदि दाहस्य बिभ्यतः पद्रवेमहि । स्पशैर्नो घातयेत् सर्व्वान् राज्यलुब्धः सुयोधनः ॥”) अभिसरः । इत्यमरः । ३ । ३ । २१३ ॥
चरो गूढपुरुषः ।
अभिसरो युद्धम् ।
प्राणनिरपेक्षो यो द्रव्यार्थं व्याडं हस्तिनं वा योधयति सोऽभि- सरः ।
इत्येके । इमौ द्वौ स्पशौ । इति भरतः ॥
अमरकोशः
स्पश पुं।
चारपुरुषः
समानार्थक:यथार्हवर्ण,प्रणिधि,अपसर्प,चर,स्पश,चार,गूढपुरुष,पेशल
2।8।13।1।5
यथार्हवर्णः प्रणिधिरपसर्पश्चरः स्पशः। चारश्च गूढपुरुषश्चाप्तप्रत्ययितौ समौ॥
स्वामी : राजा
पदार्थ-विभागः : , द्रव्यम्, पृथ्वी, चलसजीवः, मनुष्यः
स्पश पुं।
अभिमरः
समानार्थक:तीक्ष्ण,स्पश
3।3।214।2।2
क्लीबं नपुंसकं षण्डे वाच्यलिङ्गमविक्रमे। द्वौ विशौ वैश्यमनुजौ द्वौ चराभिमरौ स्पशौ॥
पदार्थ-विभागः : , क्रिया
वाचस्पत्यम्
'''स्पश'''¦ ग्रन्थे वाधने च भ्वा॰ उभ॰ सक॰ सेट्। स्पशात--तेअस्पर्शीत्--अ स्पाशीत्। अस्पशिष्ट।
'''स्पश'''¦ पु॰ स्पश--अच्
१ चरमात्रे
२ अभिसरे (युद्धे)
३ गूढचरच अमरः
“राजनीतिरपस्पशा” माघः।
शब्दसागरः
स्पश¦ m. (-शः)
1. A spy, a secret agent or emissary.
2. War, battle.
3. Fighting with a dangerous animal, as a tiger, a buffalo, &c., for reward. E. स्पश् to inform, aff. अच् | [Page816-a+ 60]
Apte -वामन शिवराम आप्टे कोश
स्पशः [spaśḥ], [स्पश्-अच्]
A spy, a secret emissary or agent; स्पशे शनैर्गतवति तत्र विद्विषाम् Śi.17.2; Mu.3.13; see अपस्पश also.
Fight, war, battle.
One who fights with savage animals (for reward), or the fight itself.
Monier-Williams
स्पश m. =prec. Shad2vBr. Mn. MBh. Pan5cat.
स्पश m. a fight , war , battle L.
स्पश m. a kind of gladiator who fights with a savage animal for a reward "
संस्कृत धातु पाठ में स्पश् धातु का क्रिया रूप -
स्पश :--बाधनसंश्लेषणस्पर्शनग्रहणेषु "
स्पाशनं ग्रन्थनम्
स्पशते, स्पशति सेयमुभयतः स्पाशा रज्जुः स्पशश्चरः पस्पश उपोद्घातः चुरादौ स्पश बाधने (तु0 10130) पश बन्धने (10165) स्पाशयते, पाशयति पष इत्येके- पाषः, पाषाणः 858
वास्तव में ---
"काक: चेष्टा, वको ध्यानं, श्वान निंद्रा तथैव च
अल्पाहारी, सदाचारी एतद विद्यार्थिन पंच लक्षणं।
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श्वान:निद्रा के रूप में हमारे नीति कारों ने विद्यार्थीयों को कुत्तों के यह गुण ग्रहण करने की प्रेरणा भी दी है ।
कुत्ते दुनियाँ के सबसे बड़ी मनो वैज्ञानिक भी होते हैं ।
जो केवल व्यक्ति की हरकतों से ही उसके भावों का आकलन कर लेते हैं ।
और ये सृष्टा के द्वारा स्थापित ग्राम और नगरों के सशक्त प्रहरी भी होते हैं ।
कुत्तों की यह विशेषता हम्हें ग्रहण करनी चाहिए ।
आपको यह भी ज्ञात ही है कि कुत्ते बेचारे आज किसी के रोटी - कौरा डाले विना भी गाँवों की निस्वार्थ भाव से पहरेदारी करते रहते हैं ।
हमारे गाँव अगर सुरक्षित हैं चौरों से, तो ग्राम- भक्त कुत्तों की बादौलत ...
कुत्तों का यह गुण ईश्वर प्रदत्त
वरदान है । यह गुण आदर्श है सिपाही के लिए भी ,
कुत्ते बहुत बडे़ मनोवैज्ञानिक भी होते हैं |
जो बीच रास्ते पर शयन काल में भी अज्ञात व्यक्ति की आहट पर ही प्रतिक्रिया करते हैं !
गाँव के परिचित व्यक्ति की आहट पर कदापि नही नहीं ....
परन्तु लोभ और. लालच में अब इन गुणों का भी ह्रास होता जा रहा है ----
कुत्ते अपने स्वाभिमान के प्रति सचेत नहीं हैं ।
परन्तु इसमें उनके अहं भाव का भी तिरोहित होना ही है
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शब्द-व्युत्पत्ति विश्लेषक------
यादव योगेश कुमार 'रोहि' ग्राम आज़ादपुर पत्रालय पहाड़ीपुर जनपद अलीगढ़----
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