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यूनानी महाकाव्य इलियड में वर्णित त्रेतन (Triton)
एक समुद्र का देवता है ।
जो पॉसीडन ( Poisson ) तथा एम्फीट्रीट(Amphitrite) का पुत्र है ।
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Triton is the a minor seafood Son of the Poisson & Amphitrite " he is the messenger of sea
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त्रेतन की कथा पारसीयों के धर्म - ग्रन्थ अवेस्ता ए जेन्द़ में थ्रेतॉन के रूप में वर्णित है इनके धर्म-ग्रन्थों में थ्रेतॉन अथव्यय से अजि-दहाक वैदिक अहिदास की लड़ाई हुई
यूनानी महाकाव्यों में अहि (Ophion) के रूप में है ।
ऋग्वेद के प्रारम्भिक सूक्तों में त्रेतन समुद्र तथा समुद्र का देवता है ।
वस्तुत: तीनों लोकों में तनने के कारण तथा समुद्र की यात्रा में नाविकों का कारण करने से होने के कारण
इसके यह नाम मिला ..
वेद तथा ईरानी संस्कृति में त्रेतन तथा त्रित को चिकित्सा का देवता माना गया ----
यत् सोमम् इन्द्र विष्णवि यद् अघ त्रित आपत्यये---अथर्व०२०/१५३/५
अंगेजी भाषा में प्रचलित शब्द( Treat )
लैटिन Tractare तथा Trahere के रूप संस्कृत भाषा के त्रा -- तर् से साम्य रखते है ।
बाद में इसका पद सोम ने ले लिया जिसे ईरानी आर्यों ने साम के रूप में वर्णित किया है ।
परवर्ती वैदिक तालीम संस्कृति में त्रेतन को दास तथा वाम -मार्गीय घोषित कर दिया गया था ।
देखें---
यथा न मा गरन् नद्यो मातृतमा
दास अहीं समुब्धम बाधु: ।
शिरो यदस्य त्रैतनो वितक्षत
स्वयं दास उरो अंसावपिग्ध ।।
ऋग्वेद--१/१५८/५
अर्थात्--हे अश्वनि द्वय माता रूपी समुद्र का जल भी मुझे न डुबो सके ।
दस्यु ने युद्ध में बाँध कर मुझे फैंक दिया .
त्रेतन ने जब मेरा शिर काटने की चेष्टा की तो वह स्वयं ही कन्धों से आहत हो गया ..
वेदों की ये ऋचाऐं संकेत करती हैं कि आर्य इस समय सुमेरियन बैबीलॉनियन आदि संस्कृतियों के सानिध्य में थी । क्योंकि सुमेरियन संस्कृति में त्रेतन को शैतान के रूप में वर्णित किया गया है ।
यही से यह त्रेतन पूर्ण रूप से हिब्रू ईसाई तथा इस्लामीय संस्कृतियों में नकारात्मक तथा अवनत अर्थों को ध्वनित करता है।
यहूदी पुरातन कथाओं में ये तथ्य सुमेरियन संस्कृति से ग्रहण किये गये ।
तब सुमेरियन बैवीलॉनियन असीरियन तथा फॉनिशियन संस्कृतियों के सानिध्य में ईरानी आर्य थे ।
असीरियन संस्कृति से प्रभावित होकर ही ईरानी आर्यों ने असुर महत् ( अहुर-मज्द़ा)को महत्ता दी निश्चित रूप से यह शब्द यूनानीयों तथा भारतीय आर्यों में समान है ।
संस्कृत भाषा में प्रचलित शब्द त्रि -(तीन ) फ़ारसी में सिह (सै)हो गया ..
फ़ारसी में जिसका अर्थ होता है ---तीन ..
जैसे संस्कृत भाषा का शब्द त्रितार (एक वाद्य)
फ़ारसी में सिहतार हो गया है ।
इसी प्रकार त्रितान, सिहतान हो गया है ।
क़ुरान शरीफ़ मे शय्यतन शब्द का प्रयोग हुआ है ।
ऋग्वेद में एक स्थान पर त्रेतन के मूल रूप त्रित का वर्णन इस प्रकार हुआ है ।
कि जब देवों ने परिवित्ति में होने वाले पाप को त्रित में ही स्थापित कर दिया तो त्रित त्रेतन हो गया ।
अनिष्ट उत्पादन जिसकी प्रवृत्ति बन गयी ।
देखिए-- त्रित देव अमृजतैतद् एन: त्रित एनन् मनुष्येषु ममृजे --- अथर्ववेद --६/२/१५/१६
अर्थात् त्रित ने स्वयं को पाप रूप में सूर्योदय के पश्चातआत्मा लेते रहने वाले मनुष्यों में स्थापित कर दिया ।
वस्तुत: त्रेतन पहले देव था ।
हिब्रू परम्पराओं में शैतान /सैतान को अग्नि से उत्पन्न माना है ।और ऋग्वेद में भी त्रित अग्नि का ही पुत्र है ।
अग्नि ने यज्ञ में गिरे हुए हव्य को धोने के लिए जल से तीन देव बनाए --एकत ,द्वित तथा त्रित
जल (अपस्) से उत्पन्न ये आप्त्य हुए जिसे होमर के महाकाव्यों में (Amphitrite)...
कहा गया है ।
अर्थात् इस तथ्य को उद्धृत करने का उद्देश्ययही है कि वेदों का रहस्य असीरियन अक्काडियन हिब्रू आदि संस्कृतियों के विश्लेषण कर के ही उद्घाटित होगा ..
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तथ्य-विश्लेषक ---योगेश कुमार रोहि ग्राम आजा़दपुर पत्रालय पहाड़ीपुर जनपद अलीगढ़।
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