★-"इतिहास के बिखरे हुए पन्ने"-★
बुधवार, 5 अप्रैल 2023
कृष्णोऽस्य देवता ।।
मुनिर्ब्रह्मास्य गायत्री छंदः कृष्णोऽस्य देवता ।।
वर्णद्वंद्वैश्च सर्वेण पंचांगान्यस्य कल्पयेत् ।। ८१-७९ ।।
पंचवर्षमतिलोलमंगणे धावमानमतिचंचलेक्षणम् ।।
किंकिणीवलयहारनूपुरै रंजितं नमत गोपबालकम् ।। ८१-८० ।।
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