★-"इतिहास के बिखरे हुए पन्ने"-★
शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2020
कर्मों के बदले हमको जो मिले ...
कर्मों के सिले हम को जो मिले !
अपना ही था इसमें क्या मिले !
हम सम्हल के ना चले
इसलिए फिसले !!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
मोबाइल वर्शन देखें
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें