गुरुवार, 27 जून 2024

यशोदा माता की अंगकान्ति गौर अथवा श्यामल थी। एक विश्लेषण-

माता गोपान् यशोदात्री यशोदा श्यामलद्युति:।
मूर्ता वत्सलते! वासौ इन्द्रचापनिभाम्बरा।।११।
"अनुवाद:- श्रीकृष्ण की माता गोप जाति को यश प्रदान करने वाली होने से यशोदा कहलाती हैं।
इनकी अंग-कान्ति श्यामल वर्ण ( साँवली)की है ये वात्सल्य की प्रतिमूर्ति हैं।और इनके वस्त्र इन्द्र धनुष के समान हैं ।११।
उपर्युक्त श्लोक श्रीश्री राधागणोद्देश्य दीपिका से उद्धृत है।
और नीचे वाला श्लोक गर्गसंहिता के गिरि-राज खण्ड से है। जिसमें यशोदा को गोरे रंग का बताया गया है। और इसी श्लोक में नन्द को गोप होने से वैश्य और वसुदेव को क्षत्रिय बताया गया है। जबकि यथार्थ में बहुतायत ग्रन्थों में वसुदेव को भी  गोप ही बताया गया है। नीचे गर्गसंहिता के श्लोक देखें-
गौरवर्णा यशोदे त्वं नन्द त्वं गौरवर्णधृक् ।
अयं जातः कृष्णवर्ण एतत्कुलविलक्षणम्॥५ ॥

यशोदा; त्वम्- आप; नन्द - नन्द; त्वम् - आप; गौर- वर्ण - धृक् - धारक करने वाले; अयम् - वह; जाता - जन्मा; कृष्ण-वर्णा - श्याम; एतत् - कुल - इस कुल में; विलक्षणम् -असामान्य।

"गर्गसंहिता- ३/५/७     

हे यशोदा, तुम्हारा रंग गोरा है। हे नन्द, तुम्हारा रंग भी गोरा है। यह लड़का बहुत काला है। वह परिवार के बाकी लोगों से अलग है।

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श्रीगर्गसंहितायां गिरिराजखण्डे श्रीनारदबहुलाश्वसंवादे
गोपविवादो नाम पञ्चमोऽध्यायः ॥ ५ ॥

"विषेश-  यशोदा का वर्ण(रंग) श्यामल (साँबला) ही था। गौरा रंग कभी नहीं था- यह बात पन्द्रहवीं सदी में लिखित "श्रीश्रीराधाकृष्ण गणोद्देश दीपिका में भी लिखी हुई है।

परन्तु उन्नीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध में काशी पण्डित- पीठ ने गर्गसंहिता के गिरिराजखण्ड के पञ्चम अध्याय में तीन फर्जी श्लोक प्रकाशन काल में लिखकर जोड़ दिए हैं। 
जिनको हम ऊपर दे चुके हैं।

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