कारण एक सुभद्रा का हरण ।।
वह भी चुपके से न किया रण।।
नारायणी सेना के यौद्धा शान्त
कारण था कृष्ण का संरक्षण ।
जब कृष्ण भी अर्जुन के साथ नहीं।।
तब अर्जुन की औकात नहीं ।।
सब असहाय बाल और स्त्रियाँ हैं
यादव स्त्रियों के नाथ नहीं ।
ले जा रहा सैकड़ों अबला जन को ,
ये निर्लज्ज बेहया दीठा है ।
जो लोभी लालची और कामी ,
यौवन उनको अति मीठा है।
अपने यदुकुल के सम्मान हेतु ।
जब गोपों ने हुंकार भरी ।
अर्जुन जान बचाकर भागा
सब रह गयी वीरता धरी धरी ।।
फिर नारायणी सेना के वीरों ने ।
धो डाला लकुट अहीरों नें ।।
इन नारायणी सेना के गोपों ने ।
अर्जुन को दमकर पीटा था ।
पंजाब देश की सीमा से ,
ले जाकर दूर घसीटा था ।।
भागवत पुराण का लेख पढ़ो
नारी सम्मान के लिए लड़ो ।।
सो८हं नृपेन्द्र रहित: पुरुषोत्तमेन
सख्या प्रियेण सुहृदा हृदयेन
शून्य: ।
अध्वन्युरूक्रम परिग्रहम् अंग रक्षन् ।।
गौपै: सद्भिरबलेव विनिर्जितो८स्मि।।
(भागवत पुराण 1/1/20)
परन्तु महाभारत कथा ।
जिसमें नहीं कुछ यथा यथा ।।
ततस्ते पापकर्माणो लोभोपहत चेतस।
आभीरा मन्त्रामासु समेत्याशुभ दर्शना।।
पर बात इस तरह होती तो
सच और सम्यक् वर्णन होता ।
अहीर कभी बागी नहीं होते ।
दोखे से नहीं है समझौता ।।
यदा बहुसंख्यिका स्त्रिय: साकं अर्जुनेन गमयन्ती पञ्चनद प्रदेशे ।
ततस्ते बहूत्कट भट कर्माणो ।
अपमानविक्षत चेतस ।।
आभीरा वीरा चिन्तयामासु समेत्य
भञ्जनो वर्जना।।
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प्रस्तुति-करण:- यादव योगेश कुमार 'रोहि'
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