आज हमारी आर्य संस्कृति एक विकृति और अन्ध रूढि बनकर रह गयी और तो क्या ? विश्व में आज हिन्दुत्व एक अन्ध विश्वास का पर्याय वाचक बन गया है ।
आज हमारी साधना स्थलीयाँ बुत परस्ती का मरक़ज (स्थान) बन गयीं हैं ।
धर्म के तथाकथित ठेकेदार फर्जी शंकराचार्यों ने सृष्टि के एक मात्र शाश्वत् धर्म को , आर्य संस्कृति को हिन्दुत्व के संकुचित दायरे में प्रतिबन्धित कर दिया है ।
हिन्दू शब्द किसी शास्त्र में नहीं लिखा है ।
मैं यादव योगेश कुमार 'रोहि' इस तथ्य को प्रमाणत: कहता हूँ ।
कि इसी लिए आज हिन्दु भी किसी अन्य सम्प्रदाय--- इस्लाम अथवा ईसाई से भिन्न कदापि नहीं है; आज हिन्दुत्व एक चीथङा (फटा पुराना वस्त्र) बन गया है हिन्दुत्व का उद्घोष करने बालों को ज्ञात होना चाहिए कि हिन्दु स्वदेशी नहीं है ई0पू0 323 से पूर्व ईरानी शासक दारा प्रथम ने सिन्धु नदी के लिए इस शब्द का प्रयोग किया था ।
अतः हमारे अनुसार यह शब्द झूँठन है, विदेशी है इसे त्याग देना चाहिए !!
इसके स्थान पर हम्हें भारतीय शब्द का प्रयोग करना चाहिए ।
धर्म तो विश्व का एक ही जो शाश्वत् है ; और सार्वभौमिक भी धर्म एक महा मार्ग (grand truck road) है ।
और हिन्दु :इस्लाम तथा ईसाई आदि स्प्रदाय मात्र टूटी फूटी पग दण्डीयाँ ही हैं
धर्म एक जी० टी० रोड है ।
आज भी भारत देश में वर्ण व्यवस्था की विकृतिपूर्ण मान्यताओं का सुदूर ग्रामीण-- अञ्चलों में उन्मत्त ताण्डव है ।
सभी दलितों की वर यात्रा प्रदर्शन पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाता है । राजपूत अथवा ब्राह्मण समुदाय के द्वारा तो कभी ।
यादवों को शूद्र घोषित करने की असफल कुचेष्टाऐं की जाता हैं ।
वह भी अहीरों के रूप में ; ---मैं मानता हूँ कि अहीरों को किसी न किसी रूप में हेय वर्णित किया है ।
उनके घरों में आग लगा दी जाती है ।
जैसा कि अभी बीकापुर में हुआ है ।
कहीं अम्बेडकर जी की प्रतिमा खण्डित कर दी जाती है ।
आज हिन्दू की पहिचान उसकी जाति से होती है ।
उसकी गुणवत्ता या योग्यता से नहीं ...
यादव योगेश कुमार 'रोहि'
अङ्क प्रथम् --------------
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