ख़ुद की खूबीयाँ नज़र नहीं आती  जिनको 
सच्चे अर्थों में रोहि वो ही महान होते हैं !
~~~~~~~~~~~~~~~
अपनी कमीयों को न मानने बाले        
जगत् में कब विद्वान होते हैं !
~~~~~~~~~~~~~
पहली मुलाकात में ही
तुम्हारा क्या अन्दाज था मित्र !
वो सादग़ी वो सरलता .
दिल खुश-मिज़ाज था विचित्र !
~~~~~~~~~~~~~~~
  अब आप गै़र नहीं 
         बल्कि  हमारे अपने ही है !
आपके लिए भी मित्र वर 
    मन  की आँखों में सपने ही हैं !!
भाव और श्रद्धा है तो 
       पत्थर में भगवान् होते हैं 
 यहाँ भाव से  ही भव है !!
  ख़ुदा है और वही रब़ है !!
 इस भाव से जगत् मे 
            सब के ध्यान होते है ! !
जो भावनाओं में बस जाँऐं 
         रोहि वोहि भगवान होते हैं !!
स्वागत में पलके बिछाते हैं 
         वो हमारे महमान होते हैं 
   इस लिए तुम्हारी ख़ातिर भी 
हम  यही अरमान सजोंते हैं !!!!!!!...../
 वही हँसते बहुत दिन 
          जो जिन्द़गी भर ज्यादा रोते हैं 
 आपके लिए कृतज्ञता पूर्ण  आपको भावनाओं की अञ्जलि से 
  समर्पित यादव योगेश कुमार "रोहि" 
की यह ख़यालाती नज़्म.....🌺🌺🌺🌺🌺〰....
शुक्रवार, 26 जनवरी 2018
ख़ुद की खूबीयाँ नज़र नहीं आती जिनको सच्चे अर्थों में रोहि वो ही महान होते हैं !
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें