~ वाल्मीकीय रामायण जो आज प्राप्त है क्या वाल्मीकि के द्वारा रचित है ? 〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰 प्रस्तोता --- योगेश कुमार रोहि ग्राम आजादपुर पत्रालय पहाड़ीपुर जनपद अलीगढ़ उ०प्र०....📝📝📝⃣2⃣2⃣2⃣2⃣2⃣ तब राम से महासागर ने कहा कि --- उत्तरेणावकाशोस्ति कश्चित् पुण्यतरो मम। द्रुमकुल्य इति ख्यातो लोके ख्यातो यथा भवान्।।32।। उग्रदर्शन कर्मणो बहवस्तत्र दस्यवः। आभीर प्रमुखाः पापाः पिबन्ति सलिलं मम।।33।। तैन तत्स्पर्शनं पापं सहेयं पापकर्मभिः। अमोधः क्रियतां राम अयं तत्र शरोत्तमः।।34।। तस्य तद् वचनं श्रुत्वा सागरस्य महात्मनः। मुमोच तं शरं दीप्तं परं सागर दर्शनात्।।35।। तेन तन्मरुकान्तारं पृथिव्यां किल विश्रुतम्। नियातितः शरो यत्र बज्राशनिसमप्रभः।।36।। कि ”प्रभो! जैसे जगत में आप सर्वत्र विख्यात एवं पुण्यात्मा हैं, उसी प्रकार मेरे उत्तर की ओर द्रुमकुल्य नाम से विख्यात एक बड़ा ही पवित्र देश है। वहाँ आभीर आदि जातियों के बहुत से मनुष्य निवास करते हैं, जिनके रूप और कर्म बड़े ही भयानक हैं। वे सब के सब पापी और लुटेरे हैं। वे लोग मेरा जल पीते हैं। उन पापचारियों का स्पर्श मुझे प्राप्त होता रहता है, इस पाप को मै नहीं सह सकता। श्री राम! आप अपने इस उत्तम बाण को वहीं सफल कीजये। महामना समुद्र का यह वचन सुनकर सागर के दिखाये अनुसार उसी देश में राम ने वह अत्यन्त प्रज्वलित बाण छोड़ दिया। वह वज्र और मशीन के समान तेजस्वी बाण जिस स्थान पर गिरा था वह स्थान उस बाण के कारण ही पृथ्वी में दुर्गम मरूभूमि के नाम से प्रसिद्ध हुआ। भगवान राम ने अहीरों के देश पर बाण छोड़कर मरुस्थल बना दिया। जबकि अहीरों का राम से कोई अदावत या दुश्मनीं नहीं थी। इसलिए राम अहीरों के पुरखो के हत्यारे हैं। ....राम और कृष्ण में बड़ा फर्क है। कृष्ण ने आर्याे के देवता इन्द्र से युद्ध किया। ऋग्वेद आर्याे की प्राचीन पुस्तक है। ऋग्वेद में उल्लेख कि कृष्ण दानव थे और इन्द्र के शत्रु थे। (पढ़ें ऋग्वेद या इतिहासकार डी0डी0 कौशाम्बी की पुस्तक प्राचीन भारत की संस्कृति और सभ्यता पृष्ठ 148) कृष्ण ने अपने पूरे जीवन में कहीं मन्दिर नहीं बनवाये ऋग्वेद में दशम् मण्डल में कहा है कि " उत् दासापरिविषे गोपरणीसा यदुस्तुर्वुशुश्च मामहे " अर्थात् यदु और तुर्वसु नामक दासों कीहम स्तुति करते हैं जो गायों से घिरे हुए है ... क्रमशः द्वित्तीय भाग 2⃣...
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