★-"इतिहास के बिखरे हुए पन्ने"-★
मंगलवार, 28 दिसंबर 2021
म्लेच्छा हि यवनास्तेषु सम्यक् शास्त्रमिदं स्थितम् । ऋषिवत् तेऽपि पूज्यन्ते
【भारतीय संस्कृति की उदारता】
म्लेच्छा हि यवनास्तेषु सम्यक् शास्त्रमिदं स्थितम् । ऋषिवत् तेऽपि पूज्यन्ते...
~बृहत् संहिता/अध्याय: २/ श्लोक: ३०
म्लेच्छों अथवा यवनों को भी जब इस शास्त्र का ज्ञान हो, तो वे भी ऋषि-मुनियों के समान पूजनीय है...
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