★-"इतिहास के बिखरे हुए पन्ने"-★
शुक्रवार, 22 जनवरी 2021
वेदेषु सामवेदश्च प्रशस्तः सर्वकर्मसु ।तथैव कण्वशाखायां पुण्यकाण्डे मनोहरे ।। २ ।।स व्यवतो यश्च दुःस्वप्नः शश्वतपुण्यफलप्रदः ।तत्सर्व निखिलं तात कथयामि निशामय ।। ३ ।।
वेदेषु सामवेदश्च प्रशस्तः सर्वकर्मसु ।तथैव कण्वशाखायां पुण्यकाण्डे मनोहरे ।। २ ।।स व्यवतो यश्च दुःस्वप्नः शश्वतपुण्यफलप्रदः ।तत्सर्व निखिलं तात कथयामि निशामय ।। ३ ।।
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