गुज्जर जन-जाति के विषय में कुछ पाश्चात्य इतिहास विदों का मत -👇
(जॉर्जिया)ʒɔːrdʒə ) एक देश का नाम जो काकेशस देश के लिए पश्चिमी नाम है ।
जिसे मूल रूप से साकार्टवेलो के नाम से जाना जाता है अर्थात् ( जॉर्जियाई : (საქართველო ), [sakʰartʰvɛlɔ]।
इसी का रूसी उपनाम ग्रुज़िया (ग्रीसिया) है।
इसका मूल नाम कार्तली के मुख्य केंद्रीय जॉर्जियाई क्षेत्र केरूप में भी मान्य रहा अर्थात यह नाम शास्त्रीय और बीजान्टिन स्रोतों के इबेरिया से लिया गया है।
पाश्चात्य इतिहास विदों का निष्कर्ष है कि आयबरिया ( आभीरिया) अथवा अवर जन-जाति का आवास -स्थल रहा ।
जिसके आसपास जॉर्जियाई लोगों का शुरुआती मध्ययुगीन सांस्कृतिक और राजनीतिक एकता का गठन हुआ था।
उसे ही इतिहास में आयबेरिया कहते थे ।
पश्चिमी और रूसी दोनों शब्दकोषों में सम्भवतः एक पुरानी फारसी वर्कना " भेड़िये की भूमि" से जॉर्जियाई, गुरगान के फारसी पदनाम का प्रचलन हुआ हैं ।
ऐसी भी लोगों की मान्यताऐं हैं।
( पुरानी अर्मेनियाई भाषा में विर्क ' (Վիրք) में भी यह नाम दिखाई देता है ।
संस्कृत भाषा में वृक = भेड़िया को ही कहते हैं ।
-जैसे कि निम्न रूप में उद्धृत है ।
श्वावित्तु शल्यस्तल्लोम्नि शलली शललं शलम्. वातप्रमीर्वातमृगः कोकस्त्वीहामृगो वृकः॥
और ग्रीको-रोमन का स्रोत इबेरिया )।
आज जॉर्जियाई संविधान में निर्दिष्टि के अनुसार, देश का पूर्ण, आधिकारिक नाम "जॉर्जिया" है ।
जॉर्जिया राज्य का नाम होगा।"
1995 के संविधान लागू होने से पहले देश का नाम जॉर्जिया गणराज्य था।
जॉर्जियाई सरकार रूसी-व्युत्पन्न बहिष्कार ग्रुज़िया को दुनिया भर में उपयोग से हटाने के लिए सक्रिय रूप से काम करती रही है।
फ्रोर मौरो मानचित्र पर "गोरगानिया" यानी जॉर्जिया। यूरोपीय "जॉर्जिया" शायद जॉर्जियाई - गुरग ( گرج ), ğurğ के फारसी पदनाम से उत्पन्न होता है ।
- जो पवित्र भूमि में पश्चिमी यूरोपीय क्रूसेडर और तीर्थयात्रियों तक पहुंचा, जिन्होंने जॉर्जिया ( जोर्जानिया , जियोर्जिनिया इत्यादि) के रूप में नाम दिया और ,
गलती से कालान्तरण में
जॉर्जियाई लोगों के बीच सेंट जॉर्ज ( टेट्री जियोर्गी ) की लोकप्रियता से इसकी उत्पत्ति को समझाया।
--जो कि इसके इतिहास को मिटाने का षड्यन्त्र मात्र है
यह स्पष्टीकरण दूसरों के बीच जैक्स डी विट्री और फ्रांज फर्डिनेंड वॉन ट्रोइलो द्वारा प्रदान किया जाता है।
एक और सिद्धांत, जॉर्जिया शब्द "जीन चार्डिन की पसंद से लोकप्रिय, अर्थात् "जॉर्जिया" से यूनानी γεωργός ("भूमि के जोतने वाले ") से जुड़ा हुआ शब्द है।
इस स्पष्टीकरण के समर्थकों ने कभी-कभी शास्त्रीय लेखकों को संदर्भित किया जाता है ।
विशेष रूप से प्लिनी और पोम्पोनियस मेला को ।
इन लेखकों द्वारा लिखित "जॉर्जी" (प्लिनी, IV.26, VI.14; मेला, डी सीता ओर्ब ।
I.2, और 50; ii.1, और 44, 102.) केवल कृषि मूलक जनजाति के थे, इसलिए अंतर करने के लिए नामित उन्हें पेंटैटेपा नदी ( टॉरिका में ) के दूसरी तरफ उनके परेशान और पादरी पड़ोसियों से।
19 वीं शताब्दी में, मैरी-फेलिसी ब्रॉसेट ने कुर्तो -साइरस-कुरा-डजुरान के माध्यम से मटकावरी नदी से जॉर्जिया नाम के व्युत्पन्न का पक्ष लिया।
कई आधुनिक विद्वानों के मुताबिक, "जॉर्जिया" को 11 वीं या 12 वीं शताब्दी में सिरीक गुर्ज-इन / गुर्ज-इयान और अरबी ĵurĵan / ururzan से उधार लिया गया है।
जो न्यू फारसी गुरग / गुरगान से लिया गया है , जो खुद मध्य से निकलता है अस्पष्ट उत्पत्ति के फारसी वारुआन , लेकिन पूर्वी ट्रांस- कैस्पियन में उपरोक्त गोरगान जैसा दिखता है, जो पुरानी फारसी वर्कना- "भेड़िये की भूमि" से आता है।
यह आर्मेनियाई विर्क ' (Վիրք) और ग्रीको-रोमन प्रस्तुति इबेरी ( Ἴβηρες ) के स्रोत के समान व्युत्पत्ति का हो सकता है।
जिसे पहले से ही इबेरियन प्रायद्वीप के इबेरियाई लोगों के नाम के रूप में जाना जाता है।
इबेरिया की अधिक जानकारी: इबेरिया का राज्य "हिबेरिया" यानी तबेला पेटिंगरियाना पर इबेरिया।
जॉर्जियो मेलिकिशविली द्वारा प्रस्तावित आईबेरिया नाम की व्युत्पत्ति पर एक सिद्धांत यह था कि यह जॉर्जिया, विर्क ( अर्मेनियाई : Վիրք , और Ivirk '[Իվիրք] और Iverk' [Իվերք]) के समकालीन अर्मेनियाई पदनाम से लिया गया था, जो स्वयं जुड़ा हुआ था सेवर (या स्वीर) शब्द, जॉर्जियाई लोगों के लिए कार्टवेलियन पदनाम।
इस उदाहरण में अक्षर "मूल" शब्द "वेर" (या "वीर") के उपसर्ग के रूप में कार्य करता है।
तदनुसार, इवेन जावखिश्विली के सिद्धान्त में, सेवर का एक संस्करण "सबर" का जातीय पदनाम, "हबर" ("हेवर") (और इस प्रकार इबेरिया) और आर्मेनियाई रूपों, वेरिया और विरिया शब्द को लिया गया था।
-जैसा कि हिब्रू बाइबिल में अबीर शब्द का श्रोत बीर / बर है ।
जॉर्जिया का अर्मेनियाई नाम Վրաստան Vrastan , Virիրք Virk (यानी इबेरिया ) है।
जातीय जॉर्जियाई लोगों को अर्मेनियाई में Վրացիներ (Vratsiner) के रूप में संदर्भित किया जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ है इबेरियंस।
ग्रुज़िया शब्द का उल्लेख रूस के फीडर द्वितीय द्वारा संचालित "रूस का मानचित्र" और एम्स्टर्डम में हेसल गेरित्ज़ द्वारा प्रकाशित "आईवरिया शिव ग्रुसिने इंपीरियम" यानी इबेरिया या जॉर्जिया के साम्राज्य के रूप में है।
रूसी exonym Gruziya (Грузия ['gruzʲɪjə]) फारसी मूल का है, फारसी से : گرجستان Gorjestân (तुर्की गुर्किस्तान गुर्जिस्तान , ओस्सेटियन : Гуырдзыстон Gwyrdzyston )।
इत्यादि नाम भी प्रचलन में रहे ..
रूसी नाम पहली बार इग्नाटी स्मोल्निनेन के यात्रा रिकॉर्ड में गुर्ज़ी (гурзи) (1389) और अफानसी निकितिन के रूप में गुर्जिनस्काया ज़ेमिला (Гурзыньская земля, "गुर्जिन भूमि") (1466-72) के रूप में होता था।
रूसी साम्राज्य को कई साम्राज्य भाषाओं (बल्गेरियाई, बेलारूसी, पोलिश, चेक, सेर्बो क्रोएशियाई, स्लोवाक, स्लोवेनियाई, मैसेडोनियन, यूक्रेनी) के साथ-साथ रूसी साम्राज्य (जैसे लातवियाई, लिथुआनियाई, एस्टोनियन) के संपर्क में ऐतिहासिक रूप से अन्य भाषा में लाया गया था।
, हंगरी, येहुदी,( यादव देश) किर्गिज़, तुर्कमेनिस्तान, उइघुर, चीनी, जापानी, कोरियाई) आदि के सन्दर्भों में प्रयुक्त था।
यह समकालीन हिब्रू में भी गोरोजिहा ("ग्रुज़-ia") में प्रवेश किया।
यह 19 70 के दशक में "ग्रुज़िया" के कब्जे में लिया गया था, संभवतया द्विभाषी जॉर्जियाई-रूसी यहूदियों के इज़राइल के बड़े पैमाने पर आप्रवासन के कारण, "ग्रिजिया" दो हार्ड जी के साथ "गोरघिया" और गोरगिया (गुर्जिया) नामों के साथ सह-अस्तित्व में था।
उस समय।
अगस्त 2005 में इज़राइल के जॉर्जियाई राजदूत लाशा झ्वानिया ने पूछा कि हिब्रू वक्ताओं ने अपने देश को "जॉर्जिया" गोरिजिया के रूप में संदर्भित किया है और नाम "ग्रुज़िया" छोड़ दिया है।
जॉर्जिया ने दिसंबर 200 9 में लिथुआनिया को एक ही अनुरोध जारी किया था, जिसे "ग्रुजिजा" के बजाय "जॉर्जिजा" कहा जाता था;
यह अनुरोध लिथुआनियाई भाषा के आयोग को भेजा गया था।
। इसके बजाए, आखिरकार "साकार्टवेलास" का आधिकारिक नाम 2018 में उपयोग में पेश किया गया था।
जून 2011 में, जॉर्जिया के विदेश मामलों के मंत्रालय ने कहा कि दक्षिण कोरिया रूसी-प्रभावित "그루지야" (ज्यूरुजिया) के बजाय देश को "조지아" (जोजिया) के रूप में संदर्भित करने के लिए सहमत हो गया था
और जॉर्जिया सरकार अन्य के साथ लगातार बातचीत कर रही थी इस मुद्दे पर देश।
अप्रैल 2015 में, जापान ने "गुरुजीया" ( グ ル ジ ア ) से जॉर्जियाई के लिए आधिकारिक जापानी नाम बदल दिया, जो रूसी शब्द "ग्रुज़िया" से "जोजिया" ( ジ ョ ー ジ ア ) से निकला, जो अंग्रेजी शब्द "जॉर्जिया" से निकला है।
संदर्भ :-^ "अनुच्छेद 1.3", जॉर्जिया का संविधान जो 'जॉर्जिया' पढ़ता है जॉर्जिया राज्य का नाम होगा "
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गुर्जर समाज, प्राचीन एवं राज्य करने वाले समाज में से एक है।
भारतीय सन्दर्भों में गुर्जर अभिलेखो के अनुसार ये लोग सूर्यवंश या रघुवंश से सम्बन्ध रखते हैं।
प्राचीन महाकवि राजशेखर ने गुर्जरो को रघुकुल-तिलक तथा रघुग्रामिणी कहा है।
7वीं से 10वीं शताब्दी के गुर्जर शिलालेखो पर सूर्यदेव की कलाकृतिया भी क्या इनके सूर्यवंशी होने की पुष्टि करती है ?
वस्तुत सूर्य वंशी और चन्द्र वंशी एक परिकल्पना मात्र है ।
यह नाम क्रमश हैमेटिक और सैमेटिक जन-जातियों का भारतीय पौराणी करण है।
राजस्थान में आज भी गुर्जरो को सम्मान से मिहिर बोलते हैं, जिसका अर्थ सूर्य होता है।
परन्तु यह बात भी मिथकों के तौर पर जोड़ी गयी ।
कुछ इतिहासकरो के अनुसार गुर्जर मध्य एशिया के कॉकेशस क्षेत्र (अभी के आर्मेनिया और जॉर्जिया) से आए आर्य योद्धा थे।
संस्कृत के विद्वानों के अनुसार, गुर्जर शुद्ध संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ शत्रु का नाश करने वाला अर्थात् शत्रु विनाशक होता है।
परन्तु गुर्ज्जरः शब्द का सटीक सम्बन्ध गौश्चर: शब्द से है ।
प्राचीन महाकवि राजशेखर ने गुर्जर नरेश महिपाल को अपने महाकाव्य में दहाड़ता गुर्जर कह कर सम्बोधित किया है।
गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य के सन्दर्भों को आलेखित करते हुए
इतिहास के अनुसार 5 वी सदी में भीनमाल गुर्जर साम्राज्य की राजधानी थी तथा इसकी स्थापना गुर्जरो ने की थी।
ऐसा भी वर्णन है।
भरुच का साम्राज्य भी गुर्जरो के अधीन था।
चीनी यात्री ह्वेन त्सांग अपने लेखों में गुर्जर साम्राज्य का उल्लेख किया है।
छठी से 12 वीं सदी में गुर्जर कई जगह सत्ता में थे। गुर्जर-प्रतिहार वंश की सत्ता कन्नौज से लेकर बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात तक फैली थी।
मिहिरभोज को गुर्जर-प्रतिहार वंश का बड़ा शासक माना जाता है ।
और इनकी लड़ाई बंगाल के पाल वंश और दक्षिण-भारत के राष्ट्रकूट शासकों से होती रहती थी।
12 वीं सदी के बाद प्रतिहार वंश का पतन होना शुरू हुआ और ये कई हिस्सों में बँट गए।
अरब आक्रान्ताओं ने गुर्जरो की शक्ति तथा प्रशासन की अपने अभिलेखों में भूरि-भूरि प्रशंसा की है।
इतिहासकार बताते है कि मुग़ल काल से पहले तक राजस्थान तथा गुजरात, गुर्जरत्रा (गुर्जरो से रक्षित देश) या गुर्जर-भूमि के नाम से जाना जाता था।
अरब लेखकों के अनुसार गुर्जर उनके सबसे भयंकर शत्रु थे तथा उन्होंने ये भी कहा है कि अगर गुर्जर नहीं होते तो वो भारत पर 12वीं सदी से पहले ही अधिकार कर लेते।
परन्तु राणपूतों ने गुर्जर इतिहास बिगाड़ ने की कोशिश की और ले गूजरों के इतिहास को बिगाड़ करने में आंशिक कामयाब भी हुए ।👇
पृथ्वीराज रासौ में गुज्जरो को दूध -
धहीं बेचने का प्रकरण है ?
क्यों कि ये लोग नन्द काल से ही गोपालक और कालान्तरण में सबसे बड़े कृषक हुए ।
ये अहीरों से सम्बद्ध है इस बात को मध्यकालीन हिन्दी और प्राकृतिक भाषा के कवियों ने वर्णन किया।
क्यों की कहीं राधा और गायत्री जैसी पौराणिक देवीयों को अहीर कन्या कहा तो कहीं गूजरिया ।
भले ही आज अहीर और गुज्जर पूर्ण रूपेण अलहग अलग हों ।
पृथ्वीराज रासौ में गुज्जरो को दूध -
धहीं बेचने का प्रकरण भी है ।👇
नीचे राजस्थानी काव्य भाषा डिंगल में कुछ पंक्तियों को देखें
'' पै सक्करि सूबभत्तौ एकत्तो कणय राइ भाइसी ,
कर कस्सी गुज्जरियं , रब्बरियं नेवनीत जीवंती ''।।
इस दोहे मे लिखा हैं - गुज्जरियो के हाथ की बनी चीज
हर कोइ खाने के लिए लालायित रहता था -
और विलियमस क्रुक , कर्नल जेमस टाड , ए.एम.टी जैक्सन ,
आदि सभी गूजरो की एक शाखा खज्जर को मानते
है।
जिसका सम्बन्ध मध्य-एशिया से है ।
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