शुक्रवार, 3 जनवरी 2020

मुझे एहशास है प्रभु कुछ खास है ।।


मुझे एहशास है, प्रभु कुछ खास है।

 न जाने क्यूँ ,  ये मन उदास  है ।
मुझे एहशास है, प्रभु कुछ खास है।

तेरी खुशबू मेरे प्रभु जिसका मन दास है 
तब सर्वव्यापी मन मेरा पापी मुझे विश्वास है ।
तू 'न जन्मा  तेरा ये शमा न तेरा  नाश है ।
मुझे एहशास है प्रभु कुछ खास है।
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सत्कर्म जहाँ में होता नहीं, फिर बोलो क्या होता ?
दुनियाँ में सर्वत्र कहीं, पाप ही छाया होता ।

करना ये हल, मन तू सम्हल मुझे ये विश्वास है ।
 प्रभु तो पास है यदि मन में  प्यास है ।
मुझे एहशास है, प्रभु कुछ खास है।
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मन को जीतो जैसे जीतो, ज्ञान के पट तो खोलो ।
मस्जिद,मन्दिर 'न तीरथ में ,प्रभु को दिल में टटोलो।
मालुम नहीं  हमको कहीं 'ना  कोई प्रयास है । 

ये किसका प्रकाश है, ये कितना खास है ।
मुझे एहशास है प्रभु कुछ खास है।
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श्वाँसों का चलन ये धड़कन, जीवन ये क्यों होता ?
जन्म-मरण का उपक्रम, ये सदीयों का समझौता 
मंजिल नहीं साहिल नहीं पढ़ाबों पर वास है ।
चलता ही चल तू मोह से निकल, जब तक तेरी श्वाँस है ।

मुझे एहशास है प्रभु कुछ खास है।
मन मेरा नजाने क्यूँ ,फिर उदास  है ।
मुझे एहशास है प्रभु कुछ खास है।
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यादव योगेश कुमार "रोहि" भजन 


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