ब्रह्मक्षत्रादयस्तस्मान्मनोर्जातास्तु मानवाः। ततोऽभवन्महाराज ब्रह्म क्षत्रेण सङ्गतम्।।१४।
महाभारते आदिपर्णि सम्भव पर्ववणि पञ्चसप्ततितमो८ध्याय ।।७५।। _____________________________________ ।हिन्दी अनुवाद।।
मरीचिनन्दन कश्यप ने अपनी तेरह पत्नियों में से जो सबसे बड़ी दक्ष-कन्या थीं, उनके गर्भ से इन्द्र आदि बारह आदित्यों को जन्म दिया ।१०।
जो इन्द्र आदि बड़े पराक्रमी थे ; तदनन्तर उन्होंने अदिति से ही विस्वान् को उत्पन्न किया। विवस्वान् के पुत्र यम हुए, जो वैवस्वत कहलाते हैं।११।
विस्वान् के ही पुत्र परमबुद्धिमान मनु हुए, जो बड़े प्रभावशाली हैं। मनु के बाद उनसे यम नामक पुत्र की उत्पत्ति हुई, जो सर्वत्र विख्यात हैं।१२।
बुद्धिमान मनु बड़े धर्मात्मा थे, जिन पर सूर्यवंश की प्रतिष्ठा हुई। मानवों से सम्बन्ध रखने वाला यह मनुवंश उन्हीं से विख्यात हुआ।१३।
उन्हीं मनु से ब्राह्मण, क्षत्रिय आदि सब मानव उत्पन्न हुए हैं। महाराज ! तभी से ब्राह्मण कुल क्षत्रिय से सम्बद्ध हुआ।१४। _____________________________________
कभी ब्राह्मण से क्षत्रिय उत्पन्न हो जाते हैं तो कभी क्षत्रिय से ब्राह्मण भी उत्पन्न हो जाते हैं। अर्थात ये दोैनों एक दूसरे को उत्पन्न करके एक दूसरे के वाप ( पिता) भी बन जाते हैं । |
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