★-"इतिहास के बिखरे हुए पन्ने"-★
गुरुवार, 1 मई 2025
चतुर्विधा भजन्ते मां जनाः सुकृतिनोऽर्जुन।
आर्तो जिज्ञासुरर्थार्थी ज्ञानी च भरतर्षभ।।7.16।।
हे अर्जुन ! पवित्र कर्म करनेवाले अर्थार्थी, आर्त, जिज्ञासु और ज्ञानी -- ये चार प्रकार के मनुष्य मेरा भजन करते हैं ।
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