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~ भारतीय संस्कृति में गणेशः की अवधारणा ~ योगेश कुमार रोहि के विश्व सांस्कृतिक शोधों पर आधारित ~~~🌻☀🌻☀🌻☀🌻☀🌻☀🌸🌷
एक विश्लेषण भारतीय पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गणः अर्ध देवों समूह जो शिव के सेवक माने जाते हैं और जो गणेशः की अध्यक्षता में मानवता का मार्ग -दर्शन करते हैं वैदिक ऋचाओं में भी "गणानां त्वा गणपतिं हवामहे कविं कविनाम् आदि के द्वारा गणेशः को ज्ञान का देवता सिद्ध किया है यद्यपि गणेशःरिद्धी और शिद्धी के भी अधिष्ठात्री देव हैं ~~~~~☀🌻🌸☀🌻🌸
गणेशः शब्द अपने प्रारम्भिक चरण में ज्ञानेशः संस्कृत भाषा में जन् =संज्ञाने (जानने में प्रत्यक्षीकरण में भी है जिस से कालान्तरण में ज्ञान शब्द का भी विकास हुआ !यूरोप की रोमन संस्कृति में गणेशः (ज्ञानेशः) का रूपान्तरण जेनुस् janus प्राचीन इटालियन संस्कृति में जेनुस् " दो मुखों बाला ज्ञान सम्पन्न द्वार का अधिष्ठात्री देवता है शान्ति काल मेैं जिस देवता का मन्दिर रोम में बन्ध हो जाता था !
हिब्रू मिथकों में जिसका रूप ज़िन्न ginn के रूप में भी है !
कालान्तरण में अनेक मानवीय करण पाशवीय (पशु करण )गणेशः के रूप में हुआजो वस्तुतः वैज्ञानिक नहीं
इस तथ्य के विषय में सभी जिज्ञासु प्रतिक्रिया दें ओ३म् ! 🌸🌷📝🌸🌷📝☀🌻🌸🌷📝🌸☀🌻☀🌻
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