गुरुवार, 20 अप्रैल 2017
बेहूदा .....
चीज़ों के मेल से हमेशा नई बात पैदा हो जाती है । इस दुनिया में जो कुछ भी सरल है, सुपाच्य है, सुंदर है , सुग्राह्य है वह सब किन्ही दो या दो से अधिक चीज़ों के सुमेल से ही प्रकाश में आया है । अरबी के बहुत से शब्द इसीलिए हिन्दी के सर्वाधिक प्रचलित शब्दों में शुमार हुए हैं क्योंकि उन्हें भारतीय प्रकृति के अनुकूल बनने के लिए फ़ारसी का संस्कार मिला । रहित के अर्थ वाला बे उपसर्ग कई अरबी शब्दों में लगने से नया शब्द बना है । ऐसा ही एक शब्द है बेहुदा जो हिन्दी में खूब इस्तेमाल होता है । बेहुदा यानी अशिष्ट, बदतमीज़, असभ्य, अभद्र, अशालीन, बुरा और खराब । बेहुदा का स्त्रीवाची बेहुदी बनता है । इसी तरह अशिष्टता के लिए बेहूदगी शब्द प्रचलित है ।
बेहुदा शब्द बना है अरबी के हुदा में फ़ारसी के निषेधात्मक उपसर्ग ‘बे’ लगने से । गौरतलब है कि फ़ारसी का ‘बे’ वैदिक भाषा के वि का जोड़ीदार है । ध्यान रहे इंडो-ईरानी परिवार में ‘व’ का रूपान्तर ‘ब’ होता है । अरबी में अल-हुदा पद प्रचलित है जिसका अर्थ है राह दिखाना, निर्देशित करना, मार्गदर्शन करना, निर्वाण, मुक्ति, मोक्ष प्रदान करना आदि । इसके मूल में सेमिटिक धातु हा-दा-ये (h-d-y) से जिसमें अगुवाई, नेतृत्व, स्पष्टता, प्रदर्शन, निदर्शन जैसे भाव हैं । इस तरह अरबी के हुदा में किसी को समर्थ बनाना, उसमें सही-गलत की समझ पैदा करना, जीने का सही मार्ग बतलाना, आत्मरक्षा की तरकीब सिखाना जैसे भाव हैं । हुदा से पहले ‘बे’ लगाने से इन सब भावों का निषेध होने का आशय पैदा हो जाता है । ध्यान रहे, हुदा में निहित सभी भाव मूलतः किसी भी व्यक्ति को शिष्ट और शालीन बनाते हैं सो जिस व्यक्ति में इनका अभाव है वह स्वतः अशिष्ट या अशालीन की श्रेणी में आ जाएगा । इसीलिए अभद्र के अर्थ में ही हमेशा बेहुदा शब्द का प्रयोग होता है ।
सेमिटिक धातु हा-दा-ये (h-d-y) से बने कुछ और शब्द भी हैं जो इसी शब्दार्थ शृंखला से जुड़े हैं जैसे हादी । हिन्दी में हादी अल्प प्रचलित मगर जानी पहचानी टर्म है । हादी का अर्थ है पथप्रदर्शक, मार्गदर्शक, नेता, अगुवा, प्रमुख, गुरु आदि । हादी एक उपाधि भी थी । इस्लाम धर्म के तहत धार्मिक आध्यात्मिक शिक्षाएँ देने वाले प्रमुख व्यक्ति को हादी कहा जाता था । मिर्ज़ा हादी रुस्वा पिछली सदी में उर्दू-फ़ारसी के मशहूर लेखक हुए हैं । उनकी लिखी उमराव जान अदा पुस्तक बहुत आज भी लोकप्रिय है । इस पर एक मशहूर फिल्म भी बन चुकी है । राह दिखाना दरअसल सिर्फ़ हाथ से किसी दिशा में जाने का इशारा भर करना नहीं होता । पथप्रदर्शक दरअसल ज़िंदगी जीने का ढंग सिखाता है । वह नसीहत देता है, परामर्श देता है । अपने अनुभवों का निचोड़ बताता है और उस पर आधारित दिशा-निर्देश देता है ।
हुदा की कड़ी में खड़ा है अरबी का हिदाया शब्द जिसका उर्दू, फ़ारसी और हिन्दी रूप है हिदायत जिसका अर्थ है निर्देश, संचालन, सलाह या परामर्श । हिदायत हिन्दी में खूब प्रचलित है । उर्दू में हिदायत का बहुवचन हिदायात बनता है जबकि हिन्दी में हिदायतों या हिदायतें जैसे रूप बनते हैं । “हिदायत करना”, “हिदायत देना” जैसे वाक्यांशों का आशय किसी ज़माने में जीवन-दर्शन के बारे में बताना था । इसके धार्मिक या आध्यात्मिक आशय एकदम स्पष्ट थे । अब सामान्य परामर्श या निर्देश के तौर पर हिदायत शब्द का प्रयोग होता है । इसीलिए अब हिदायतें भी बेहुदा होने लगी हैं । जिस तरह हुदा शब्द अरबी का प्रसिद्ध स्त्रीवाची संज्ञानाम है उसी तरह हादी पुरुषवाची संज्ञा है । हिदायत का प्रयोग भी पुरुषवाची संज्ञानाम की तरह होता है जैसे हिदायतअली, हिदायतउल्ला या हिदायतखाँ ।
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