रविवार, 21 जुलाई 2019

नहुष ययाति---

नहुषः के विषय में पुराणों तथा वाल्मीकि-रामायण रामायण में दो प्रकार से वर्णन है ।
पुराणों में नहुषः पुरुरवा पुत्र आयुष् का पुत्र होने से सोम वंशी ( चन्द्र वंशी) हैं ।
तो वाल्मीकि-रामायण में नहुषः सूर्यवंशी ( हैमेटिक) राजा अम्बरीष के पुत्र हैं । वाल्मीकि-रामायण में वर्णन है कि 

नहुष अयोध्या के एक प्राचीन इक्ष्वाकुवंशी राजा थे । अंबरीष का पुत्र की नाम ययाति था ।

परन्तु भागवत पुराण तथा महाभारत के अनुसार राजा नहुष के पुत्र जो चंद्रवंश के पाँचवें राजा ययाति थे ।

और जिनका विवाह शुक्रचार्य की कन्या देवयानी के साथ हुआ था वह  ययाति ही थे ।
जैसा कि संस्कृत ग्रन्थों में वर्णन है ।
चन्द्रवंश्ये नृपभेदे “आयोः पुत्रस्तथा पञ्च सर्वे वीरा महारथाः ।
स्वर्मानुतनयायाञ्च प्रभायां जज्ञिरे नृप!

नहुषः प्रथमं जज्ञे वृद्धशर्मा ततःपरम्” हरिवंश पुराण  २८ अ० ।
स चागस्त्य शापाट् सर्पतामाप्तः युधिष्ठिरेण तस्माद्मोचितः तत्कथा भा० व० १८१ अ० “

यस्य वायोरिव यातिः सर्वत्र रथनतिरस्य । नहुषात्मजे राजभेदे ।

इति हरिवंशोक्तः सूर्य्यवंश्यभगीरथपौत्रः
“अम्बरीष!
शुकप्रोक्तं नित्यं भागवतं शृणु ।
परा० उ० ।
“भगवान् अम्बरीषश्च ब्राह्मण्यानमितौजसे भा०
आवु० प० ।
“पुण्यश्लोकोऽम्बरीषश्च पुण्यश्लोको युधिष्ठिरः” इति प्रातःस्मरणीययेषु पुरा० ।

विशेष— इनको देवयानी के गर्भ से यदु और तुर्वसु नाम के दो तथा शर्मिष्ठा के गर्भ से द्रुह्यु, अणु और पुरु नाम के तीन पुत्र हुए थे।

इनमें से यदु से यादव वंश और पुरु से पौरव वंश का आरंभ हुआ।
शर्मिष्ठा इन्हें विवाह के दहेज में मिली थी।

इसका उल्लेख ऋग्वेद में भी आया है।

महाभारत में इसे चंद्रवंशी आयु राजा का पुत्र माना जाता है।

पुराणानुसार यह बडा़ प्रतापी राजा था।

   एक राजर्षि का नाम जिसका उल्लेख ऋग्वेद में है।
ययाति, चन्द्रवंशी वंश के राजा नहुष के छः पुत्रों याति, ययाति, सयाति, अयाति, वियाति तथा कृति में से एक थे।

याति राज्य, अर्थ आदि से विरक्त रहते थे इसलिये राजा नहुष  ने अपने द्वितीय पुत्र ययाति का राज्यभिषके करवा दिया।

ययाति का विवाह शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी के साथ हुआ।

देवयानी के साथ उनकी सखी शर्मिष्ठा भी ययाति के भवन में रहने लगे।

ययाति ने शुक्राचार्य से प्रतिज्ञा की थी की वे देवयानी से भिन्न किसी ओर नारी से शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाएंगे।

शुक्र ने ययाति को वचनभंग के कारण शुक्रहीन बृद्ध होनेका श्राप दिया।

ययाति की दो पत्नियाँ थीं। शर्मिष्ठा के तीन और देवयानी के दो पुत्र हुए।

(महाभारत, आदिपर्व, ८१-८८)। अंतरिक्ष पथ से पृथ्वी को लौटते समय इन्हें अपने दौहित्र, अष्ट, शिवि आदि मिले और इनकी विपत्ति देखकर सभी ने अपने अपने पुण्य के बल से इन्हें फिर स्वर्ग लौटा दिया।

भोगा न भुक्ता वयमेव भुक्ताः
तपो न तप्तं वयमेव तप्ताः।
कालो न यातो वयमेव याताः
तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णाः ॥

अर्थात, हमने भोग नहीं भुगते, बल्कि भोगों ने ही हमें भुगता है; हमने तप नहीं किया, बल्कि हम स्वयं ही तप्त हो गये हैं; काल समाप्त नहीं हुआ हम ही समाप्त हो गये; तृष्णा जीर्ण नहीं हुई, पर हम ही जीर्ण हुए हैं !

नहुष, पुरवा के पुत्र आयु का पुत्र था।

भगवान् विष्णु के नाभिकमल से ब्रह्मा उत्पन्न हुए। ब्रह्माजी से अत्रि, अत्रि से चन्द्रमा, चन्द्रमा से बुध और बुध से इलानन्दन पुरूरवा का जन्म हुआ।

पुरूरवा से आयु, आयु से राजा नहुष  और नहुष के छः पुत्रों याति ययाति सयाति अयाति वियाति  तथा कृति उत्पन्न हुए।
नहुष ने स्वर्ग पर भी राज किया था।

नहुष प्रसिद्ध चंद्रवंशी राजा पुरुरवा का पौत्र था।

१. अयोध्या के एक प्राचीन इक्ष्वाकुवंशी राजा का नाम जो अंबरीष का पुत्र और ययाति का पिता था ।

महाभारत में इसे चंद्रवंशी आयु राजा का पुत्र माना जाता है ।

नहुष के पिता राजा आयु पुरुरवा के पुत्र थे; जिसका जन्म उर्वशी नामक अप्सरा के गर्भ से हुआ था। पुरुरवा के बाद वह प्रतिष्ठान राज्य के उतराधिकारी बने। आयु का विवाह राहु की पुत्री प्रभा से हुआ था।

नहुष, क्षत्रवृद्ध, रंभ, रजि और अनेनस् नामक आयु राजा के पाँच पुत्र हुए।

उनके ज्येष्ठ पुत्र का नाम था नहुष।
ज्येष्ठ पुत्र होने कारण नहुष राज्य के उतराधिकारी बने। नहुष के एक पुत्र का नाम था ययाति।
ययाति से यदु पैदा हुए जिससे यादव वंश चला। यदु की कई पीढ़ियों के बाद यदुकुल शिरोमणि भगवान श्री कृष्ण मानव रूप में अवतरित हुए

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