मंगलवार, 19 मार्च 2019

होली का उत्सव कामदेव का उत्सव है ।

पुरुष की दृष्टि में स्त्री की कोमलता सौन्दर्य मूलक है । क्यों कि 'वह पुरुष परुषता ( कठोरता) का प्रतिनिधि रूप है ।
और 'वह अपने पूर्णत्व के लिए कोमलता का सहज आकाँक्षी है ।
क्यों हर विपरीत आवेश अपने विपरीत आवेश से ही प्रतिक्रिया करता है ।
और यह प्रतिक्रिया एक ग्रहणीयता है।
अर्थात्‌ ग्रहण करने की क्रिया। और यही भाव स्त्रीयों में सौन्दर्य मूलक वृत्तियों का प्रारूप है ; कि वे कोमल व्यक्तित्व वाली स्त्रीयाँ कठोरता की सहज आकाँक्षी है। और कठोरता उनके लिए अपेक्षित है ।
क्यों कि इसकी उन महिलाओं में कमी है ।
और सत्य भी है कि "सुन्दरता वस्तुत एक अावश्यकता मूलक दृष्टि कोण है ।
जिसकी भी हम्हें जितनी जरूरत है ; 'वह वस्तु हमारे लिए उसी अनुपात में ख़ूबसूरत है।
परन्तु ये जरूरतें कभी भी पूर्णत: समाप्त नहीं होती हैं । जो भाव हमारे व्यक्तित्व में नहीं होता हम उसकी ही तो इच्छा करते हैं ; वही तो हमारे लिए ख़ूबसूरत है । इसी सौन्दर्य प्रेरणा ने ही काव्य की सृष्टि की । जैसे कि उद्गार प्रकट हुआ 👇
_________________________________________
कवि जीवन की संगिनी ।
उसके स्वप्नों की प्रेयसी ।।

कवि पुरुरवा है "रोहि"।
कविता उसके उर-वसी ।।

हृदय सागर की अप्सराओं ।
संवेदन लहरों से विकसी ।।

एक रस बस प्रेम-रस ।
सृष्टि नहीं कोई काव्य सी ।

पुरुरवा और उर्वसी वैदिक कालीन नायक-नायिका हैं । यह साहित्य मनीषीयों को सर्वविदित ही है।

उपर्युक्त काव्य पक्तियों में हमने पुरुरवा और उर्वसी सदृश्य श्लिष्ट पदों द्वारा एक तथ्य व्यक्त किया गया है । इसी सन्दर्भ में यह बात भी ज्ञातव्य है कि अलंकार में महत्वपूर्ण तत्व मूलत: शब्द-कौशल है ।


होली का प्रादुर्भाव कहाँ से हुआ ?
एक ऐैतिहासिक एवं सांस्कृतिक-मूलक गवेषणा-
_________________________________________
होलि शब्द का इतिहास व मूल संस्कृत भाषा के स्वर् तापे उपतापे च धातु से निष्पन्न स्वर के ईरानी रूप हुर जहुर , जौहर आदि से है ।
स्वरयति तापयति इति सूर्य

मराठीनामः

*[[नक्षत्रः]] [[सौरयूथः|सौरयूधस्य]] [[कॆन्द्रः]]

पर्यायपदानि

*[[अम्शुधरः]]

*[[अम्शुदायकः]]

*[[अम्शुमाली]]

*[[अर्कः]]

*[[ईनः]]

*[[प्रभाकरः]]

*[[चण्डाम्शुः]]

*[[अम्शुमालिi]]

*[[सविता]]

*[[दिवाकरः]]

*[[दिनकरः]]

*[[भानुः]]

*[[भास्करः]]

*[[मार्ताण्डः]]

*[[दिवस्पतिः]]

= अनुवादाः =

*अल्बेनियन्: [[diell]] {{പു}}

*Arabic: [[شمس]] (ശംസ്) {{സ്ത്രീ}}

*Aramaic:

*:Syriac: [[ܫܡܫܐ]] (shemshā, shemsho) {{c}}

*:हिब्रु: [[שמשא]] (shemshā, shemsho) {{c}}

*അർമേനിയൻ: [[արև]] (arev), [[արեգ]] (areg), [[արեգակ]] (aregak)

*Basque: [[eguzki]]

*Bosnian: [[sunce]] {{n}}

*ബ്രിറ്റോൺ: [[heol]] {{പു}}, heolioù {{p}}

*ബൾഗേറിയൻ: [[слънце]] (sləntse) {{n}}

*കതാലൻ: [[sol]] {{പു}} [[:ca:sol|^]]

*ചൈനീസ്‌: [[日]] (rì), [[太阳]] / [[太陽]] (tàiyáng), [[阳光]] (yángguāng), [[恒星]] (héngxīng)

*Cornish: [[howl]] {{പു}}

*ചെക്ക്‌: [[slunce]] {{n}}

*ഡച്ച്‌: [[zon]] {{സ്ത്രീ}}

*आङ्गलम्: :sun (സൺ)

*Esperanto: [[suno]]

*ഇസ്‌തോനിയൻ: [[päike]]

*ഫിന്നിഷ്‌: [[aurinko]]

*ഫ്രെഞ്ച്‌: [[soleil]] {{പു}}

*Frisian: [[sinne]]

*Georgian: [[მზე]] (mze)

*जर्मन: [[Sonne]] {{स्त्री}}

*यवनः, Ancient: [[ἥλιος]] (ílios) {{പു}}

*ഗ്രീക്ക്‌: [[ήλιος]] (ílios)

*Guaraní: [[kuarahy]]

*Hausa: [[rānā]]

*Hawaiian: [[la#Hawaiian|la]]

*ഹിബ്രു: [[שמש]] (shémesh) {{mf}}, [[חמה]] (ĥamma) {{സ്ത്രീ}}

*हिन्दी [[सूरज]]

*ഹഗേറിയൻ: [[nap]]

*ഐസ്ലാന്റിക്‌: [[sól]]

*ഐഡിഒ: [[suno]]

*ഇൻഡോനേഷ്യൻ: [[matahari]] (from [[mata]] and [[hari]]), [[surya]], [[mentari]]

*Sundanese: [[panonpoe]] (from [[panon]] and [[poe]])

*Interlingua: [[sol]]

*Irish: [[grian]] {{സ്ത്രീ}}

*Isthmus Zapotec: [[gubidxa]]

*ഇറ്റാലിയൻ: [[sole#ഇറ്റാലിയൻ|sole]] {{പു}}

*ജാപ്പനീസ്‌: [[太陽]] ([[たいよう]], taiyō) / [[日]] ([[ひ]], hi)

*കൊറിയൻ: [[해]] (hae), [[태양]] ([[太陽]], taeyang), [[일]] ([[日]], il)

*കുർദിഷ്‌: [[roj]], [[tav]], [[هه‌تاو]], [[خۆر]], [[رۆژ]]

*ലത്തീൻ: [[sol]] {{പു}}

*Latvian: [[saule]] {{സ്ത്രീ}}

*ലുതിയാനിയൻ: [[saulė]] {{സ്ത്രീ}}

*[[Macedonian]]: [[сонце]] (sontse) {{n}}

*Malay [[matahari]]

*Malagasy: [[masoandro]]

*Maltese: [[xemx]] {{സ്ത്രീ}}

*Maori: [[rā]]

*Mapudungun: [[aṉtü|antü]]

*मलयाळम्[[സൂര്യൻ]] (सूर्यन्) [[പകലോൻ]](पकलोन्)

*Masai: [[ndama]]

*Mongolian: [[нар]] (nar)

*Navajo: [[jóhonaa'éí]], [[shá]]

*Novial: [[sune]]

*Occitan: [[solelh]] {{പു}}

*Ojibwa: [[giizis]], [[giizisoog]] {{p}}

*പഴയ ഇംഗ്ലീഷ്‌: [[sunne]], [[sunna]]

*പേർഷ്യൻ: [[خورشید]] (khorshid)

*പോളിഷ്‌: [[słońce]] {{n}}

*പോർച്ചുഗീസ്‌: [[sol]] {{പു}}

*Quechua: [[inti]]

*റോമാനിയൻ: [[soare]] {{പു}}

*റഷ്യൻ: [[солнце]] (sólntse) {{n}}

*Scottish Gaelic: [[grian]] {{സ്ത്രീ}}

*സെർബിയൻ:

*:Cyrillic: [[сунце]] {{n}}

*:ലത്തീൻ: [[sunce]] {{n}}

*സ്ലോവക്‌: [[slnko]] {{n}}, [[slnce]] {{n}}

*Slovene: [[sonce]] {{n}}

*Somali: [[qorrax]]

*സ്‌പാനിഷ്‌: [[sol]] {{പു}}

*സ്വഹില്ലി: [[jua]]

*സ്വീഡിഷ്‌: [[sol]] {{c}}

*Tagalog: [[araw]]

*[[തമിഴ്]]: [[கதிரவன்]] (ഉച്ചാരണം: കതിരവന്), [[ஞாயிறு]] (ഞയിറു), [[சூரியன்]] (ചൂരിയന്)

*തെലുങ്ക്‌: [[సూర్యుడు]] (sooryuDu))

*Tupinambá: [[kûarasy]]

*തുർക്കി: [[güneş]]

*Tz'utujil: [[q'iij|q’iij]]

*ഉക്രേനിയൻ: [[сонце]] (sontse) {{n}}

*Võro: [[päiv]]

*Warlpiri: [[wanta]]

*Welsh: [[haul]] {{പു}}

अमरकोशः के सन्दर्भों से उद्धृत -👇

सूर्य पुं। 

सूर्यः 

समानार्थक:सूर,सूर्य,अर्यमन्,आदित्य,द्वादशात्मन्,दिवाकर,भास्कर,अहस्कर,ब्रध्न,प्रभाकर,विभाकर,भास्वत्,

विवस्वत्,सप्ताश्व,हरिदश्व,उष्णरश्मि,विकर्तन,अर्क,
मार्तण्ड,मिहिर,अरुण,पूषन्,द्युमणि,तरणि,मित्र,

चित्रभानु,विरोचन,विभावसु,ग्रहपति,त्विषाम्पति,अहर्पति,भानु,हंस,सहस्रांशु,तपन,सवितृ,रवि,पद्माक्ष,

तेजसांराशि,छायानाथ,तमिस्रहन्,कर्मसाक्षिन्,
जगच्चक्षुस्,लोकबन्धु,त्रयीतनु,प्रद्योतन,दिनमणि,

खद्योत,लोकबान्धव,इन,भग,धामनिधि,अंशुमालिन्,
अब्जिनीपति,चण्डांशु,क,खग,पतङ्ग,तमोनुद्,
विश्वकर्मन्,अद्रि,हरि,हेलि,अवि,अंशु,तमोपह 

1।3।28।1।2 

सूर सूर्य अर्यमा आदित्यद्वादशात्मदिवाकराः। भास्कराहस्करब्रध्नः प्रभाकरविभाकराः॥ 

होली एक वसन्त सम्पातीय ऋतु-सम्बन्धी अग्नि का स्वागत उत्सव है ---जो ग्रीष्म ऋतु के आगमन रूप में मनाया जाता है। 👇

होरा शब्द फारसी मूल से है और जोहर शब्द भी इसी हॉरा से विकसित हुआ।

फिर जॉहर काल में भारतीय मिथकीय मानसिकता ने एक काल्पनिक कथा होलि को जोड़ दिया जो हिरण्याकश्प की बहिन सिंहिका थी ।

सत्य पूछा जाय तो होलि शब्द भारोपीय मूल से हेलि का तद्भव है जिसका अर्थ है अग्नि तथा सूर्य ।

और  होलि एक वसन्त सम्पातीय अग्नि उत्सव है।
संस्कृत भाषा के प्राचीन साहित्य-ग्रन्थों में
होलक:-हु--विच् लकति लक--अच् कर्मणि सूत्र से कुछ व्याकरणाचार्यों ने व्युत्पत्ति करने की चेष्टा की ।
अर्द्धपक्वे शमीधान्यैस्तृणभ्रष्टैश्च होलकः”
इत्युक्ते तृणादिना अर्द्धपक्वे शमीधान्ये
आधा पका हुआ और भुना हुआ गोधुक गैंहूँ
आदि के अनाज की बालें जिसका आस्वादन हम  फसलों के परिपक्व होने पर करते हैं।

“होलकोऽल्पानिलो मेदःकफ- दोषश्रमापहः ।
भवेद् यो होलको यस्य स च तत्तद् गुणो भवेत्” भावप्रकाश  संस्कृत ग्रन्थ ।
(हु + विच् ।  लक्यते आस्वाद्यते इति ।
लक् + अप् । ) तृणाग्निभृष्टार्द्धपक्वशमीधान्यम् ।
होरा इति हिन्दी भाषा  होलक:
(शब्द कल्प द्रुम कोश)
__________________________________________

संस्कृत ग्रन्थ भावप्रकाश में वर्णन है कि होला के सेवन से वात पित्त कफ का जो अल्प विकार होता है ;
वह नष्ट हो जाता है ।

यूरोपीय संस्कृति में ईष्टर इसी का प्रतिरूप है ।
ईष्टर का मूल स्त्री और स्त्री प्रेम की इण्डो यूरोपीयन एवं सुमेरियन देवी है ।
--जो कहीं दुर्गा हुई ,तो कहीं लक्ष्मी

जैसे  दीपावली शारदिक सम्पातीय प्राकृतिक उत्सव है उसी को समानान्तर होली वासन्तिक सम्पातीय प्राकृतिक उत्सव है

संस्कृत भाषा के ज्योतिष शास्त्रों में हेलि शब्द ग्रीक भाषा से आयात है; ग्रीक का हेलि (helios)

यह अपने अस्तित्व का एक अवधारणा मूलक स्रोत है / इसके अस्तित्व के लिए सबूत इसके द्वारा प्रदान किए गए समान रूपों से हैं:👇

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संस्कृत भाषा में सूर्य शब्द है तो अवेस्तन(ईरानी) में ह्वॉर  ( प्रकाश, तथा आकाश अर्थ में)
तो  ग्रीक भाषा में हैलियॉस; लैटिन भाषा सोल (सूर्य) तथा  रोशनी;"
रूसी परिवार की लिथुआनियन भाषा स्यूले और ओल्ड चर्च स्लावोनिक भाषा में स्लाइने; 

गॉथिक में सॉइले, पुरानी अंग्रेज़ी में  सोल  (सूरज;)
तथा स्वेगल " आकाश और सूर्य अर्थ में ।"
वेल्श भाषा में  हॉल , ओल्ड कोर्निश भाषा में  हेउल, ब्रेटन में हेल "सूरज;"
और पुरानी आयरिश स्वेल
सन्नो "सूर्य" आदि उच्चारण भेद से सूर्य शब्द ही मिलता है ।

होली वासन्तिक सम्पातीय रूप में अग्नि अथवा सूर्य उत्सव है ।
वसन्त काम देव का संवर्धक रूप है
भारतीय ब्राह्मणों ने फिर एक काल्पनिक कथा जोड़ दी 
होलिका के रूप में --जो अपने मूल से 'बहुत पृथक हो गयी है
__________________________________________
It is the hypothetical source of/evidence for its existence is provided by: Sanskrit suryah, Avestan hvar "sun, light, heavens;" Greek helios; Latin sol
"the sun, sunlight;" Lithuanian saulė,
Old Church Slavonic slunice;
Gothic sauil, Old English sol "sun;"
Old English swegl "sky, heavens,
the sun;" Welsh haul, Old Cornish  heuul, Breton heol  "sun;" Old Irish suil ""

स्त्री प्रेम और प्रसन्नता की देवी है, जो दूसरों को प्रसन्न करती-- स्त्री संसार का विस्तार भी करती है।

प्राचीन सुमेरियन संस्कृति में यह शब्द ईष्टर ( Ishtar) है, अक्काडियन पुरा -कथाओं में यह देवी "अशेरा " जिसे यूनानीय आर्यों ने (Oistros) ऑइष्ट्रॉस तथा रोमन आर्यों ने (Oestrus) ऑइषट्रस् कह कर सम्बोधित किया है।
.. Heat of sexual impulse" अर्थात् रति - भाव "ईसाई संस्कृति में ईश्तर का त्यौहार इसी वसन्त और प्रेम की देवी के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

वैदिक साहित्य में स्त्री का ही इतर विकसित रूप श्री और उषा के रूप में प्रतिष्ठित हुआ --- जो रोमन मिथको में (Ceres) सेरीज़ के रूप में कृषि तथा धन - धान्य की देवी है - संस्कृत रूप श्री :-

( होलि वसन्त उत्सव  है ! प्रेम उत्सव  ! होलि कृषि उत्सव !           
         यह होली का वैचारिक पक्ष है
                           ( यादव योगेश कुमार'रोहि'  )

हेलि का वैदिक सन्दर्भों में अर्थ :-विलासयुक्त क्रीड़ा। कामचेष्टा ३. परिरम्भण। आलिंगन आदि है ।
अब आलिंगन या गले मिलना प्रेमी प्रेमिका के प्रेम मिलन के अवशेष हैं ।
होली पर गले मिलने का प्रारम्भ प्रेमी प्रेमिका विषयक था। रंग श्रृँगार का प्रतीक है ।
--जो कालान्तरण में सद्भावना का औपचारिक रूप रह गया ।
संस्कृत कोश ग्रन्थों में एक शब्द हेला है ।

हेला :- स्त्रीणां श्रृंङ्गारभावजे “
प्रौढ़ेच्छा याऽतिरूढ़ानां नारीणां सुरतीत्सवे । शृङ्गारशास्त्रतत्त्वज्ञैः
हेला सापरिकीर्त्तिता” इत्युक्ते २ चेष्टाविशेषे ।
“देहात्मकं भवेत् सत्त्वं सत्त्वात् भावः समुत्थितः । भावात् समुत्थितो हावो हावात् हेला समुत्थिताः”
हाव एव भवेद्धेला व्यक्तं श्रृँगारसूचकः”

हेला :-। स्त्रीणांश्रृङ्गारभावजा क्रिया 

समानार्थक:विलास,बिब्बोक,विभ्रम,ललित,हेला,लीला,हाव 

1।7।32।1।1 

हेला लीलेत्यमी हावाः क्रियाः शृङ्गारभावजाः। द्रवकेलिपरीहासाः क्रीडा लीला च नर्म च॥ 

हु--विच् तं लाति ला--क संज्ञायां कन् ।
१ वसन्तोत्सवभेदे उपचारात् तत्काले फालगुनपौर्ण- मास्याञ्च....
पृषोदरत्वात् होली होलिका होलकाऽप्यत्र ।
होलाकाविधिश्च आचारप्राप्त इति माधवादयः ।

पुराणादिप्रसिद्धः शास्त्रमूलोऽयम् आचार इति
हेमाद्रि- निर्णयसिन्धुप्रभृतयः।

“फाल्गुनपौर्णमासी होलिका सा च सायाह्नव्यापिनी ग्राह्यां “सायाह्ने होलिकां कुर्य्यात् पूर्वाह्णे क्रीड़र्न गवामिति” वचनादिति  निर्णयामृते उक्तम् ।
ज्योतिर्निबन्धे तु “प्रतिपद्भूतभद्रासु याऽर्चिता होलिका
(हु + विच् । तं लाति ।  ला +  संज्ञायां कन् टाप् । ) 
वसन्तोत्सवः ।  होली इति भाषा । 
इति दायभागंटीका ॥ 

तदधि- करणन्यायो यथा ।अथ होलाकाधिकरणम् । प्रतीच्यानां होलाकाचारदर्शनेन तदर्था होलाका आचरणीया इति सामान्यविधिः कल्प्यते ।
न तु प्राच्यानामनाचरणात् प्रतीच्यैरिति तत्र पदं देयं सामान्यविधिनैव प्रतीच्याचारोपपत्तेः ।

प्राच्यानामनाचारस्य इच्छाविरहेणैव उपपत्तेः । इच्छाविरहश्च तद्देशीयपूर्ब्बपूर्ब्बनाचारदर्शनात् ।
प्रतीच्यानामुल्कादानाद्याचारविरहवत् । 
न ह्यनाचारार्थं वेदः कल्प्यते । 

तथा च यत्र सामान्यश्रुत्या उपपत्तिस्तत्र विशेषविधिर्न कल्प्यते गुरुरनुगन्तव्यः सदेतिवत् । 
न हि कर्म्मकाले तदसम्भवात् तदन्यकाले इति विशेषणीयम् । इति अधिकरणकौमुदी ॥  * ॥ 
_______________________________________

वसन्तोत्सवः का आरम्भ माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पञ्चमी (वसन्त पञ्चमी) से हो जाता है।

यह दिन नवीन ऋतु के आगमन का सूचक है।
उसी दिन पहली बार गुलाल उड़ाया जाता है।
लोग वासन्ती वस्त्र धारण कर गायन, वाद्य एवं नृत्य में विभोर हो जाते हैं।

वसन्त पञ्चमी का उत्सव मदनोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।
भगवान श्रीकृष्ण तथा कामदेव इस उत्सव के अधिदेवता हैं।
कामशास्त्र में  ‘सुवसन्तक’ नामक उत्सव की चर्चा आती है।
सरस्वती कण्ठाभरण’ में लिखा है कि सुवसन्तक वसन्तावतार के दिन को कहते हैं।

वसन्तावतार अर्थात जिस दिन वसन्त पृथ्वी पर अवतरित होता है।

यह दिन वसन्त पञ्चमी का ही है।
‘मात्स्यसूक्त’ और ‘हरी भक्ति विलास’ आदि ग्रंथों में इसी दिन को बसंत का प्रादुर्भाव दिवस माना गया है।

इसी दिन मदन देवता की पहली पूजा का विधान है।
कामदेव के पंचशर (शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध) प्रकृति संसार में अभिसार को आमंत्रित करते हैं।

जैमिनि एवं काठकगृह्य में वर्णित होने के कारण यह कहा जा सकता है कि ईसा की कई शताब्दियों पूर्व से 'होलाका' का उत्सव प्रचलित था।

--जो वस्तुत: कृषि उत्सव तथा वासन्तिक सम्पात के बहाने से  कामदेव का उत्सव था।

कामसूत्र एवं भविष्योत्तर पुराण इसे वसन्त  से संयुक्त करते हैं।
अत: यह उत्सव पूर्णिमान्त गणना के अनुसार वर्ष के अन्त में होता था।

अत: होलिका हेमन्त या पतझड़ के अन्त की सूचक है और वसन्त की काम-प्रेममय लीलाओं की द्योतक है।👇

मस्ती भरे गाने, नृत्य एवं संगीत वसन्तागमन के उल्लासपूर्ण क्षणों के ही  परिचायक हैं।

वसन्त की आनन्दाभिव्यक्ति रंगीन जल एवं लाल रंग, अबीर-गुलाल के पारस्परिक आदान-प्रदान से प्रकट होती है।

कुछ प्रदेशों में यह रंग युक्त वातावरण 'होलिका के दिन' ही होता है।
किन्तु दक्षिण में यह होलिका के पाँचवें दिन
(रंग-पंचमी) मनायी जाती है।

  वास्तव में यह उत्सव प्रेम करने से सम्बन्धित है, किन्तु शिष्टजनों की नारियाँ इन दिनों बाहर नहीं निकल पातीं, क्योंकि उन्हें भय रहता है कि कोई अश्लील कार्य न करदे ।

सांस्कृतिक वेत्ता  श्री गुप्त ने अपने लेख  में प्रकट किया है कि यह उत्सव मिस्र ,ग्रीस, तथा यूनान से लिया गया प्रेम -उत्सव है।
वे इस विषय में भी निश्चित नहीं हैं कि इस उत्सव का उद्गम मिस्र से है या यूनान से।

होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है।
भारत में ही इसके सबसे सुरक्षित रूप मिलते हैं ।

🙏💩👈
होली भारत का अत्यंत प्राचीन पर्व है जो होली, होलिका या होलाका नाम से मनाया जाता था।
वसन्त की ऋतु में हर्षोल्लास के साथ मनाए जाने के कारण इसे वसन्तोत्सवः और काम-महोत्सव भी कहा गया है।...

इस पर्व का वर्णन अनेक पुरातन धार्मिक पुस्तकों में मिलता है। इनमें प्रमुख हैं, जैमिनी के पूर्व मीमांसा-सूत्र और कथा गार्ह्य-सूत्र।
नारद पुराण और भविष्य पुराण जैसे  हस्तलिपियों और ग्रंथों में भी इस पर्व का उल्लेख मिलता है।
विंध्य क्षेत्र के रामगढ़ स्थान पर स्थित ईसा से 300 वर्ष पुराने एक अभिलेख में भी इसका उल्लेख किया गया है।
संस्कृत साहित्य में वसन्त ऋतु और वसन्तोत्सव अनेक कवियों के प्रिय विषय रहे हैं।

सुप्रसिद्ध  ईरानी मुस्लिम इतिहास विद् अलबरूनी ने भी अपने ऐतिहासिक यात्रा संस्मरण में होलिकोत्सव का वर्णन किया है।
भारत के अनेक मुस्लिम कवियों ने अपनी रचनाओं में इस बात का उल्लेख किया है कि होलिकोत्सव केवल हिंदू ही नहीं कई मुसलमान भी मनाते हैं।
सबसे प्रामाणिक इतिहास की तस्वीरें हैं।
यही उत्सव फाल्गुन के अन्त में वसन्तत ऋतु के आरम्भ पर चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को मनाया जाता है और जिसमें लोग एक दूसरी पर रंग, अबीर आदि डालते तथा अनेक प्रकार के विनोद करते हैं।

प्राचीन काल में जो मदनोत्सव या वसंतोत्सव होता था, उसी की यह परंपरा है।

चैत्र कृष्ण पंचमी को वसंतोत्सव का अंतिम दिन रंग खेलकर रंग पंचमी के रूप में मनाया जाता है।

आओ ! हम और तुम इस उत्सव में ! मोहब्बत को दो शब्दों में परिभाषित करने की चेष्टा करें !

" वास्तव में मोहब्बत एक
             ख़ूबसूरत लगने वाला छलावा भी है ।

परन्तु यह जरूरत है
                हर इन्साँ की  यह मेरा दाबा भी है ।।

जिसे आप ख़ूबसूरती कहते हो आश़िक बनकर
वह केवल प्रवृत्तियों का एक उमड़ता हुआ लावा भी है।

और ये तो उमड़ेगा ही क्योंकि !
संसार इश्क़ की एक आभा भी है !

प्रेम वस्तुत: स्वभाव नहीं एक प्रवृत्ति है ।
स्वभाव तो इन्सान बदल भी सकता है परन्तु ;
प्रवृत्तियों को वह कभी नहीं बदल सकता है।

जैसे सी.पी.यू. का सिस्टम सॉफ्टवेयर तथा एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर होते हैं । वैसे ही क्रमश: प्रवृत्ति और स्वभाव होते हैं।

एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर को तो हम बदल सकते हैं परन्तु सिस्टम सॉफ्टवेयर को नहीं।
सी.पी.यू. से ..
इसलिए 👇
______________________________________
प्रेम से सृष्टि जगत् की ये सभी का मूल है ।
      हर भावना का रूप इसमें इसका अद्भुत उसूल है ।
टूट जाते हैं वे तन्हाईयों में
       जो कहते हैं कि मोहब्बत एक भूल है ।

मोहब्बत एक आवेश भी है ।
       ईश्वरीय सत्ता का यह अवशेष भी है ।
हुश़्न की सलाई में मोहब्बत के महीन धागे हैं ।
जीवन का पट बुनते हुए लोग इसके पीछे भागे हैं।।
प्रेम का रस चख न पाया वे लोग रोहि अभागे भी हैं।।

यह इन्साँ भी अपने नाम को सार्थक करता है ।
कन्या प्रेम चाहती है , किशोर इसके सौन्दर्य पे मरता है
और कहता है :--👇

" तू हुश़्न की मलिका ! बाला ( बालिके)
                          मैं इश़्क शाहँशाह ।
तुझको ज़रूरत है मेरी ,
                        मुझको भी तेरी चाह !!
और आगे भी ...
वीरान सी जिन्द़गी है मोहब्बत भी जगी है ।
तुझको ढूढ़ती है मेरी निगा़ह ।
तुझसे ही होगा अब मेरा निकाह ।।

__________________________________________
come ! I and me  ! Try to define love in two words!

"In fact, love is a beautiful euphemism, but it is the need of every human being that it is my press,

which is called beauty, it is only a tendency of trends.

Man can change the nature, never trends.
Like the C.P.U. Are system software and application software.

We can change the application software but not the system software.
_________________________________________
Love is the root of creation.
       It also has a wonderful principle.
All those who are broken
       Who says that love is a mistake.
Love is also a passion.

      There is also a remnant of divine power.
Thush of Brightness's Salai (weaver stick) Mohabbat (love)
     Waking the way of life ...
This also makes his name meaningful.
Virgo wants love, Teen dies of beauty
And he says, "You are the guean of Hushn ( Beautyness )!
Bala ( infatuated Girlfriend ) I'm Ishq ShahnShah (emperor of libidos)
You need me, I want you too!
And further ...
Heroine is alive, love is alive too.
I find you, my eyes
Only you will be my wife bridge ..
____________________________________
 

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