🌜🌴🌲🌴🌲🌴🌲🌛 कैल्ट जन जाति के धर्म साधना के रहस्य मय अनुष्ठानों में इसी कारण से आध्यात्मिक और तान्त्रिक क्रियाओं को प्रभावात्मक बनाने के लिए ओघम् ogham शब्द का दृढता से उच्चारण विधान किया जाता था !.............
उनका विश्वास था ! कि इस प्रकार Ow- ma अर्थात् जिसे
भारतीय आर्यों ने ओ३म् रूप में साहित्य और कला के ज्ञान के उत्प्रेरक और रक्षक के रूप में प्रतिष्ठित किया है ...
अर्थात् प्राचीन भारतीय आर्य मान्यताओं के अनुसार सम्पूर्ण भाषा की आक्षरिक सम्पत्ति ( syllable prosperity ) यथावत् रहती है !
!ओघम् का मूर्त प्रारूप ***🌞 सूर्य के आकार के सादृश्य पर था ...जैसी कि प्राचीन पश्चिमीय
संस्कृतियों की मान्यताऐं भी हैं ...
वास्तव में ओघम् (ogham )से बुद्धि उसी प्रकार नि:सृत होती है जैसे सूर्य से प्रकाश 🌞☀⚡☀⚡⛅☁प्राचीन मध्य मिश्र के लीबिया प्रान्त में तथा थीब्ज में यही आमोन् रा ( ammon - ra ) जो वस्तुत: ओ३म् -रवि के तादात्मय रूप में प्रस्तावित है ..
आधुनिक अनुसन्धानों के अनुसार भी अमेरिकीय अन्तरिक्ष यान - प्रक्षेपण संस्धान
के वैज्ञानिकों ने भी सूर्य में अजस्र रूप से निनादित ओ३म् प्लुत स्वर का श्रवण किया है ..
... ..... .सैमेटिक -- सुमेरियन हिब्रू आदि में ..
तथा रब़ का अर्थ .नेता तथा महान होता हेै !
जैसे रब्बी यहूदीयों का धर्म गुरू है ..
अरबी भाषा में..रब़ -- ईश्वर का वाचक है .अमोन तथा रा प्रारम्भ में पृथक पृथक थे ..
दौनों सूर्य सत्ता के वाचक थे ..मिश्र की संस्कृति
............ ......
में ये दौनों कालान्तरण में एक रूप होकर अमॉन रॉ के रूप में
अत्यधिक पूज्य था ..
क्यों की प्राचीन मिश्र के लोगों की मान्यता थी कि ..अमोन -- रॉ.. ही सारे विश्व में प्रकाश और ज्ञान का कारणहै मिश्र की परम्पराओ से ही यह शब्द मैसोपोटामिया की सैमेटिक हिब्रु परम्परओं में प्रतिष्ठित हुआ जो क्रमशः यहूदी ( वैदिक यदुः ) के वंशज थे !! .....
....इन्हीं से ईसाईयों में Amen तथा अ़रबी भाषा में यही आमीन् !! (ऐसा ही हो ) होगया है इतना ही नहीं जर्मन आर्य ओ३म् का सम्बोधन omi /ovin या के रूप में अपने ज्ञान के देव वॉडेन ( woden) के लिए सम्बोधित करते करते थे .....
.इसी वुधः का दूसरा सम्बोधन ouvin ऑविन् भी था ..
...यही woden अंग्रेजी मेंgoden बन गया था जिससे कालान्तर में गोड(god )शब्द बना है
जो फ़ारसी में ख़ुदा के रूप में हैं !
सीरिया की सुर संस्कृति में यह शब्द ऑवम् ( aovm ) हो गया है ************************* वेदों में ओमान् शब्द बहुतायत से रक्षक ,के रूप में आया है ************************* भारतीय संस्कृति में मान्यता है कि शिव ( ओ३ म) ने ही पाणिनी को ध्वनि निकाय के रूप में चौदह माहेश्वर सूत्रों की वर्णमाला प्रदान की ! ......
जिससे सम्पूर्ण भाषा व्याकरण का निर्माण हुआ *******"*"* **************************** पाणिनी पणि अथवा ( phoenici) पुरोहित थे जो मेसोपोटामिया की सैमेटिक शाखा के लोग थे !
ये लोग द्रविडों से सम्बद्ध थे !
वस्तुत: यहाँ इन्हें द्रुज संज्ञा से अभिहित किया गया था ...
...द्रुज जनजाति ...प्राचीन इज़राएल ..
जॉर्डन ..लेबनॉन में तथा सीरिया में
आज तक प्राचीन सांस्कृतिक मान्यताओं को सञ्जोये हुए है ..
.द्रुजों की मान्यत थी कि आत्मा अमर है ..पुनर्जन्म .. कर्म फल के भोग के लिए होता है ..ठीक यही मान्यता बाल्टिक सागर के तटवर्ति druid द्रयूडों में पुरोहितों के रूप में थी !
केल्ट वेल्स ब्रिटॉनस् आदि ने
इस वर्णमाला को द्रविडों से ग्रहण किया था ! ❄❄❄❄❄📝📄📃📑📜📜एक 📜द्रविड अपने समय के सबसे बडे़ द्रव्य - वेत्ता और तत्व दर्शी थे !
जैसा कि द्रविड नाम से ध्वनित होता है
...मैं योगेश कुमार रोहि भारतीय सन्दर्भ में भी इस शब्द पर कुछ व्याख्यान करता हूँ !
जो संक्षिप्त ही है *********************** ऊँ एक प्लुत स्वर है जो सृष्टि का आदि कालीन प्राकृतिक ध्वनि रूप है जिसमें सम्पूर्ण वर्णमाला समाहित है !! इसके अवशेष एशिया - माइनर की पार्श्ववर्ती आयोनिया ( प्राचीन यूनान ) की संस्कृति में भी प्राप्त हुए है
यूनानी आर्य ज्यूस और पॉसीडन ( पूषण ) की साधना के अवसर पर अमोनॉस ( amonos) के रूप में ओमन् अथवा ओ३म् का उच्चारण करते थे !!!!!!!
भारतीय सांस्कृतिक संन्दर्भ में भी ओ३म् शब्द की व्युत्पत्ति परक व्याख्या आवश्यक है वैदिक ग्रन्थों विशेषतः ऋग्वेद मेंओमान् के रूप में भी है संस्कृत के वैय्याकरणों के अनुसार ओ३म् शब्द धातुज ( यौगिक) है 🔔🔔🔔🔔🔔🔔🔔🔔🔔जो अव् घातु में मन् प्रत्यय करने पर बना है
पाणिनीय धातु पाठ में अव् धातु के अनेक अर्थ हैं ************************* अव्-- --१ रक्षक २ गति ३ कान्ति४ प्रीति ५ तृप्ति ६ अवगम ७ प्रवेश ८ श्रवण ९ स्वामी १० अर्थ ११ याचन १२ क्रिया १३ इच्छा १४ दीप्ति १५ अवाप्ति १६ आलिड्.गन १७ हिंसा १८ आदान १९ भाव वृद्धिषु ( १/३९६/ ************************* भाषायी रूप में ओ३म् एक अव्यय ( interjection) है जिसका अर्थ है -- ऐसा ही हो ! ( एवमस्तु !) it be so इसका अरबी़ तथा हिब्रू रूप है आमीन् ************************** लौकिक संस्कृत में ओमन् ( ऊँ) का अर्थ--- औपचारिकपुष्टि करण अथवा मान्य स्वीकृति का वाचक है ---
मालती माधव ग्रन्थ में १/७५ पृष्ट पर-- ओम इति उच्यताम् अमात्यः" तथा साहित्य दर्पण --- द्वित्तीयश्चेदोम् इति ब्रूम १/"" हमारा यह संदेश प्रेषण क्रम अनवरत चलता रहेगा **** मैं योगेश कुमार रोहि निवेदन करता हूँ !! कि इस महान संदेश को सारे संसार में प्रसारित कर दो !!! आमीन् ..............
योगेशकुमार रोहि के द्वारा अनुसन्धानित
भारतीयही नहीं अपितु विश्व इतिहास का यह एक नवीनत्तम् सांस्कृतिक शोध है |
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